Saturday, July 9, 2011

MP Police: SAF के जवानों को नया काम, वसूलेंगे बकाया बिजली बिल

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को अपने बकाया वसूली में मदद करने विशेष सशस्त्र बल के जवान मदद करेंगे। ऐसे करीब 67 पुलिस के जवानों को बिजली कंपनी के साथ तैनात कर दिया गया है।


पिछले कई महीनों से बिजली कंपनी अपना बकाया लोगों से वसूलने में लगी हुई है। कई बार बिजली कंपनी के अफसरों को अपनी रकम वसूलने में परेशानी आती है और लोग उनके साथ मारपीट तक कर देते हैं। इसके चलते कंपनी ने सरकार से पुलिस के जवान मांगे थे। सरकार की ओर से पुलिस के जवान तो नहीं मिले, लेकिन एसएएफ बटालियन से जवानों को बिजली कंपनी के साथ अटैच कर दिया गया है। ग्वालियर स्थित दो बटालियनों में से करीब 67 जवान बिजली कंपनी के साथ तैनात रहेंगे और गांव-गांव जाकर ये लोग वसूली में मदद करेंगे। कई बार बिजली कंपनी के अधिकारी ग्रामीण इलाकों से पिटकर भी आते थे, लेकिन पुलिस बल तैनात होने के कारण इस प्रकार का अप्रिय स्थिति सामने नहीं आएगी।

MP Police: टीआई साहब ने जीप भिड़ा दी, पड़ोस के थानें में मामला दर्ज

इंदौर के पंढरीनाथ थाने के टीआई के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने और एक्सीडेंट का मामला दर्ज हो गया है। शुक्रवार सुबह थाने की जीप सिग्नल से भिड़ गई थी। जिसमें टीआई सहित एक सिपाही गंभीर घायल हो गए थे।
इंदौर के पंढरीनाथ थाना टीआई ब्रजेश कुशवाह के खिलाफ लापरवाहीपूर्वक गाड़ी चलाने के मामले में सेंट्रल कोतवाली थाना में प्रकरण दर्ज हो गया है।


टीआई कुशवाह पर आरोप है कि वो तेज रफ्तार में जीप चला रहे थे। इस वजह से उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ और टीआई कुशवाह व सिपाही एसएस चंद्रावत घायल हो गए। पुलिस ने धारा 279 व 337 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
गौरतलब है कि शुक्रवार सुबह ब्रजेश कुशवाह खुद थाने की जीप चलाकर अपने थाने के सिपाही चंद्रावत के साथ घर से थाने जा रहे थे। जीप की रफ्तार काफी ज्यादा
थी। तभी अचानक गली से निकलकर एक बाइक सवार सड़क पर आ गया। जिसे बचाने में जीप का संतुलन बिगड़ा और जीप ट्रैफिक सिग्नल को तोड़ते हुए खंभे में जा घुसी।

MP Police: आगे-आगे हाथी और पीछे सीटी बजाती पुलिस

इंदौर। बुधवार को शहर में एक मदमस्त हाथी ने जमकर हंगामा किया। महावत को फेंकने के बाद बेकाबू हाथी ने ऐसी दौड़ लगाई कि अफरातफरी मच गई। आगे हाथी था और उसके पीछे सीटी बजाते पुलिस वाले। उसकी चपेट में आने से कई वाहन जरूर क्षतिग्रस्त हो गए, मगर काई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई। दो घंटे की मशक्कत के बाद जैसे-तैसे वह खुद ही शांत हो गया।
इंदौर के राजकुमार ब्रिज से जाता हुआ हाथी अचानक बिदक गया। हाथी को बेकाबू होता देख महावत भी हाथी के पीछे-पीछे भागता रहा। हाथी जेल रोड पहुंचा और उसके बाद भीड़भाड़ वाले इलाकों से होता हुआ पोलो ग्राउंड पहुंच गया। हाथी को देखकर सड़क पर भी अफरातफरी का माहौल बन गया। रास्ते से भीड़ छंटती चली गई। दो थानों तुकोगंज और बाणगंगा की पुलिस डंडा लेकर उसके पीछे भागती रही, मगर वह कहां काबू में आने वाला था। नजारा देखने लायक था। सड़क पर भागता हुआ हाथी और उसके पीछे-पीछे सीटी बजाते भीड़ को हटाते पुलिसवाले।


कोई चारा न देख पुलिसवाले हाथी के पीछे शोर करते हुए उसे पोलो ग्राउंड इलाके में ले गए। मगर हाथी एक फैक्ट्री में जा घुसा। जैसे तैसे हाथी को वहां से निकाला। लगभग पांच किलोमीटर दौड़ने के बाद हाथी का गुस्सा खुद ही शांत हो गया तो जान में जान आई। गनीमत यह रही कि कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ। वन विभाग को भी खबर की गई थी। मगर हिंदी फिल्मों की तरह वन विभाग का अमला सबसे आखिर में हाथी के शात होने के बाद मौके पर पहुंचा। पुलिस की कार्रवाई से बचने के लिए महावत भी कहीं गायब हो गया। जिला प्रशासन ने शहर में हाथी के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है। इस मामले में प्रशासन महावत पर कार्रवाई करेगा।

Rajasthan Police: DGP साहब का युवाओं को पैगाम, 'मैं इस उम्र में दौड़ सकता हूं तो युवा क्यों नहीं'

उदयपुर। राज्य पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) हरीशचंद्र मीणा ने गुरुवार सुबह यहां फतहसागर रिंग रोड पर दस किमी तक दौड़ लगाई। इस दरम्यान वे कुछ कदम पैदल चले, लेकिन यह सफर उन्होंने 48 मिनट में पूरा कर लिया। उनका उद्देश्य पुलिस भर्ती में शामिल होने वाले युवाओं को प्रेरित करना था।


8.5 किमी लगातार दौड़े

पुलिस महानिदेशक हरीशचंद्र मीणा ने सुबह 6 बजे फतहसागर रानी रोड पुलिया से दौड़ना शुरू किया और मोती मगरी गेट तक वे लगातार दौड़ते रहे। यह दूरी साढ़े आठ किमी है। इसके बाद वे कुछ कदम पैदल चले और फिर दौड़ना शुरू कर दिया। फतहसागर पाल, देवाली छोर होते हुए बड़ी रोड स्थित पुलिस अन्वेषण भवन पहुंचे।

मैं इस उम्र में दौड़ सकता हूं तो युवा क्यों नहीं

दौड़ पूरी करने के बाद डीजीपी हरीशचंद्र मीणा ने कहा कि ‘मैं इस उम्र में दस किमी दौड़ सकता हूं तो युवा क्यों नहीं।’ उनका कहना था कि युवा तनाव लेने की बजाय इस प्रक्रिया में आसानी से सफलता हासिल कर सकते हैं। उनका कहना था कि नियमित अभ्यास हो तो दौड़ लगाना मुश्किल नहीं है।

CG Police: SC on SPOs: छ्त्तीसगढ़ सरकार को सुप्रीम कोर्ट को जवाब, एसपीओ को बनाएगी पुलिस कांस्टेंबल

छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा असंवैधानिक करार दिए गए बस्तर के विशेष पुलिस अधिकारियों (एसपीओ) में से पात्रता रखने वाले को आरक्षक बनाया जाएगा।

कंवर ने कहा कि बस्तर में नक्सलियों का सामना कर रहे एसपीओ के नहीं रहने के बाद भी वहां की सुरक्षा व्यवस्था में कमी नहीं आएगी। बस्तर के एसपीओ को बेरोजगार नहीं रहने दिया जाएगा।

उन्होने कहा कि नक्सलियों के आरापधिक कार्यो का डटकर मुकाबला करने वाले बस्तर के युवा एसपीओं को रोजगार के साथ समुचित सुरक्षा भी मुहैया कराई जाएगी।

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हुए बस्तर में सलवा जुडूम को भंग कर दिया गया है। प्रदेश शासन के पास पर्याप्त सुरक्षा बल तथा हथियारों की व्यवस्था है। बस्तर में सलवा जुडूम के बगैर भी जनता की सुरक्षा को खतरा नहीं है।

Tuesday, July 5, 2011

MP Police:Police PHQ: ठेकेदार ने रखी पीएचक्यू के सामने शर्त

भोपाल. बड़े-बड़े बदमाशों को घुटने टेकने पर मजबूर कर देने वाली मप्र पुलिस ने कंस्ट्रक्शन कंपनी के ठेकेदार के सामने घुटने टेक दिए हैं। पुलिस मुख्यालय की बिल्डिंग का निर्माण कार्य समय पर पूरा न कर पाने पर जिस ठेकेदार से पुलिस ने काम वापस ले लिया था, अब उसी को दोबारा काम देने की तैयारी चल रही है।
खास बात यह है कि अब की बार ठेकेदार ने ही पुलिस के सामने शर्त रख दी है। शर्त यह है कि यदि चार महीने में काम पूरा कराना है तो एडवांस पैसे देने होंगे।


पीएचक्यू की नई बिल्डिंग बनाने का ठेका मार्च 2008 में मुंबई की रवाशा कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था। अनुबंध के मुताबिक सितंबर 2009 में इस छ: मंजिला बिल्डिंग का काम पूरा होना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
पुलिस हाउसिंग कापरेरेशन, निर्माण कार्य में हो रही देरी के लिए ठेकेदार को नोटिस जारी करती रही, लेकिन ठेकेदार पर कोई फर्क नहीं पड़ा। आखिरकार मई महीने में कापरेरेशन ने कंपनी से काम वापस ले लिया।
क्यों दे रहे हैं पुराने ठेकेदार को काम: कापरेरेशन के अफसर कहते हैं कि नए सिरे से टेंडर की कवायद की जा रही थी, इसी बीच इस ठेकेदार ने संपर्क किया। नए टेंडर निकालने में महीने भर से ज्यादा का समय लगेगा। वैसे ही काम पूरा करने की जल्दी है। फिर नए ठेकेदार को काम देने में नए सिरे से दरों का आकलन होगा, पुराना ठेकेदार पुरानी दरों पर ही काम करेगा, यही वजह है कि उसे दोबारा काम देने पर विचार चल रहा है।
9 करोड़ दे चुके हैं अब तक ठेकेदार को
पीएचक्यू की ये नई बिल्डिंग 18 करोड़ 77 लाख रुपए की लागत से बन रही है। अब तक इसका सिविल वर्क पूरा हो चुका है। इसके लिए ठेकेदार को 9 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है।
अनुबंध की शर्त के मुताबिक ठेकेदार ने यदि काम समय पर पूरा नहीं किया तो कुल लागत राशि के 6 प्रतिशत का उसे हर्जाना भी भरना होगा। ठेकेदार से काम वापस लेने से पहले कापरेरेशन उसे तीन मर्तबा नोटिस भी जारी कर चुका था।
ठेकेदार से दोबारा संपर्क किया
निर्धारित समय पर काम पूरा न करने के कारण ठेकेदार से काम वापस ले लिया गया था,अब उसी ठेकेदार ने फिर संपर्क किया है। अभी इस पर विचार चल रहा है।""
एमपी द्विवेदी,एमडी,एमपी पुलिस हाउसिंग कापरेरेशन
9 करोड़ दे चुके हैं अब तक ठेकेदार को
पीएचक्यू की ये नई बिल्डिंग 18 करोड़ 77 लाख रुपए की लागत से बन रही है। अब तक इसका सिविल वर्क पूरा हो चुका है। इसके लिए ठेकेदार को 9 करोड़ रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है।
अनुबंध की शर्त के मुताबिक ठेकेदार ने यदि काम समय पर पूरा नहीं किया तो कुल लागत राशि के 6 प्रतिशत का उसे हर्जाना भी भरना होगा। ठेकेदार से काम वापस लेने से पहले कापरेरेशन उसे तीन मर्तबा नोटिस भी जारी कर चुका था।

MP Police: Police in Filmy Style: ऐसा फिल्मों में होता ऐसा!

भोपाल एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (एटीएस) ने मणप्पुरम गोल्ड फाइनेंस के दफ्तर में हुई प्रदेश की सबसे बड़ी डकैती का पर्दाफाश कर सवा छह किलो सोना बरामद किया है। स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के आतंकियों ने भोपाल में इस वारदात को अंजाम दिया था।
वारदात से एक माह पहले आतंकियों ने शहर की आमवाली मस्जिद के पास किराए से मकान लिया था। लूटे गए माल को वे इसी घर में रख गए थे। दूसरी तरफ, मणप्पुरम डकैती मामले में पहले ही भोपाल पुलिस कुछ लोगों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ चालान पेश कर चुकी है।


एटीएस आईजी विपिन माहेश्वरी ने शुक्रवार को बताया कि गिरफ्तार आतंकियों ने ही 23 अगस्त 2010 को मणप्पुरम गोल्ड फाइनेंस कंपनी में डकैती डाली थी। माहेश्वरी ने बताया कि डॉ. अबु फैसल ही वारदात का मास्टरमाइंड है। वारदात से महीने भर पहले उसने पूरी साजिश रची थी। आतंकियों ने आमवाली मस्जिद के पास लतीफ टेलर के यहां किराए का मकान लिया। यहां अबु, इकरार शेख, मुजीबुर्रहमान, असलम, जाकिर और एयाजुद्दीन ठहरे थे। वारदात से हफ्ते भर पहले आतंकियों ने मणप्पुरम गोल्ड फाइनेंस कंपनी के दफ्तर की रेकी की।
इन्हें हर कर्मचारी के आने-जाने का समय मालूम था। वारदात के दिन आमवाली मस्जिद से ये छह आतंकी दो बाइक पर सवार होकर आए। जैसे ही सुबह 9:30 बजे चौकीदार चाय पीकर दफ्तर आया, अबु व उसके एक साथी ने उसका मुंह दबोचकर बाथरूम में बंद कर दिया। इसके बाद दो आतंकी गेट पर आ गए और चार अंदर चले गए। जैसे ही मैनेजर आया, उसको कट्टा अड़ाकर चाबी ले ली। इसके बाद सभी ने तिजोरी से माल बटोरा और बाइक से फरार हो गए।
आतंकियों ने मोती मस्जिद के पास बाइक छोड़ दी और वहां से तीन आतंकी मंडीदीप में लिए गए किराए के मकान में चले गए, जबकि तीन सोना लेकर आमवाली मस्जिद वाले मकान में पहुंच गए। रातभर यहां रहने के बाद अगले दिन सभी आतंकी रतलाम चले गए।
कब : 23 अगस्त 2010
कहां और क्या भोपाल टॉकीज के पास हुई मणप्पुरम गोल्ड फाइनेंस कंपनी में डकैती, दिनदहाड़े 13 किलो सोना (कीमत ढाई करोड़ रुपए) लूट ले गए सशस्त्र बदमाश।
पुलिस कार्रवाई भोपाल पुलिस ने दो महीने तक इसकी जांच की। इस दौरान एक हजार से ज्यादा लोगों के बयान लिए गए। बिहार, दिल्ली, मुंबई, वडोदरा, अहमदाबाद सहित कई शहरों में पुलिस टीम भेजी गई, लेकिन कुछ सुराग नहीं लगा। इसी दौरान जेके रोड स्थित इलाहाबाद बैंक में डकैती डालने आए शैलेंद्र सिंह और शरद सिंह पुलिस के हत्थे चढ़े। इन्हीं पर पुलिस ने मणिप्पुरम डकैती का आरोप जड़ दिया और उनके खिलाफ चालान भी पेश कर दिया।और अब एटीएस का दावा आतंकियों ने डाली डकैती, सवा छह किलो सोना बरामद।
आगे क्या?
यदि एटीएस की कहानी सही हुई तो भोपाल पुलिस द्वारा इस मामले में आरोपी बनाए गए शैलेंद्र महतो व शरद को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 169 के प्रावधानों के तहत डिस्चार्ज करवाया जाएगा।