Monday, August 22, 2011

KN Police: Banglore Thief: चोर का ऐसा कारनामा आपने आज तक शायद ही सुना होगा

बेंगलुरु।। चोर का ऐसा कारनामा आपने आज तक शायद ही सुना होगा। बेंगलुरु का यह मामूली सा चोर घर में घुसता था और चोरी नहीं करता था। वह घर के बेडरूम और बाथरूम में कैमरे फिट कर चला जाता था। और इसके बाद शुरू होती थी असली कहानी।

यह चोर एक बार फिर घर में सेंध लगाता था और अपने लगाए कैमरे लेकर निकल जाता था। इसके बाद कैमरे में कैद घर के सदस्यों के बेहद अंतरंग पलों की रिकॉर्डिंग से वह उन्हें ब्लैकमेल करने लगता था। उसने इस तरह से करीब डेढ़ करोड़ रुपये कमाए। यह चोर अब बेंगलुरु पुलिस की गिरफ्त में है।


बेंगलुरु पुलिस के मुताबिक मदुरै का रहने वाले परमेश्वरन को वाहन चोरी के आरोप में मई में ही गिरफ्तार किया गया था। वह बेल पर छूट कर बाहर आ गया था। लेकिन पुलिस तब तक उसकी इस कारस्तानी से नावाकिफ थी। बेंगलुरु के एक आईटी प्रफेशनल ने डीसीपी से इसकी शिकायत की तो जांच के बाद परमेश्वरन की पूरी पोल पट्टी खुली।

मामले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारी ने बताया, 'परमेश्वरन कैमरे में कैद अंतरंग दृश्यों की सीडी बना लेता था और उसके पीछे अपना कॉन्टेक्ट नंबर लिखकर घर में छोड़ आता था। जब कोई पुरुष उसे कॉन्टेक्ट करता तो वह पैसे की डिमांड करता। और अगर कॉलर कोई महिला होती तो वह उससे सेक्स की डिमांड करता था। यही नहीं पुलिस में शिकायत करने पर वह विडियो को इंटरनेट पर डालने और उनके दोस्तों और सहकर्मियों को देने की धमकी देता।'

एक शख्स से तो परमेश्वरन ने 10 लाख रुपये तक ऐंठ लिए थे। पुलिस के मुताबिक उसने इस तरह से करीब डेढ़ करोड़ रुपये वसूले थे।

मई 2011 में परमेश्वर को पुलिस ने वाहन चोरी के आरोप में गिरफ्तार भी किया था, लेकिन वह जल्द ही बेल पर छूट गया था। उसके छूटने के बाद पुलिस को शिकायतें मिलने लगीं कि कोई बेडरूम सीन की रिकॉर्डिंग कर उन्हें ब्लैकमेल कर रहा है।

पुलिस को जांच के बाद शक हुआ और परमेश्वर को हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ के बाद उसने सारी बातें उगल दीं। पुलिस ने उसके कब्जे से 4 सीडी और मोबाइल क्लिप बरामद की है।

KN Police: बेंगलुरु के डीएसपी ऑफिस में महिला और पुरुष कॉन्स्टेबल के अंतरंग दृश्यों वाले एमएसएस की को लेकर बवाल

बेंगलुरु।। शहर में आजकल हर जगह पुलिसवालों के ढीले कैरक्टर की चर्चा जोरों पर है। बेंगलुरु के हासन जिले के डीएसपी ऑफिस के अंदर एक महिला और एक पुरुष कॉन्स्टेबल के अंतरंग दृश्यों वाले एमएसएस की को लेकर बवाल मचा हुआ है और पुलिस विभाग से इस शर्मनाक हरकत पर कुछ कहते नहीं बन रहा है।


मामला कुछ यूं है कि जिले के डीएसपी ऑफिस के अंदर एक कैबिन में एक महिला और एक पुरुष कॉन्स्टेबल एक-दूसरे के साथ सेक्सुअल ऐक्ट किया। इसमें शामिल पुलिसवाले की हाल ही में शादी हुई है, जबकि महिला कॉन्स्टेबल दो बच्चों की मां बताई गई है। पुरुष कॉन्स्टेबल ने भविष्य में भी महिला के साथ ऐसे संबंध के लिए दबाव बनाने के लिए यह सब अपने मोबाइल फोन में शूट कर लिया। माना जा रहा है कि उसने अपने साथियों को भी यह एमएमएस दिखाया और धीरे-धीरे यह एमएमएस पूरे शहर में सर्कुलेट होते-होते पुलिस के सीनियर ऑफिसर्स के पास भी पहुंच गया।

पुलिस की छवि बचाने के लिए मामले को दबाते हुए इन दोनों कॉन्स्टेबलों का ट्रांसफर कर दिया गया, पर पुरुष कॉन्स्टेबल ने अपनी नई शादी का हवाला देते हुए अपना तबादला रुकवा लिया है। काफी कोशिशों के बाद भी इन दोनों से हमारे सहयोगी अखबार बेंगलुरु मिरर को इस पर कोई भी सफाई या बयान नहीं मिल सका है। वहीं, इस मसले पर एसपी अमित सिंह का कहना है कि जब तक उन्हें इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं मिलती है, वह कुछ नहीं कह सकते हैं। जानकारी मिलने के बाद भी कोई भी ऐक्शन लिया जा सकता है।

JK Police: शेर-ए-कश्मीर पुलिस अकेडमी में जम्मू की प्रोबेशनरी महिला सब इंस्पेक्टर (पीएसआई) की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत

जम्मू/ऊधमपुर। शेर-ए-कश्मीर पुलिस अकेडमी में जम्मू की प्रोबेशनरी महिला सब इंस्पेक्टर (पीएसआई) की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के हवाले कर दिया है तथा मामले की जांच शुरू कर दी है।

पुलिस अकेडमी के 20 वर्ष के इतिहास में एक ऐसी घटना घटी, जिसमें एकेडमी में परीक्षण ले रहे नव आरक्षकों की सुरक्षा सवालों के घेरे में आ गई है।

जानकारी के अनुसार शेर-ए-कश्मीर पुलिस अकेडमी के रूम नंबर-5 में रविवार को पीएसआई परनीत कौर (26) पुत्री सरदार प्रवीण सिंह निवासी गाड़ीगढ़, जम्मू का शव बरामद हुआ। युवती का शव फंदे से झूल रहा था जबकि घुटने जमीन पर टिके थे। मोबाइल भी जमीन पर पड़ा था।


मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंचे सिटी थाना प्रभारी ज्ञान चंद शर्मा व पुलिस टीम ने शव को कब्जे में लेकर कमरे को सील कर दिया। पुलिस ने घटनास्थल से सबूत जुटाने की कोशिश की तथा मृतका के परिजनों को सूचित किया। शव का जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया।

अभी तक मामला आत्महत्या का लग रहा है लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने से पहले कुछ नहीं कहा जा सकता। बहरहाल धारा 174 के तहत संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।""
शकील अहमद बेग, एसएसपी

कुछ समय पहले हुई थी सगाई

परनीत की कुछ ही समय पहले सगाई हुई थी। बैच मेट्स की मानें तो परनीत काफी खुश मिजाज लड़की थी और सबसे तहजीब व अदब से बात करती थी। शनिवार शाम को वह सभी के साथ अच्छे ढंग से बात कर रही थी तथा रात का खाना भी सभी के साथ खाया। इस दौरान उसके चेहरे पर कोई परेशानी नहीं झलक रही थी।

Police Policy: जिनकी किताबें पढ़कर आईपीएस बनें, वो इतिहासकार आर एस शर्मा नहीं रहें

इतिहासकार रामशरण शर्मा का निधन

प्रसिद्ध इतिहासकार रामशरण शर्मा का लम्बी बीमारी के बाद पटना के एक निजी अस्पताल में शनिवार रात करीब 10.30 बजे निधन हो गया. वह 92 वर्षों के थे.

शर्मा का जन्म 1919 में बिहार के बेगूसराय में हुआ था, उन्होंने अपनी पीएचडी लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज से प्रोफेसर आर्थर लेवेलिन बैशम के अधीन पूरी की.

पटना विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रमुख बनने के बाद रामशरण शर्मा ने 1970 के दशक में उन्होने दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के डीन के रूप काम किया. वह भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च) के संस्थापक अध्यक्ष भी थे.

रामशरण शर्मा ने टोरंटो विश्वविद्यालय में भी अध्यापन किया.

वह लंदन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज में एक सीनियर फेलो, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नेशनल फेलो और 1975 में इंडियन हिस्ट्री कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी
इतिहास के जाने-माने लेखक शर्मा ने पंद्रह भाषाओं में सौ से अधिक किताबें लिखीं.

रामशरण शर्मा की पुस्तकें
आर्य एवं हड़प्पा संस्कृतियों की भिन्नता
भारतीय सामंतवाद
शूद्रों का प्राचीन इतिहास
प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएँ
भारत के प्राचीन नगरों का इतिहास
आर्यों की खोज
प्रारंभिक मध्यकालीन भारतीय समाज: सामंतीकरण का एक अध्ययन
कम्युनल हिस्ट्री एंड रामा' ज अयोध्या
इनकी लिखी गयी प्राचीन इतिहास की किताबें देश की उच्च शिक्षा में काफी अहमियत रखती हैं. प्राचीन इतिहास से जोड़कर ह़र सम-सामयिक घटनाओं को जोड़कर देखने में शर्मा को महारथ हासिल थी.

रामशरण शर्मा के द्वारा लिखी गयी प्राचीन भारत के इतिहास को पढ़कर छात्र संघ लोक सेना आयोग जैसी प्रतिष्ठित परीक्षाओं की तैयारी करते हैं.

उनकी कुछ प्रसिद्ध पुस्तकें है-

"आर्य एवं हड़प्पा संस्कृतियों की भिन्नता, भारतीय सामंतवाद, शूद्रों का प्राचीन इतिहास,प्राचीन भारत में राजनीतिक विचार एवं संस्थाएँ, भारत के प्राचीन नगरों का इतिहास. आर्यों की खोज, प्रारंभिक मध्यकालीन भारतीय समाज: सामंतीकरण का एक अध्ययन और कम्युनल हिस्ट्री एंड रामा'ज अयोध्या".

विवाद
उनकी रचना "प्राचीन भारत" को कृष्ण की ऐतिहासिकता और महाभारत महाकाव्य की घटनाओं की आलोचना के लिए 1978 में जनता पार्टी सरकार द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था,

अयोध्या विवाद पर भी उन्होंने बहुत कुछ लिखा था जिसको लेकर देश भर में बहस छिड़ गयी थी.

2002 के गुजरात दंगों को युवाओं की समझ बढ़ाने के लिए 'सामाजिक रूप से प्रासंगिक विषय' बताते हुए इसे विद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल करने का समर्थन किया था.

यह उनकी टिप्पणी ही थी जब एनसीईआरटी ने गुजरात के दंगों और अयोध्या विवाद को 1984 के सिख विरोधी दंगों के साथ बारहवी कक्षा की राजनीति विज्ञान की पुस्तकों में शामिल करने का फैसला किया, जिसका तर्क यह दिया गया कि इन घटनाओं ने आजादी के बाद देश में राजनीतिक प्रक्रिया को प्रभावित किया था

Police Policy: SC Order: 'फर्जी मुठभेड़ के दोषी पुलिस वालों को मिले फांसी' - सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि फर्जी मुठभेड़ में किसी को मारना हत्या की तरह है और दोषी पुलिस वाले किसी भी तरह से फांसी से कम सजा के हकदार नहीं हैं। कानून हाथ में लेने के लिए उतावले पुलिस वालों को फटकारते हुए शीर्ष कोर्ट ने 23 अक्टूबर 2006 को राजस्थान में एसओजी द्वारा कथित गैंगस्टर दारा सिंह को फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने के मामले में फरार दो आईपीएस अधिकारियों (अतिरिक्त डीजीपी अरविंद जैन और एसपी अरशद)को मुकदमे का सामना करने के निर्देश दिए हैं।
जस्टिस मरकडेय काटजू और सीके प्रसाद की बेंच ने सोमवार को कहा कि अगर पुलिस अधिकारी सरेंडर नहीं करते हैं तो मामले की पड़ताल कर रही सीबीआई दोनों को गिरफ्तार कर लेगी। सिंह की विधवा सुशीला देवी ने कहा कि इस मामले में आरोपी पूर्व मंत्री राजेंद्र राठौर भी फरार है। इस पर कोर्ट ने कहा कि उनके लिए भी यही बात लागू होगी।
सुशीला देवी की याचिका पर अप्रैल में कोर्ट ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। बेंच ने कहा,‘अगर किसी साधारण व्यक्ति द्वारा अपराध किया जाता है तो साधारण सजा दी जानी चाहिए लेकिन अगर कोई पुलिस वाला अपराध करता है तो उसे कहीं सख्त सजा दी जानी चाहिए क्योंकि उन्होंने अपनी डच्यूटी के विपरीत काम किया है।’


देश में फर्जी मुठभेड़ के मामले : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2008-09 से इस साल जून तक कथित फर्जी मुठभेड़ों के 369 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 98 को आयोग ने सुलझाया जबकि 271 में अभी कार्रवाई होनी है। 90 मामलों में पुलिस कार्रवाई संदिग्ध पाई गई, आयोग ने मृतकों के परिजनों को 4.54 करोड़ रुपए की मदद देने की सिफारिश की। हाल में जारी रिपोर्ट के मुताबिक उत्तरप्रदेश फर्जी मुठभेड़ों में टॉप पर है जहां पिछले तीन साल में 120 लोगों को पुलिस ने कथित तौर पर मार दिया है।
15 साल में 2560 की मौत
एमनेस्टी इंटरनेशनल की वार्षिक रिपोर्ट कहती है कि 1993 से 2008 की अवधि में पुलिस ज्यादती के कारण कम से कम 2560 लोगों की मौत हो गई। इनमें से 1224 की फर्जी मुठभेड़ में मृत्यु हुई है। लेकिन किसी भी पुलिस वाले को अब तक फर्जी मुठभेड़ में दोषी ठहराकर सजा नहीं दी गई।

UP Police: फर्जी मुठभेड़ में यूपी पुलिस अव्वल

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश पुलिस के खाते में एक और उपलब्धि। फर्जी मुठभेड़ के मामले में उप्र पुलिस देश में अव्वल है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के अनुसार उप्र में इस तरह की मुठभेड़ में बीते तीन साल में 120 लोग मारे जा चुके हैं। सिर्फ इसी वर्ष अब तक छह लोग मारे गए। मारे गए लोगों के परिजनों ने आयोग से न्याय की गुहार लगाई है। मणिपुर इस क्रम में दूसरे और पश्चिम बंगाल तीसरे स्थान पर हैं।
पिछले तीन वर्षो में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को मिली शिकायतें पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रही हैं। वर्ष 2010-11 में आयोग को मिली शिकायतों में आरोप लगाया गया था कि उप्र पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में करीब चालीस लोगों को मार डाला। इसी तरह वर्ष 2008-09 और 2009-10 में यह संख्या 71 रही।
इसके बाद पूर्वोत्तर में मणिपुर ऐसा राज्य है, जहां फर्जी मुठभेड़ के सर्वाधिक मामले हैं। यहां तीन साल में 60 लोग मारे जा चुके हैं। जबकि इसी अवधि में पश्चिम बंगाल में 23, तमिलनाडु व मध्यप्रदेश में 15-15, उड़ीसा में 12, जम्मू-कश्मीर व छत्तीसगढ़ में 11-11 और दिल्ली में सबसे कम 3 मामले मिले।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार देश में वर्ष 2008-09 में जून तक आयोग के पास इस तरह के 369 मामले आए। इनमें से 90 मामलों में पुलिस की भूमिका संदेहास्पद साबित हो रही है। ऐसे में आयोग ने फर्जी मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए साढ़े चार करोड़ रुपये की वित्तीय राहत देने की संस्तुति की है।

Raj Police: स्टाफ की कमी से पंगु बनी हुई है एसीबी

जयपुर। सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) तो बना दिया, लेकिन स्टाफ की कमी के कारण यह जांच एजेंसी पंगु बनी हुई है। सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार की एसीबी को लगातार शिकायतें मिल रही हैं, पर हालात यह है कि पुष्टि व कार्रवाई के लिए पर्याप्त संख्या में जांच अधिकारी ही नहीं है। इतना ही नहीं दो साल से विभाग बिना मुखिया के है। तत्कालीन डीजी केएस बैंस के बाद एडीजी के पास ही डीजी का अतिरिक्त चार्ज है। विभाग में इस्पेक्टर से लेकर एएसपी तक के 34 पद खाली पड़े हैं। हाल यह है कि एक जांच अधिकारी के पास सात से आठ मामले पेंडिंग चल रहे हैं, लिहाजा वे कोई नया मामला लेने के बजाय पुराने को ही निपटाने पर ज्यादा ध्यान देते हैं।

एक अफसर, 18 जांच

* एएसपी आशाराम चौधरी
18 मामलों की जांच कर रहे हैं
2009 से पहले के चार मामले
* एएसपी मनीष त्रिपाठी
10 मामलांे की जांच कर रहे हैं
इनमें 2009 से पहले के दो मामले हैं
* डीवाईएसपी महेन्द्र हरसाना
7 मामलांे की जांच कर रहे हैं
इनमें वर्ष 2009 से पहले के दो है

ये हाल है एसीबी के


स्वीकृत कार्यरत रिक्त

डीजी 1 0 1
एडीजी 1 1 0
आईजी 3 2 1
डीआईजी 4 4 0
एसपी 6 1 5
एएसपी 33 28 5
डीवाईएसपी 31 28 3
इंस्पेक्टर 55 29 26
एएसआई 12 7 5
कांस्टेबल 328 288 40
वरिष्ठ लिपिक 23 15 8

पद भरेंगे तभी लगेगा भ्रष्टाचार पर अंकुश

काबिल अफसरों की कमी के कारण समय पर भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ एसीबी चालान पेश नहीं कर पाती। जांच में देरी के कारण आरोपी बच निकलते है या मामला कोर्ट मे ले जाकर अटका देते हैं। सरकार जिन अफसरों को फील्ड में नहीं लगाना चाहती, उन्हें एसीबी में लगा देती है। एसीबी में इंटेलीजंेट और ईमानदार अफसर चाहिए जो भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कानून का शिकंजा कस सके और समय सीमा में चालान पेश कर उन्हे सजा दिला सके। रिक्तपद होने के कारण एसीबी भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में बेहतर परिणाम नहीं दे पा रही है। इससे मुकदमों की संख्या तो बढ़ रही है, लेकिन भ्रष्टाचार नहीं घट रहा।
पीके तिवारी, पूर्व डीजी, एसीबी

वर्ष 2010 में एसीबी के पास आए मामले

366 दिन में मामले दर्ज हुए 407
पीई दर्ज हुई 137
इस तरह से कुल मामले आए 544
जांच अधिकारियों के 34 पद खाली

एएसपी, डीवाईएसपी तथा इंस्पेक्टर होते है एसीबी में जांच अधिकारी

तीनों पदों पर कुल स्वीकृत पद हैं 119
वर्तमान में कार्यरत हैं 85
इनमें से अभी रिक्त चल रहे हैं 34

सीबीआई से 3 गुना काम करती है एसीबी

* सीबीआई में जांच अधिकारी औसतन सालाना तीन मामलों की जांच करते हैं
* इस हिसाब से एसीबी में 544 मामलों के लिए 185 जांच अधिकारी होने चाहिए
* 85 अधिकारियों को करनी पड़ रही है जांच, इस हिसाब से एक अधिकारी कर रहा है औसतन सालाना सात मामलों की जांच
* जो सीबीआई की जांच के हिसाब से तीन गुना ज्यादा है।