पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Friday, August 19, 2011
Delhi Police : Anna Hazare: डॉक्टर हुए फेल, राजघाट पर पुलिस से भी तेज दौड़ कर अन्ना ने दिखाई फिटनेस
नई दिल्ली. सेहत पर उठ रहे सवालों को खारिज करने के लिए शुक्रवार को अन्ना हजारे ने 'परीक्षा' दी। अनशन के लिए रामलीला मैदान पहुंचने से पहले राजघाट गए अन्ना ने दौड़ कर यह साबित करने की कोशिश की कि वह पूरी तरह फिट हैं। उनके साथ चल रहे पुलिसकर्मी भी दौड़ने लगे, लेकिन अन्ना ने पुलिसकर्मियों को पीछे छोड़ दिया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन कर रहे गांधीवादी अन्ना हजारे के अनशन में डॉक्टरों की सलाह से बदलाव आ गया है। पहले यह आमरण अनशन था जो अब डॉक्टरों की अन्ना हजारे की सेहत के बारे मे चेतावनी के बाद बेमियादी अनशन कर दिया गया है। शुक्रवार को डॉक्टरों ने बताया कि तीन दिन के अनशन के बाद उनका वजन तीन किलो कम हो गया है। डॉक्टरों ने बताया है कि अन्ना का ब्लड प्रेशर भी घटकर 88/160 हो गया है। बुधवार को टीम अन्ना को मुंबई के डॉक्टरों से अन्ना की सेहत के बारे में चेतावनी मिली थी। इसे ध्यान में रख कर अन्ना के अनशन को आमरण से बदल कर बेमियादी कर दिया गया है।
अप्रैल में जंतर-मंतर पर हुए अनशन से अन्ना की सेहत पर असर पड़ा था और उन्हें मुंबई के सांचेती इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स में भर्ती होना पड़ा था। उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बुधवार को टीम अन्ना को फोन किया और कहा कि अन्ना को यह संदेश दिया जाए कि वह अपनी सेहत का ख्याल रखें। डॉक्टरों ने कहा कि जब वह अप्रैल में अस्पताल में भर्ती हुए थे तो उनकी हालत खराब थी। यह अनशन की वजह से ही था। लगातार अनशन करने की वजह से उनकी सेहत खराब होती रही है। अब उन्हें इसकी चिंता करने की जरूरत है।
कल भी किरण बेदी ने साफ किया था कि अन्ना का यह आंदोलन आमरण अनशन नहीं है बल्कि बेमियादी अनशन है। किरण ने कहा था कि यह धरना और आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक सरकार इस देश को मजबूत जन लोकपाल नहीं देती।
भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन कर रहे गांधीवादी अन्ना हजारे के अनशन में डॉक्टरों की सलाह से बदलाव आ गया है। पहले यह आमरण अनशन था जो अब डॉक्टरों की अन्ना हजारे की सेहत के बारे मे चेतावनी के बाद बेमियादी अनशन कर दिया गया है। शुक्रवार को डॉक्टरों ने बताया कि तीन दिन के अनशन के बाद उनका वजन तीन किलो कम हो गया है। डॉक्टरों ने बताया है कि अन्ना का ब्लड प्रेशर भी घटकर 88/160 हो गया है। बुधवार को टीम अन्ना को मुंबई के डॉक्टरों से अन्ना की सेहत के बारे में चेतावनी मिली थी। इसे ध्यान में रख कर अन्ना के अनशन को आमरण से बदल कर बेमियादी कर दिया गया है।
अप्रैल में जंतर-मंतर पर हुए अनशन से अन्ना की सेहत पर असर पड़ा था और उन्हें मुंबई के सांचेती इंस्टीट्यूट ऑफ आर्थोपेडिक्स में भर्ती होना पड़ा था। उनका इलाज करने वाले डॉक्टरों ने बुधवार को टीम अन्ना को फोन किया और कहा कि अन्ना को यह संदेश दिया जाए कि वह अपनी सेहत का ख्याल रखें। डॉक्टरों ने कहा कि जब वह अप्रैल में अस्पताल में भर्ती हुए थे तो उनकी हालत खराब थी। यह अनशन की वजह से ही था। लगातार अनशन करने की वजह से उनकी सेहत खराब होती रही है। अब उन्हें इसकी चिंता करने की जरूरत है।
कल भी किरण बेदी ने साफ किया था कि अन्ना का यह आंदोलन आमरण अनशन नहीं है बल्कि बेमियादी अनशन है। किरण ने कहा था कि यह धरना और आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक सरकार इस देश को मजबूत जन लोकपाल नहीं देती।
Delhi Police : Anna Hazare & Congress: BBC Hindi :'अन्ना के दस के मुक़ाबले कांग्रेस के पास सौ हैं': कांग्रेस
केंद्रीय मंत्री और लोकपाल विधेयक के गठन के लिए बनी समिति के सदस्य रहे सलमान ख़ुर्शीद का कहना है कि अन्ना हज़ारे के समर्थन में जितने लोग बाहर निकले हैं वो पूरा देश नहीं है और उनके दस की तुलना में कांग्रेस के पास सौ हैं.
वे अन्ना हज़ारे के आंदोलन को अहिंसक भी नहीं मानते और कहते हैं कि देश के संविधान को कुचलना एक गंभीर क़िस्म की हिंसा है.
बीबीसी संवाददाता प्रतीक्षा घिल्डियाल से हुई बातचीत में उन्होंने अन्ना हज़ारे और उनके समर्थकों को चुनौती दी है कि अगर उन्हें लगता है कि इस संसद में उनको समर्थन नहीं मिल रहा है तो अगले चुनाव में वो अपने लोगों को जितवा कर संसद में ले आएँ.
'रास्ता निकालेंगे'
कोई ये समझे कि जो लोग निकल आए हैं यही पूरा भारत है तो मैं ये मानने के लिए तैयार नहीं हूँ. हज़ारों लाखों लोग हैं हमारे साथ हैं. हमने कोई आह्वान नहीं किया कि कांग्रेस के नौजवानों भी नहीं कहा कि निकलें बाहर और इनको बताएँ कि इनके दस के मुक़ाबले हमारे पास सौ हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे, क्यों करेंगे?
सलमान ख़ुर्शीद
इस सवाल पर कि हज़ारों लोगों के सड़क पर उतरने से क्या सरकार की छवि को धक्का नहीं पहुँचा है और वे चिंतित नहीं है, उन्होंने कहा, "है क्यों नहीं है. लेकिन ये हमारी चिंता है, हमें जीवित रहना है, हमें राजनीति करनी है. इस देश की सेवा करनी है.हम रास्ते निकालेंगे."
लेकिन इतने पर वे चुप नहीं हुए. उन्होंने आगे कहा, "कोई ये समझे कि जो लोग निकल आए हैं यही पूरा भारत है तो मैं ये मानने के लिए तैयार नहीं हूँ. हज़ारों लाखों लोग हमारे साथ हैं. हमने कोई आह्वान नहीं किया कि कांग्रेस के नौजवानों से कि वे बाहर निकलें और इनको बताएँ कि इनके दस के मुक़ाबले हमारे पास सौ हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे, क्यों करेंगे?"
क़ानून मंत्री सलमान ख़ुर्शीद का कहना था, "जो बात वो कह रहे हैं वो सही कह रहे हैं, हम उसे नकार नहीं रहे हैं हम सिर्फ़ ये कह रहे हैं कि इस बात को ढालकर ऐसा बना दो जिसे पूरी संसद स्वीकार कर ले और यदि आपको लगता है कि इस संसद में आपको लोग सहयोग नहीं करेंगे तो अगले चुनाव में आप अपने लोगों को जिताकर ले आइए."
आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "बिल को संसद के सामने लाए हैं वो संसदीय समिति के सामने है वो फिर से संसद में आएगा. सभी को फ़ैसला करना होगा, उन्हें भी जो हमारा विरोध कर रहे हैं, कि वो हमारा बिल चाहते हैं या अन्ना हज़ारे का. हमें अपने बिल पर विश्वास है."
'अहिंसक आंदोलन नहीं'
पूरे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में हिंसा और अहिंसा का अपना महत्व है, हिंसा कई क़िस्म की होती है. कोई गोली न चलाए, किसी को क्षति न पहुँचाए लेकिन संविधान को कुचल दे वो हिंसा नहीं है क्या. वो एक गंभीर क़िस्म की हिंसा है
सलमान ख़ुर्शीद
अन्ना हज़ारे की तुलना महात्मा गांधी से किए जाने पर भी सलमान ख़ुर्शीद को आपत्ति है.
उनका कहना है, "महात्मा गांधी अपने संविधान के तहत अपनी चुनी हुई सरकार का विरोध नहीं करते थे.वो बाहर से आए एक तानाशाह का विरोध करते थे."
अन्ना के आंदोलन के अहिंसक होने के सवाल पर उन्होंने कहा, "पूरे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में हिंसा और अहिंसा का अपना महत्व है, हिंसा कई क़िस्म की होती है. कोई गोली न चलाए, किसी को क्षति न पहुँचाए लेकिन संविधान को कुचल दे वो हिंसा नहीं है क्या. वो एक गंभीर क़िस्म की हिंसा है."
उनका कहना है कि ये कह देना कि हम अहिंसक हैं पर्याप्त नहीं है. सरकार का विरोध उस सीमा तक करें जिसका अधिकार हमारे संविधान ने हमें दिया है. धारा 144 भारत के क़ानून के तहत लगता है किसी तानाशाही के फ़रमान के तहत नहीं लगता है. अगर वह ग़लत लगता है तो अदालत उसे ठीक करती है."
उनका कहना है कि अगर कोई भ्रष्ट है तो उस पर कार्रवाई होगी लेकिन इससे सब लोग तो भ्रष्ट नहीं हो गए.
वे अन्ना हज़ारे के आंदोलन को अहिंसक भी नहीं मानते और कहते हैं कि देश के संविधान को कुचलना एक गंभीर क़िस्म की हिंसा है.
बीबीसी संवाददाता प्रतीक्षा घिल्डियाल से हुई बातचीत में उन्होंने अन्ना हज़ारे और उनके समर्थकों को चुनौती दी है कि अगर उन्हें लगता है कि इस संसद में उनको समर्थन नहीं मिल रहा है तो अगले चुनाव में वो अपने लोगों को जितवा कर संसद में ले आएँ.
'रास्ता निकालेंगे'
कोई ये समझे कि जो लोग निकल आए हैं यही पूरा भारत है तो मैं ये मानने के लिए तैयार नहीं हूँ. हज़ारों लाखों लोग हैं हमारे साथ हैं. हमने कोई आह्वान नहीं किया कि कांग्रेस के नौजवानों भी नहीं कहा कि निकलें बाहर और इनको बताएँ कि इनके दस के मुक़ाबले हमारे पास सौ हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे, क्यों करेंगे?
सलमान ख़ुर्शीद
इस सवाल पर कि हज़ारों लोगों के सड़क पर उतरने से क्या सरकार की छवि को धक्का नहीं पहुँचा है और वे चिंतित नहीं है, उन्होंने कहा, "है क्यों नहीं है. लेकिन ये हमारी चिंता है, हमें जीवित रहना है, हमें राजनीति करनी है. इस देश की सेवा करनी है.हम रास्ते निकालेंगे."
लेकिन इतने पर वे चुप नहीं हुए. उन्होंने आगे कहा, "कोई ये समझे कि जो लोग निकल आए हैं यही पूरा भारत है तो मैं ये मानने के लिए तैयार नहीं हूँ. हज़ारों लाखों लोग हमारे साथ हैं. हमने कोई आह्वान नहीं किया कि कांग्रेस के नौजवानों से कि वे बाहर निकलें और इनको बताएँ कि इनके दस के मुक़ाबले हमारे पास सौ हैं. लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे, क्यों करेंगे?"
क़ानून मंत्री सलमान ख़ुर्शीद का कहना था, "जो बात वो कह रहे हैं वो सही कह रहे हैं, हम उसे नकार नहीं रहे हैं हम सिर्फ़ ये कह रहे हैं कि इस बात को ढालकर ऐसा बना दो जिसे पूरी संसद स्वीकार कर ले और यदि आपको लगता है कि इस संसद में आपको लोग सहयोग नहीं करेंगे तो अगले चुनाव में आप अपने लोगों को जिताकर ले आइए."
आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "बिल को संसद के सामने लाए हैं वो संसदीय समिति के सामने है वो फिर से संसद में आएगा. सभी को फ़ैसला करना होगा, उन्हें भी जो हमारा विरोध कर रहे हैं, कि वो हमारा बिल चाहते हैं या अन्ना हज़ारे का. हमें अपने बिल पर विश्वास है."
'अहिंसक आंदोलन नहीं'
पूरे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में हिंसा और अहिंसा का अपना महत्व है, हिंसा कई क़िस्म की होती है. कोई गोली न चलाए, किसी को क्षति न पहुँचाए लेकिन संविधान को कुचल दे वो हिंसा नहीं है क्या. वो एक गंभीर क़िस्म की हिंसा है
सलमान ख़ुर्शीद
अन्ना हज़ारे की तुलना महात्मा गांधी से किए जाने पर भी सलमान ख़ुर्शीद को आपत्ति है.
उनका कहना है, "महात्मा गांधी अपने संविधान के तहत अपनी चुनी हुई सरकार का विरोध नहीं करते थे.वो बाहर से आए एक तानाशाह का विरोध करते थे."
अन्ना के आंदोलन के अहिंसक होने के सवाल पर उन्होंने कहा, "पूरे राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में हिंसा और अहिंसा का अपना महत्व है, हिंसा कई क़िस्म की होती है. कोई गोली न चलाए, किसी को क्षति न पहुँचाए लेकिन संविधान को कुचल दे वो हिंसा नहीं है क्या. वो एक गंभीर क़िस्म की हिंसा है."
उनका कहना है कि ये कह देना कि हम अहिंसक हैं पर्याप्त नहीं है. सरकार का विरोध उस सीमा तक करें जिसका अधिकार हमारे संविधान ने हमें दिया है. धारा 144 भारत के क़ानून के तहत लगता है किसी तानाशाही के फ़रमान के तहत नहीं लगता है. अगर वह ग़लत लगता है तो अदालत उसे ठीक करती है."
उनका कहना है कि अगर कोई भ्रष्ट है तो उस पर कार्रवाई होगी लेकिन इससे सब लोग तो भ्रष्ट नहीं हो गए.
Delhi Police : Anna Hazare & Congress: BBC Hindi : अन्ना हज़ारे भ्रष्टाचारी: कांग्रेस
अन्ना हज़ारे के 16 अगस्त से प्रस्तावित अनिश्चितकालीन अनशन से पहले रविवार को सरकार के कांग्रेसी मंत्रियों और पार्टी ने अन्ना के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है और उन पर आरोप भी लगाए.
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरकार के लोकपाल के मसौदे को जलाने का कोई तुक नहीं बनता है.
अन्ना के इस बयान पर कि कांग्रेस पार्टी को मिले दान का ब्यौरा दिया जाए, दिग्विजय सिंह का कहना था, '' अन्ना साहब हज़ारे को ये पता होना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी हर साल चुनाव आयोग के सामने हलफनामा दायर करती है और उसमें हर ब्योरा होता है.''
दिग्विजय सिंह का कहना था, '' किरन बेदी के संगठन को लेहमैन ब्रदर्स से दान मिलता है उसकी भी जांच होनी चाहिए.''
इससे पहले केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी, कपिल सिब्बल और कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने अन्ना को निशाना बनाया.
अंबिका सोनी और कपिल सिब्बल का कहना था कि वो टीम अन्ना के सवालों और आरोपों का जवाब दे रहे हैं. जब पत्रकारों ने ये पूछा कि क्या सरकार में बौखलाहट है और सरकार डरी हुई है तो दोनों मंत्रियों ने इससे इंकार किया.
सबसे तीखे अंदाज़ में कांग्रेस प्रवक्ता मनीश तिवारी ने अन्ना पर हमला किया और अन्ना हज़ारे को “भ्रष्टाचारी” बताया. उन्होंने वर्ष 2005 में जस्टिस पीबी सावंत कमीशन रिपोर्ट का हवाला दिया जिसने अन्ना हज़ारे के ट्रस्ट की जाँच में अनियमितता पाई गई थी.
मनीश तिवारी ने कहा, “भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अनशन की बात करते हो. ऊपर से नीचे तक तुम भ्रष्टाचार में खुद लिप्त हो.”
जस्टिस सावंत रिपोर्ट
उधर जस्टिस सावंत ने बीबीसी से कहा, “रिपोर्ट में मैने लिखा था कि अन्ना की आज़ाद हिंद ट्रस्ट, जिसके वो अध्यक्ष थे, उसमें से करीब 2.2 लाख उन्होंने (अन्ना ने) खुद के सम्मान समारोह के लिए खर्च किए थे. ये तो ग़ैर-कानूनी है. ये भ्रष्टाचार ही होता है.”
सावंत कहते हैं कि चूँकि अन्ना ट्रस्ट के प्रमुख थे, वो ही खर्चे के लिए ज़िम्मेदार थे. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में किसी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की सिफ़ारिश नहीं की थी.
रिपोर्ट में मैने लिखा था कि अन्ना की आज़ाद हिंद ट्रस्ट, जिसके वो अध्यक्ष थे, उसमें से करीब 2.2 लाख उन्होंने (अन्ना ने) खुद के सम्मान समारोह के लिए खर्च की थी. ये तो ग़ैर-कानूनी है. ये भ्रष्टाचार ही होता है
जस्टिस पीबी सावंत
दरअसल, अन्ना ने महाराष्ट्र सरकार के चार मंत्रियों के खिलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. उसके बाद एक मंत्री ने अन्ना के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे जिसकी जाँच के लिए कमेटी का गठन किया गया था.
उधर अन्ना हज़ारे ने मनीश तिवारी के आरोप के जवाब में कहा कि कमेटी का गठन उनके आग्रह की वजह से ही किया गया था ताकि उनके खिलाफ़ आरोपों की जाँच हो. उन्होंने सभी आरोपों को झूठा करार दिया.
अन्ना ने कहा, "पीबी सावंत ने कहीं नहीं लिखा कि अन्ना हज़ारे भ्रष्टाचारी है. अभी भी मेरी कोशिश है कि जाँच हो. जब तक मेरे ऊपर लगे आरोपों की जाँच नहीं होती, तब तक मैं अनशन वापस नहीं लूँगा."
आरोपों से बेहद नाराज़ अन्ना हज़ारे ने कहा कि उनके पास एक झोला रहता है और वो लोगों से पैसे मांगकर खर्च चलाते हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को चुनौती दी कि वो पार्टी को मिलने वाले चंदे की सूची वेबसाईट पर डाले, लेकिन मनीश तिवारी का कहना था कि पार्टी हर साल आयकर रिटर्न फ़ाईल करती है और सारी जानकारी सार्वजनिक तौर से उपलब्ध है.
पत्र पर आपत्ति
उधर अन्ना हज़ारे के शनिवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की भाषा पर कपिल सिब्बल और अंबिका सोनी ने आपत्ति जताई.
सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा, “ये किस तरह की भाषा है? पिछले 64 सालों में किसी ने भी किसी प्रधानमंत्री पर इस तरह से व्यक्तिगत तौर पर अशोभनीय ढंग से हमला नहीं किया. ये महात्मा गाँधी की सोच का प्रतीक नहीं है.”
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि अन्ना को प्रदर्शन का हक़ तो है, “लेकिन आप कहाँ प्रदर्शन करेंगे, ये कोई संवैधानिक हक़ नहीं है. अगर आप कहें कि उच्चतम न्यायालय के सामने 5,000-10,000 लोग खड़े कर दूँगा, तो कोई मानेगा.”
प्रदर्शन ग़ैर-कानूनी
उधर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अनिश्चितकालीन प्रदर्शन को ग़ैर-कानूनी करार दिया.
उन्होंने कहा, “हमारे कानून में किसी को भी जान देने का हक़ नहीं है, इसलिए हमेशा से ही ये प्रणाली रही है कि प्रदर्शन निश्चित अवधि का होना चाहिए, ये अनिश्चित नहीं हो सकता.”
उधर अंबिका सोनी ने कहा कि अन्ना की ये सोच कि लोकपाल बिल पारित होने से देश में भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा, तो ये सोच गलत है.
सोनी ने कहा, “क्या एक लोकपाल बिल भ्रष्टाचार खत्म कर देगा? लोगों को गुमराह किया जा रहा है कि लोकपाल बिल आया, भ्रष्टाचार खत्म हुआ.”
उन्होंने पूर्व पुलिस अधिकारी किरण बेदी पर चुटकी लेते हुए उनके दौर में दिल्ली में वकीलों के प्रदर्शन पर पुलिस बल के प्रयोग का वाकया याद दिलाया. अरविंद केजरीवाल के बारे में उन्होंने कहा, एक तरफ़ अरविंद खुद को आरटीआई कार्यकर्ता कहते हैं, जबकि यूपीए की सरकार ही आरटीआई कानून लेकर आई थी.
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि सरकार के लोकपाल के मसौदे को जलाने का कोई तुक नहीं बनता है.
अन्ना के इस बयान पर कि कांग्रेस पार्टी को मिले दान का ब्यौरा दिया जाए, दिग्विजय सिंह का कहना था, '' अन्ना साहब हज़ारे को ये पता होना चाहिए कि कांग्रेस पार्टी हर साल चुनाव आयोग के सामने हलफनामा दायर करती है और उसमें हर ब्योरा होता है.''
दिग्विजय सिंह का कहना था, '' किरन बेदी के संगठन को लेहमैन ब्रदर्स से दान मिलता है उसकी भी जांच होनी चाहिए.''
इससे पहले केंद्रीय मंत्री अंबिका सोनी, कपिल सिब्बल और कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने अन्ना को निशाना बनाया.
अंबिका सोनी और कपिल सिब्बल का कहना था कि वो टीम अन्ना के सवालों और आरोपों का जवाब दे रहे हैं. जब पत्रकारों ने ये पूछा कि क्या सरकार में बौखलाहट है और सरकार डरी हुई है तो दोनों मंत्रियों ने इससे इंकार किया.
सबसे तीखे अंदाज़ में कांग्रेस प्रवक्ता मनीश तिवारी ने अन्ना पर हमला किया और अन्ना हज़ारे को “भ्रष्टाचारी” बताया. उन्होंने वर्ष 2005 में जस्टिस पीबी सावंत कमीशन रिपोर्ट का हवाला दिया जिसने अन्ना हज़ारे के ट्रस्ट की जाँच में अनियमितता पाई गई थी.
मनीश तिवारी ने कहा, “भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अनशन की बात करते हो. ऊपर से नीचे तक तुम भ्रष्टाचार में खुद लिप्त हो.”
जस्टिस सावंत रिपोर्ट
उधर जस्टिस सावंत ने बीबीसी से कहा, “रिपोर्ट में मैने लिखा था कि अन्ना की आज़ाद हिंद ट्रस्ट, जिसके वो अध्यक्ष थे, उसमें से करीब 2.2 लाख उन्होंने (अन्ना ने) खुद के सम्मान समारोह के लिए खर्च किए थे. ये तो ग़ैर-कानूनी है. ये भ्रष्टाचार ही होता है.”
सावंत कहते हैं कि चूँकि अन्ना ट्रस्ट के प्रमुख थे, वो ही खर्चे के लिए ज़िम्मेदार थे. उन्होंने अपनी रिपोर्ट में किसी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की सिफ़ारिश नहीं की थी.
रिपोर्ट में मैने लिखा था कि अन्ना की आज़ाद हिंद ट्रस्ट, जिसके वो अध्यक्ष थे, उसमें से करीब 2.2 लाख उन्होंने (अन्ना ने) खुद के सम्मान समारोह के लिए खर्च की थी. ये तो ग़ैर-कानूनी है. ये भ्रष्टाचार ही होता है
जस्टिस पीबी सावंत
दरअसल, अन्ना ने महाराष्ट्र सरकार के चार मंत्रियों के खिलाफ़ भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. उसके बाद एक मंत्री ने अन्ना के ऊपर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे जिसकी जाँच के लिए कमेटी का गठन किया गया था.
उधर अन्ना हज़ारे ने मनीश तिवारी के आरोप के जवाब में कहा कि कमेटी का गठन उनके आग्रह की वजह से ही किया गया था ताकि उनके खिलाफ़ आरोपों की जाँच हो. उन्होंने सभी आरोपों को झूठा करार दिया.
अन्ना ने कहा, "पीबी सावंत ने कहीं नहीं लिखा कि अन्ना हज़ारे भ्रष्टाचारी है. अभी भी मेरी कोशिश है कि जाँच हो. जब तक मेरे ऊपर लगे आरोपों की जाँच नहीं होती, तब तक मैं अनशन वापस नहीं लूँगा."
आरोपों से बेहद नाराज़ अन्ना हज़ारे ने कहा कि उनके पास एक झोला रहता है और वो लोगों से पैसे मांगकर खर्च चलाते हैं.
आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस को चुनौती दी कि वो पार्टी को मिलने वाले चंदे की सूची वेबसाईट पर डाले, लेकिन मनीश तिवारी का कहना था कि पार्टी हर साल आयकर रिटर्न फ़ाईल करती है और सारी जानकारी सार्वजनिक तौर से उपलब्ध है.
पत्र पर आपत्ति
उधर अन्ना हज़ारे के शनिवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र की भाषा पर कपिल सिब्बल और अंबिका सोनी ने आपत्ति जताई.
सूचना और प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने कहा, “ये किस तरह की भाषा है? पिछले 64 सालों में किसी ने भी किसी प्रधानमंत्री पर इस तरह से व्यक्तिगत तौर पर अशोभनीय ढंग से हमला नहीं किया. ये महात्मा गाँधी की सोच का प्रतीक नहीं है.”
मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि अन्ना को प्रदर्शन का हक़ तो है, “लेकिन आप कहाँ प्रदर्शन करेंगे, ये कोई संवैधानिक हक़ नहीं है. अगर आप कहें कि उच्चतम न्यायालय के सामने 5,000-10,000 लोग खड़े कर दूँगा, तो कोई मानेगा.”
प्रदर्शन ग़ैर-कानूनी
उधर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अनिश्चितकालीन प्रदर्शन को ग़ैर-कानूनी करार दिया.
उन्होंने कहा, “हमारे कानून में किसी को भी जान देने का हक़ नहीं है, इसलिए हमेशा से ही ये प्रणाली रही है कि प्रदर्शन निश्चित अवधि का होना चाहिए, ये अनिश्चित नहीं हो सकता.”
उधर अंबिका सोनी ने कहा कि अन्ना की ये सोच कि लोकपाल बिल पारित होने से देश में भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा, तो ये सोच गलत है.
सोनी ने कहा, “क्या एक लोकपाल बिल भ्रष्टाचार खत्म कर देगा? लोगों को गुमराह किया जा रहा है कि लोकपाल बिल आया, भ्रष्टाचार खत्म हुआ.”
उन्होंने पूर्व पुलिस अधिकारी किरण बेदी पर चुटकी लेते हुए उनके दौर में दिल्ली में वकीलों के प्रदर्शन पर पुलिस बल के प्रयोग का वाकया याद दिलाया. अरविंद केजरीवाल के बारे में उन्होंने कहा, एक तरफ़ अरविंद खुद को आरटीआई कार्यकर्ता कहते हैं, जबकि यूपीए की सरकार ही आरटीआई कानून लेकर आई थी.
Subscribe to:
Posts (Atom)