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Wednesday, October 10, 2012
Rajasthan Police: Kota: DGP Harish Meena on questions for being guest of a history sheetor: राजस्थान डीजीपी मुश्किल में, हिस्ट्रीशीटर की मेहमान बनने का लगे आरोप
एक हिस्ट्री शीटर की मेहमान नवाजी राजस्थान के पुलिस महा निदेशक के लिए मुश्किल का सबब बन गई है।
जानलेवा हमले जैसे 17 मामलों के आरोपी के साथ डीजीपी की यात्रा और नाश्ता पार्टी पर बीजेपी तो सरकार को घेर ही रही है। पुलिस के अपराधीकरण का सवाल उठाते हुए कई लोग भी सड़क पर उतर आये हैं।
राजस्थान के पुलिस महानिदेशक हरीश मीणा हाल ही कोटा में एक हिस्ट्री शीटर की मेहमान नवाजी का आनंद लेकर लौटे हैं। निजी दौरे पर कोटा गये महानिदेशक महोदय ने न केवल कोटा में 17 मामलों के आरोपी सत्येन्द्र मीणा की मेहमाननवाजी का आनंद लिया बल्कि एनएसयू आई के नेता मीणा के साथ डीजीपी ने बूंदी से कोटा तक यात्रा भी की।
सत्येन्द्र मीणा कोटा के कुन्हाड़ी थाने के हिस्ट्री शीटर हैं और सत्येन्द्र पर कुल 17 मुकदमे दर्ज हैं। एक अपराधी के साथ पुलिस महानिदेशक का यह लगाव बीजेपी को तो बुरा लग ही रहा है। लोगों ने भी सड़क पर उतर विरोध जताना शुरू कर दिया है। विरोध के स्वर उठते देख डीजीपी ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। वहीं कांग्रेस भी बचाव की मुद्रा में आ गई है। कांग्रेस की दलील है कि यह यात्रा निजी थी, इसलिए इसपर बवाल बेमानी है।
डीजीपी हरीश मीणा ने एक हिस्ट्रीशीटर की मेहमान नवाजी उस वक्त ली है, जब सीआरपीएफ के महानिदेशक पद से विजय कुमार कि सेवानिवृति के बाद हरीश मीणा को इस पद का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है और बुधवार से राजस्थान विधान सभा का सत्र शुरू होने वाला है। यानि मीणा के लिए मुश्किल सदन में भी खडी हो सकती है और सीआरपीएफ के लिए होने वाले डीजीपी चयन में भी।
Bihar Police: Patna: सीएम नितीश कुमार, डीजीपी साहब से आश्वासन के बाद बिहार पुलिस एसोशियेशन की हड़ताल स्थगित. bihar police association post-phoned strike.
पटना | बिहार पुलिस मेन्स एसोसिएशन के आह्वान पर राज्य के पुलिसकर्मियों के सामूहिक अवकाश पर जाने का निर्णय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पुलिस महानिदेशक अभयानंद के आश्वासन के बाद 30 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। एसोसिएशन की बैठक में यह निर्णय लिया गया। एसोसिएशन के आह्वन पर अपनी 15 सूत्री मांगों को लेकर करीब 65,000 पुलिसकर्मी बुधवार की मध्य रात्रि से सामूहिक अवकाश पर जाने वाले थे।
बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार सिंह ने बुधवार को बताया कि मुख्यमंत्री और पुलिस महानिदेशक के आश्वासन के बाद हड़ताल के पांचवें चरण के तहत सामूहिक अवकाश पर जाने के निर्णय को नवंबर तक स्थगित रखा गया है। उन्होंने बताया कि उन्हें आश्वस्त किया गया है कि उनकी मांगों को नियमों के अनुरूप जल्द पूरा किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 15 सूत्री मांगों लेकर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राज्य भर के करीब 65 हजार पुलिसकर्मी 10 अक्टूबर की रात 12 बजे से पांच दिनों के लिए सामूहिक अवकाश पर जाने वाले थे। गौरतलब है कि एसोसिएशन की मांगों पर विचार करने के लिए गृह विभाग के प्रस्ताव पर वित्त विभाग ने एक तीन सदस्यीय समिति का भी गठन किया है। इसका गठन राज्य के मुख्य सचिव नवीन कुमार की अध्यक्षता में किया गया। पुलिस एसोसिएशन ने इसके पूर्व अपनी मांगों के समर्थन में 10 सितम्बर को काला बिल्ला लगाकर काम किया था और उसके बाद सभी जिला मुख्यालयों पर धरना दिया था।
साभार-देशबंधु
Sunday, September 30, 2012
UP Police:Locknow: Eco-friendly up police: यूपी पुलिस होगी अब इको-फ्रैंडली
लखनऊ. वो दिन दूर नहीं जब थाने और पुलिस के कामकाज में कागज़ों की दौड़ खत्म हो जायेगी। ना मोटी मोटी फाइलें होंगी और ना ही होगा कागज़ों का पुलिंदा। जी हां, भारत सरकार की खास योजना के तहत 2014 तक थाने पूरी तरह कंप्यूटरीकृत हो जायेंगे। एफआईआर आनलाइन दर्ज होगी और एक क्लिक पर ही केस डायरी, दस्तावेज और सारे रिकार्ड स्क्रीन पर होंगे। अब होगी पेपर की बचत। यह प्रयास उत्तर प्रदेश पुलिस ने पर्यावरण सरक्षण के लिए शुरू किया है। अब उत्तर प्रदेश पुलिस इको फ्रेंडली पुलिस होगी।
यूपी के डीजीपी एसी शर्मा का कहना है की भारत सरकार की एक खास योजना सीसीटीएनएस यानि क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम के ज़रिये वर्चुअल पुलिसिंग की ओर तेज़ी से क़दम बढाये जा रहे हैं। पायलट प्रोजेक्ट के पहले चरण का काम राजधानी लखनऊ के साथ गाजीपुर और मुरादाबाद में तेज़ी पर है। जिसमें थानों के सारे रिकार्ड और दस्तावेज फाइलों और कागज़ों की जगह कंप्यूटर में होंगे। यानि थानों पर सारा का सारा काम बिना पेपर के कंप्यूटर पर होगा। जिसके बाद सभी थानों को कंप्यूटर के ज़रिये आनलाइन जोड़ दिया जायेगा। ऐसा करने से पेपर की खपत कम होगी और पर्यावरण का भी सरक्षण होगा।
शर्मा के मुताबिक, भारत सरकार की ये महत्वाकांक्षी परियोजना 2014 तक पूरी तरह लागू हो जायेगी। इसके बाद पुलिस थानों में महज़ नाम मात्र के लिये ही पेपर पर काम होगा। उम्मीद की जा रही है प्रोजेक्ट के दूसरे चरण में सभी थाने आनलाइन हो जायेंगे। जिसके बाद आर्थिक अपराध शाखा और सीआईडी जैसे विभागों को तीसरे और चौथे चरण में आऩलाइऩ किया जायेगा। चारों चरणों का काम पूरा होने पर प्रदेश भर के पुलिस स्टेशन डेटा और इन्फार्मेशन ऑनलाइन शेयर कर सकेंगे। अधिकारियों की मानें तो ये अपराध रोकने, अपराधी को ट्रेस करने के अलावा बेहतर पुलिसिंग के लिये बेहद उपयोगी होगा।
पुलिस थानों में कंप्यूटर पर काम करने के लिये प्रदेश के सभी जिलों में 62,500 पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग भी दी जाएगी। साथ ही पुलिस स्टेशन में 3 हजार कंप्यूटर डेटा ऑपरेटरों की भी तैनाती की योजना है। बड़े बजट की इस परियोजना के लिये केन्द्र के जरिये मुहैया कराये गये धन से थानों पर एयरकंडीशन सीसीटीएनएस रूम भी बनेंगे। थाने पेपरलेस होने के साथ साथ हाईफाई भी होंगे।
MP Police:Bhopal: SPs Transfers: रायसेन,बड़वानी एसपी के ट्रांसफर
भोपाल। राज्य सरकार ने रायसेन और बड़वानी पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया है। गृह विभाग ने आज दो भारतीय पुलिस सेवा और तीन राज्य पुलिस सेवा के अफसरों की नई पदस्थापना आदेश जारी किए हैं।
मंत्रालय सूत्रों के अनुसार एसपी रायसेन आईपी कुलश्रेष्ठ को सहायक पुलिस महानिरीक्षक पीएचक्यू, एसपी बड़वानी आरएस मीणा को कमांडेंट सशस्त्र बल इंदौर, आरसी बुररा एसपी नारकोटिक्स इंदौर को एसपी बड़वानी, शशिकांत शुक्ला एसपी मुख्यमंत्री सुरक्षा को एसपी रायसेन और शैलेंद्र चौहान एसपी एटीएस को एसपी मुख्यमंत्री सुरक्षा में पदस्थ किया है।
Gujrat Police: Ahmedabad: ट्रेनी महिला एसआई लव ट्राय एंगल के चलते सस्पेंड
AHMEDABAD: A woman police sub-inspector named in a complaint with Gandhinagar police for threat and coercion by a woman was suspended by state director general of police. An inquiry was constituted in the incident. Shilpa Chaudhary, the probationer sub-inspector with Naroda police station, has also been shifted out of the city by the order.
According to officials of Pethapur police station in Gandhinagar district, Preeti Vaghela, wife of Mayursinh Vaghela, had filed a complaint on September 9 against Chaudhary and her relatives for forcing her to divorce her husband. Vaghela and Chaudhary had secretly married each other, she mentioned in the complaint.
Investigators said that the duo met while preparing for the state police recruitment board exams for sub-inspectors a year ago. While Chaudhary cleared the exam, Vaghela failed to make the mark. However, the duo remained in touch and even kept on meeting after Vaghela's marriage to Preeti. When caught, Vaghela remained adamant and stated his wish to remain with Chaudhary after which Preeti filed the police complaint. TNN
As per a press release by the state director general of police's office, Chaudhary has been suspended from the duty with effect from Saturday and an inquiry has been ordered in the incident by higher officials. The senior officials stated that Chaudhary has not reported to her job since the police complaint has been lodged.
courtesy-toi
Police Policy: सुप्रीम कोर्ट का आदेश, पुलिस में क्राइम इवेस्टिगेशन और लॉ एंड आर्डर अलग-अलग विंग हो. Supreme Court directed the separation of investigation and law and order functions of the police;
NEW DELHI: Six years after the Supreme Court directed the separation of investigation and law and order functions of the police; the Union ministry of home affairs (MHA) has decided to approach the finance ministry to provide Central funds to the states to implement what will mark a big boost to law enforcement.
The splitting of the two police functions is considered to be crucial for the administration of justice. Saddled with law and order functions, the police are often unable to pay adequate attention to crime investigation. The inadequate, and often shoddy, probe helps the resourceful criminals, besides leading police to take short cuts to show results: a trend that can result in framing of innocents.
But the implementation of the crucial order has been snagged by the Constitution — a mandated division of labour between Centre and states, and with an acute resource crunch facing the latter. "Law and order" being the responsibility of states, the responsibility of implementation can be said to rest with them. However, states are reluctant to implement because of scarcity of resources.
The MHA's pitch to the finance ministry for funds to help out the cash-strapped states can help tackle the problem.
The approach to the finance ministry comes when terrorism and the growing number of organized crimes have underscored the need for specialized investigating skills which are absent from the repertoire of the police personnel.
The MHA, which is still fine-tuning the proposal, will convey the same to states once it obtains the financial ministry's nod. The MHA will be seeking Central funds to bear a part of the additional burden on states for implementation of this crucial police reform, at least for the first few years.
'Probe quality poor'
An indication of the upcoming proposal was given by Union home secretary RK Singh while addressing a function organized by the LNJN National Institute of Criminology and Forensic Science here on Saturday. While pointing out the "disconnects" in criminal justice system, Singh sought immediate remedies to help the states improve the quality of investigation and prosecution.
Insisting that funds were needed to incentivize the delivery of justice in states, Singh said he was hopeful that the finance ministry would be able to generate the resources.
"Where would the Centre find funds for the incentives? When I go to the finance ministry and ask for funds, I am told that police is a state subject. We need to find the money somewhere. I will be able to persuade my colleagues in the finance ministry to do that," he sought to assure the gathering that comprised police and judicial officers, besides forensic scientists.
Earlier, Singh pointed to the deficiencies in investigation and prosecution of criminal cases in the states. He said several police stations lacked the basic resources for a scientific and professional investigation, which was impairing delivery of justice.
"The quality of investigation leaves much to be desired ... Most police stations do not have the equipment to even pick up fingerprints ... Scientific investigation is a far cry. Unless we take step to professionalize criminal investigation, we will not be able to deliver justice," he said.
Also lamenting the prosecution system, Singh said its separation from investigation in 1973 had "not produced very good results".
Accountability of officers in investigation and prosecution existed in the 1950s and 1960s because courts began trial immediately after the charge sheet, he said.
"If the case resulted in conviction or acquittal, it was a clear commentary on the quality of investigation. (Under the earlier system,) if there were numerous acquittals in cases investigated by an officer, then there would be censure or black mark and they would not get promoted. There was accountability," he added.
Singh also commented on the limited capabilities of forensic laboratories across the country. He said these labs often took two to three years to report back to the investigating officer, by which time the person would have been transferred.
"There are huge vacancies in (in labortatories). Nobody takes interest in the states," he said.
Noting that quick remedies were needed to address the deficiencies in the criminal justice system, Singh said the accused often walked free as the delays often made the people lose interest in pursuing the case.
Monday, September 24, 2012
Gujrat Police: Rajkot: राजकोट में फायरिंग करने वाले पुलिस अधिकारी इन्स्पेक्टर के पी जडेजा को सस्पेंड
सुरेंद्र नगर। गुजरात के राजकोट में फायरिंग करने वाले पुलिस अधिकारी इन्स्पेक्टर के पी जडेजा को सस्पेंड कर दिया गया है। मामले को शांत कराने गए मोदी सरकार के दो मंत्रियों, शिक्षा मंत्री रमण वोहरा और सोशल जस्टिस मंत्री फकीर भाई वाघेला का गुस्साई भीड़ ने घेराव किया। गौरतलब है कि कल पुलिस फायरिंग में तीन लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से नाराज लोग डेड बॉडी को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। लोगों की मांग थी कि उन्हें न्याय मिले।
22 सितंबर की रात तक पूरे थानगांव इलाके में मेले की चहल पहल थी लेकिन 22 सितंबर की देर रात मेले में आए इलाके के कुछ दबंगों और दलित समुदाय के लोगों की आपस में भिड़ंत हो गई। इलाके के लोगों का आरोप है कि पुलिस को हंगामें की खबर मिल गई थी लेकिन पुलिस वालों ने मौके पर पहुंचने में देरी की और तब तक ये झड़प खूनी शक्ल अख्तियार कर चुकी थी।
पुलिस का कहना है कि हालात बेकाबू होता देखकर उसे फायरिंग करनी पड़ी। इस फायरिंग में दलित समुदाय के एक छात्र पंकज की मौत हो गई लेकिन इस मौत के बाद इलाके में तनाव और बढ़ गया। रविवार दोपहर एक बार फिर से नाराज भीड़ ने पथराव शुरु कर दिया। पुलिस ने दोबारा फायरिंग शुरु की और दोबारा दलित समुदाय के ही दो लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा। फायरिंग में एक ही समुदाय के तीन लोगों की मौत के बाद से इलाके में पुलिस के खिलाफ खासी नाराजगी है।
दलित समुदाय के लोगों ने ऐलान कर दिया कि जब तक फायरिंग के कसूरवार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं होती वो मृतकों का दाह संस्कार नहीं करेंगे। उधर, पुलिस वालों का कहना है कि उन पर लगाए जा रहे आरोप बेमानी हैं। पहले दिन की घटना के बाद दूसरे दिन कुछ लोगों ने उकसाने वाली कार्रवाई की। शांति बहाल करने में लगे पुलिस वालों पर जानबूझ कर पथराव किए गए।
पुलिस ने पहले लाठी और आंसू गैस का सहारा लिया, लेकिन जब हालात काबू से बाहर जाते दिखे तो मजबूरी में फायरिंग करनी पड़ी। पुलिस की सफाई अपनी जगह, लेकिन इस घटना ने कई तीखे सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर वक्त रहते झड़प को दबाने की कोशिश क्यों नहीं की गई? तत्काल इलाके के अराजक तत्वों की धर-पकड़ क्यों नहीं की गई? पूरे इलाके में तनाव को पनपने का मौका क्यों दिया गया? और सबसे अहम सवाल पुलिस की गोली से एक ही समुदाय के लोग क्यों मरे?
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