Friday, December 16, 2011

Police Policy: Mumbai Police: स्टॉफ की कमी से परेशान मुंबई पुलिस, फिलहाल 33 प्रतिशत वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक और 52 प्रतिशत पुलिस सब इंस्पेक्टर की कमी..

नई जनगणना के अनुसार मुंबई की आबादी लगभग 1.24 करोड़ हो गई है और इनकी सुरक्षा के लिए 41,271 पुलिसकर्मियों की जरूरत है। जबकि फिलहाल मुंबई में महज 33,287 पुलिसकर्मी ही कार्यरत है यानी मुंबई को 7,984 पुलिसकर्मी की दरकार है, वो भी सेक्शन रिकॉर्ड के मुताबिक।
प्रजा फाउंडेशन ने मुंबई में पुलिस की कमी के साथ-साथ बढ़ते हुए क्राइम ग्राफ पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट से पता चला है कि मुंबई में पिछले तीन सालों में उत्पीड़न के मामलों में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कंट्रोल रूम में स्टाफ की कमी हाल ही में अंबोली मर्डर केस ( रूबेन और कीनन मर्डर मामला ) में वारदात के दौरान रूबेन और कीनन की एक दोस्त ने तकरीबन 20 मिनिट तक पुलिस कंट्रोल रूम में फोन ट्राई किया लेकिन जब तक पुलिस कॉल को अटेंड करती आरोपियों ने घटना को अंजाम दे दिया था। प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट से पता चला है कि सरकार द्वारा पुलिस कंट्रोल रूम के लिए 272 पदों की मंजूरी दी गई जबकि फिलहाल 140 पुलिस वाले ही कार्यरत है।
ट्रैफिक पुलिस की कमी , दुर्घटनाओं में वृद्धि पिछले तीन सालों में दुर्घटनाओं में 80 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक सड़क पर आदमी सुरक्षित नहीं है। इसी आंकड़े से जुड़ी एक और रिपोर्ट यह भी है कि मुंबई ट्रैफिक पुलिस में लगभग 49 प्रतिशत स्टाफ की कमी है। फिलहाल मुंबई ट्रैफिक पुलिस को 1,633 पद भरने हैं। हालांकि ट्रैफिक पुलिस की कमी का प्रतिकूल असर यह हुआ है कि पिछले तीन सालों में कुल 6,100 दुर्घटनाएं हुई हैं ( पूरा आंकड़ा टेबल में है ) । जांच अधिकारियों की कमी , कैसे होगा इनवेस्टिगेशन प्रजा फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक , मुंबई पुलिस में फिलहाल 33 प्रतिशत वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक और 52 प्रतिशत पुलिस सब इंस्पेक्टर की कमी है। जबकि मुंबई पुलिस में फिलहाल 1002 की जगह 674 सहायक पुलिस निरीक्षक ( एपीआई ) ही काम कर रहे हैं। आमतौर पर अपराध की जांच करने के लिए इन्हीं लेवल के पुलिस अधिकारियों की जरूरत होती है।

CG Police: Police Suicide: दुर्ग में एसटीएफ के जवान ने की खुदकुशी, इंसास राइफल से खुद को मारी गोली....

रायपुर।। छत्तीसगढ़ के दुर्ग में एसटीएफ के जवान ने राइफल से खुद को गोली मार ली, जिससे उसकी घटनास्थल पर ही मौत हो गई।
दुर्ग जिले के एसपी ओम प्रकाश पाल ने बताया कि जिले में एसटीएफ के बघेरा गांव स्थित बैरक में सिपाही तेज प्रकाश द्विवेदी ने अपनी सर्विस इंसास राइफल से खुद को गोली मार ली। पाल ने बताया कि 25 वर्षीय तेज प्रकाश पिछले कुछ समय से एसटीएफ के 11 वीं बटालियन में ट्रेनिंग ले रहा था। रविवार शाम अचानक जब तेज प्रकाश के बैरक से गोली चलने आवाज सुनाई दी, तब उसके साथी बैरक की ओर भागे। अन्य सिपाहियों ने देखा की तेज प्रकाश ने अपने इंसास राइफल से खुद को गोली मार ली है। उन्होंने बताया कि इसके बाद सिपाहियों ने तेज प्रकाश को अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। एसपी ने बताया कि तेज प्रकाश मध्य प्रदेश के रीवां शहर का रहने वाला था तथा पिछले कुछ दिनों से परेशान था। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। अभी तक तेज प्रकाश के आत्महत्या के कारणों के बारे में जानकारी नहीं मिली है।

Delhi Police: Police Suicide: अपराध से लड़ने वाला दिल्ली पुलिस का सिपाही जिंदगी से हारा, सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर की खुदकुशी...

दिल्ली पुलिस के एक सिपाही ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली। पुलिस को मौके से एक सूइसाइड नोट भी मिला , जिसमें उसने अपनी मौत का जिम्मेदार खुद को ही बताया है। दूसरे मामले में इंजिनियरिंग के स्टूडेंट ने जहरीला पदार्थ खाकर खुदकुशी कर ली। दोनों ही मामले नॉर्थ - ईस्ट दिल्ली के हैं।
डीसीपी संजय जैन ने बताया कि खुदकुशी करने वाले सिपाही का नाम विपिन मलिक (29) है। वह कोतवाली थाने में तैनात था। विपिन ने सोमवार सुबह अपने घर में खुदकुशी की। विपिन 2003 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुआ था। 2009 से वह कोतवाली थाने में तैनात था और परिवार के साथ गोकुलपुरी थाना इलाके के गंगा विहार में रहता था। परिवार में पत्नी के अलावा दो बच्चे हैं। वह सुबह ड्यूटी से घर आया था। इसके बाद वह सीधे अपने कमरे में चला गया। पत्नी दोनों बच्चों को स्कूल भेजने के बाद पति के लिए नाश्ता बनाने रसोई में चली गई। तभी उसे गोली चलने की आवाज सुनाई दी। पुलिस के मुताबिक सूइसाइड नोट में उसने अपनी जिंदगी से निराश होने जैसी बातें लिखी थीं।

Delhi Police: Crime Branch: केबल ऑपरेटरों से जबरन उगाही के मामले में पुलिस वालों को राहत, क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी , इंस्पेक्टर , एसआई और हवलदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश रद्द..

क्राइम ब्रांच के एडिशनल डीसीपी , इंस्पेक्टर , एसआई और हवलदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश रद्द कर दिया गया है। अडिशनल सेशन जज ने अपने आदेश में चीफ मैट्रोपॉलिटन मैजिस्टे्रट के ऑर्डर को तथ्यों पर आधारित नहीं माना है। सीएमएम ने केबल ऑपरेटरों से जबरन उगाही के मामले में इन पुलिस वालों के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश दिए थे।
तीस हजारी कोर्ट के अडिशनल सेशन जज सुरेंद्र सिंह राठी ने क्राइम ब्रांच में तैनात अडिशनल डीसीपी रवि शंकर , इंस्पेक्टर अनिल दुरेजा , सबइंस्पेक्टर गजेंद्र सिंह , हवलदार हरिकिशन और केबल नेटवर्क के डायरेक्टर राजीव पाहूजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के ऑर्डर को कैंसल कर दिया है। इन सभी पुलिस वालों के खिलाफ 13 सितंबर को सीएमएम कोर्ट ने एफआईआर के ऑर्डर किए थे। शराब में धुत एक हवलदार की सीडी को भी सही नहीं माना गया है , जिसमें वह हवलदार जबरन उगाही के बारे में बातें कर रहा है। दरअसल , पहले ये सभी पुलिस वाले स्पेशल सेल की नॉर्दर्न रेंज में तैनात थे। 26 जून 2006 को तत्कालीन एसीपी रवि शंकर की टीम ने राजीव पाहूजा की कंप्लेंट पर आईपीसी के सेक्शन 384 ( एक्सटोर्शन ), 506 ( धमकी देना ), 34 ( कॉमन इंटेंशन ) आदि के तहत केबल ऑपरेटरों प्रवीण चुघ , प्रताप सिंह , ओम प्रकाश , संजय सहीपुर आदि के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। शालीमार बाग , रोहिणी , पीतमपुरा , मॉडल टाउन आदि इलाकों में इनका केबल बिजनेस था। इस केस में मुलजिम गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे। अभियुक्तों का कहना था कि पुलिस ने राजीव पाहूजा के साथ मिलीभगत कर उन्हें गिरफ्तार किया था। पाहूजा भी केबल बिजनेस में थे। दूसरी ओर , इन पुलिस वालों का तर्क है कि उन्होंने स्पेशल सेल के तत्कालीन जॉइंट कमिश्नर के एप्रूवल के बाद ही वह केस दर्ज किया था।
इस केस के अभियुक्तों ने गिरफ्तारी करने वाली पुलिस टीम में शामिल एक हवलदार की बातचीत की रिकॉर्डिंग कर ली थी। शराब के नशे में कार में बैठा वह हवलदार केबल ऑपरेटरों से बातचीत करते हुए इस केस में जबरन उगाही के बारे में बात कर रहा था। इस बातचीत की सीडी के साथ प्रवीण चुघ आदि केबल ऑपरेटरों ने तीस हजारी कोर्ट में कंप्लेंट केस दायर किया था। सीएमएम ने सुनवाई के बाद रवि शंकर , अनिल दुरेजा आदि पुलिस वालों और राजीव पाहूजा के खिलाफ एफआईआर के ऑर्डर दिए थे। इसके खिलाफ इन पुलिस वालों ने सेशन से स्टे हासिल कर लिया था। अब यह ऑर्डर कैंसल कर दिए गए हैं।

Rail RPF : Mumbai: आरपीएफ की रिकार्डिंग का कमाल, पकड़े गए नशीला खिलाकर लूटने वाले..

उत्तर भारत की तरफ जाने वाली ट्रेनों में नशीले पदार्थ खिलाकर यात्रियों को लूटने की घटनाओं के बाद रेलवे सुरक्षा बल ( आरपीएफ ) की तरफ से ऐसे मामलों को रोकने के लिए विशेष टीम का गठन किया।
बी . एन . शर्मा ( सहायक सुरक्षा आयुक्त , कल्याण आरपीएफ ) के अनुसार , एक यात्री किशोर कुमार पांडे को कुर्ला टर्मिनस से पटना जाने वाली ट्रेन में दो लड़कों ने नशीला पदार्थ खिलाकर लूट लिया था। श्री शर्मा ने बताया कि किशोर को जब घटना वाले दिन के कुर्ला टर्मिनस के सीसीटीवी फुटेज दिखाए गए , तो उसने दोनों संदिग्ध की शिनाख्त कर ली , लेकिन तस्वीरें धुंधली होने के कारण परेशानी हो रही थी। यात्रियों की रिकॉर्डिंग से हल हुई गुत्थी कुछ समय पहले से आरपीएफ द्वारा बड़े स्टेशनों पर जनरल कोच में यात्रा करने के लिए लाइन में खड़े रहने वाले यात्रियों की विडियो रिकॉर्डिंग की जा रही थी। इसी विडियो रिकॉर्डिंग की मदद तब मिली जब दादर - वाराणसी ट्रेन में नशीला पदार्थ खिलाकर यात्रियों को लूटने की एक घटना सामने आई। उस दिन की रिकॉर्डिंग को जब आरपीएफ ने किशोर कुमार पांडे को दिखाई तो उसने आरोपियों को पहचान लिया , ये आरोपी वही थे जिन्होंने किशोर को भी लूटा था।

Mumbai Police: Police Home: घर का सपना होगा जल्दी पूरा, मुंबई पुलिस के लिए पनवेल में बनेंगे 13 हजार घर...

आम आदमी की तरह मुंबई पुलिस में भी काफी कर्मियों के पास घरों का संकट है। ऐसे जरूरतमंद लोगों के लिए राज्य सरकार बहुत जल्द 13 हजार घर बनानेवाली है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने गुरुवार को एनबीटी को यह जानकारी दी।
इस अधिकारी के अनुसार , करीब 135 एकड़ की जमीन पनवेल से करीब 15 किलोमीटर दूर देख ली गई है। इसे खरीदने की आगे की प्रक्रिया बाद में शुरू की जाएगी। यह घर उन्हीं पुलिस कर्मियों को मिलेंगे , जिनकी मुंबई पुलिस में भर्ती कांस्टेबल के रूप में हुई हो। भले ही अब वे पीएसआई या इंस्पेक्टर के रैंक में क्यों न पहुंच गए हांे। मुंबई पुलिस सूत्रों का कहना है कि हर फ्लैट दो बेड रूम हॉल किचन वाला होगा। जिसे भी यह फ्लैट अलॉट होगा , उसे फ्लैट के लिए करीब सात से दस लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे। चूंकि फ्लैट के रेट मार्केट रेट से काफी कम होंगे , इसलिए सरकार को लगता है कि काफी पुलिस कर्मी इसके लिए आवेदन करेंगे। ऐसे में तय किया गया है कि फ्लैट लॉटरी से अलॉट किए जाएं।
फ्लैट के इच्छुक पुलिसकर्मी को दस हजार रुपये का चेक मुंबई पुलिस में उस अधिकारी के नाम देना पड़ेगा , जिसके नाम अकाउंट खोला जाएगा। सभी चेक अकाउंट में जमा हो जाने के बाद जमीन खरीदने के लिए टोकन मनी जमीन मालिक को दे दी जाएगी। जमीन खरीदने के बाद हर फ्लैट में आने वाला संभावित कुल खर्च का हिसाब लगाया जाएगा। फिर लॉटरी से जब आवेदक पुलिसकर्मियों को फ्लैट अलॉट किया जाएगा , तो उसे फ्लैट का पूरा रेट भी बता दिया जाएगा और उससे पूरी रकम देने को कहा जाएगा। जिन पुलिसकर्मियों का नाम लॉटरी में नहीं आ पाएगा , उन्हें दस हजार रुपये की राशि वापस कर दी जाएगी। मुंबई पुलिस सूत्रों का कहना है कि जिस जगह पर 135 एकड़ जमीन देखी गई है , वह रेलवे स्टेशन से खासा दूर है। वहां ट्रेन से नहीं , बस से या फिर अपने वाहन से ही फिलहाल जाया जा सकता है। पर आने वाले सालों में जब पनवेल और कर्जत के बीच रेल रूट बन जाएगा , तो पुलिसकर्मियों के लिए बनने वाली इस बिल्डिंग के पास भी कोई रेलवे स्टेशन बन जाएगा। तब वहां रहनेवाले मुंबई पुलिस कर्मियों के लिए सफर ज्यादा आसान हो जाएगा।

Thursday, December 15, 2011

Police Cinema: Mumbai Police: 'सरफरोश' के एसीपी अजय राठौर का पता चला, दावा है DCP बी जी शेखर है वो...

This diarist is a fan of Aamir Khan's portrayal of ACP Ajay Rathod in his 1999 hit Sarfarosh. And now, DCP BG Shekhar of the Enforcement Wing of Mumbai Police, had revelaed to us that the film was based on his action-packed experiences and bust-ups with a gang of drug dealers who traded across the border. To prove his point, he will soon publish a book that spills the beans on the real story that inspired the film. Apparently, the characters in the film deliciously named Mirchi Seth, Sultan and Gulfam Hasan, were real people convicted by a court two years ago. Minor creative liberties were taken with the story - the drug dealers would smuggle in contraband by hiding them under packets of sweets, while in the film, red chillies made for a sweet substitute. The DCP claimed that the makers spent nearly a week with him in Bhusaval, where he was the Sub-Divisional Police Officer, to understand the story and its nuances. So will the real Mr Rathod please stand up?