पुलिस की खबरें, सिर्फ पुलिस के लिए ...... An International Police Blog for police personnels and their family, their works, their succes, promotion and transfer, work related issues, their emotions,their social and family activities, their issues and all which related to our police personnels.
Friday, January 4, 2013
Punjab Police: Amritsar: हाईटेक-हाईस्पीड हुई अमृतसर पुलिस: brand new 85 pulser bikes to amritsar police
अमृतसर : उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल द्वारा प्रदेश की पुलिस को सौ करोड़ की राशि से हाइटेक करने की की गई घोषणा के बाद गुरु नगरी की पीसीआर के लिए 85 नए मोटरसाइकिल मिल गए हैं। वीरवार रात ये मोटरसाइकिल अमृतसर सिटी के पुलिस कर्मी मोहाली से लेकर सड़क के रास्ते अमृतसर पहुंचे। शुक्रवार सुबह पुलिस कमिश्नर राम सिंह हरी झंडी देकर इन मोटरसाइकिलों को गुरु नगरी की 'सेवा' के लिए रवाना करेंगे। इस समय केवल पीसीआर में 25 मोटरसाइकिल ही मौजूद हैं। इन मोटरसाइकिलों की संख्या कम होने के कारण ड्यूटी का बोझ पुलिस थानों पर बढ़ गया। जो ड्यूटी पीसीआर के मोटरसाइकिल सवार कर्मी करते थे, वही ड्यूटी संबंधित थानों के एसएचओ और चौकी इंचार्ज करने लगे।
पुलिस कमिश्नर राम सिंह ने पंजाब पुलिस के हेडक्वार्टर में एक पत्र भेजकर सौ नए मोटरसाइकिलों की मांग की थी। पंजाब पुलिस हेडक्वार्टर में 85 नए मोटरसाइकिल देने की मंजूरी दी है। वीरवार सुबह अमृतसर सिटी पुलिस के 85 पुलिस कर्मियों को नए मोटरसाइकिल लेने के लिए मोहाली भेजा गया। दोपहर के समय इन मोटरसाइकिलों को लेकर पुलिस कर्मी अमृतसर के लिए चले। वीरवार रात को सभी मोटरसाइकिल अमृतसर की पुलिस लाइन में पहुंच गए। आधुनिक किस्म के पल्सर मोटरसाइकिलों को पुलिस विभाग के योग्य बनाने के लिए उन्हें पुलिस विभाग के कारीगरों ने अपने ढंग से भी तैयार किया है। इन मोटरसाइकिलों को वीरवार रात ही अमृतसर पुलिस की एमटीओ ब्रांच ने जांचा और जांचने के बाद अपनी रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को भेजा है। शुक्रवार को पुलिस कमिश्नर राम सिंह मोटरसाइकिलों को हरी झंडी दिखाकर ड्यूटी के लिए रवाना करेंगे।
युवा ब्रिगेड के हाथ में होगी कमान
पीसीआर के नए मोटरसाइकिल संबंधित थानों के अंतर्गत ही ड्यूटी करेंगे। इन मोटरसाइकिलों पर जिला पुलिस के पुराने पुलिस कर्मियों को तैनात नहीं किया जाएगा। हाल ही में भर्ती हुए उन पुलिस कर्मियों को इन मोटरसाइकिलों पर तैनात किया जा रहा है, जो अपनी ट्रेनिंग पूरी करके अमृतसर में तैनात हुए हैं। वीरवार को इन पुलिस कर्मियों की सूची तैयार कर उन्हें पुलिस थानों और चौकियों से पुलिस लाइन में बुलाया गया है।
बहादुरगढ़ से लाए जा रहे हैं हथियार
नए पीसीआर मोटरसाइकिलों पर तैनात पुलिस कर्मियों को रिवाल्वर और एके-56 राइफलों से लैस किया जा रहा है। अमृतसर पुलिस के पास इतने रिवाल्वर और असलाह नहीं है। इसलिए बहादुरगढ़ से और असलाह मंगवाया जा रहा है। पुलिस विभाग के आर्म्ड शुक्रवार को अपनी टीम के साथ बहादुरगढ़ से रिवाल्वर, माउजर और अन्य असलाह लेने के लिए जा रहे हैं।
Maharastra Police: Mumbai:महाराष्ट्र पुलिस में ९२ को मिला राष्ट्रपति पुलिस पदक :President's police medals to 92 Police Officials
MUMBAI: The Governor of Maharashtra K Sankaranarayanan on Thursday presented the President's police medals to 92 Police Officers, Personnel at a programme held at Raj Bhavan.
Governor presented the President's Police Medals for Gallantry, President's Police Medals for Distinguished Service and Police Medals for Meritorious Service to 92 Police Officers and Police personnel at an Investiture Ceremony held at Raj Bhavan, Mumbai.
The President's Police Medal for Meritorious Service were presented to Pravin Narayan Dixit, Managing Director, Maharashtra State Police Housing and Welfare Corporation Ltd., Mumbai, Kaushalkumar Pathak, Commissioner of Police, Nagpur City, Bhagwant Dattajirao More, Addl Director General of Police, Railway, Mumbai, Ashok Ganesh Dhivre (Retd.), Addl Director General of Police, CID, Pune, Meghashyam Ramchandra Malegaonkar (Retd.), Addl. Superintendent of Police, Baramati, Pune Rural and Smt Harvindarkaur Varaich, Deputy Commissioner of Police, Training, Sports & Police Welfare, Mumbai.
The Police Medals for Meritorious Service were presented to 86 Police Officers and Police personnel on the occasion. serving and retired police officers and families of police persons honoured at the Investiture ceremony were present on the occasion.
Wednesday, January 2, 2013
Delhi Police: Delhi: बलात्कार रोकने के लिए शुरु किए दिल्ली पुलिस के दो साल पुराने कार्यक्रम 'परिवर्तन' का क्या हुआ? police initiatives Parivartan,
NEW DELHI: Perhaps, if a Delhi Police programme launched in 2005 to prevent rapes had worked as it was intended, the sexual assault on the 23-year-old woman who died last week might not have happened. Seven years ago, the Delhi Police, responding to two sickening rapes on the streets of the Capital that stirred the public, launched a programme called Parivartan (Hindi for 'change') to prevent violence against women.
As police initiatives went, Parivartan, which aimed to reduce the incidence of rape by 25% each year, was more refined than the usual crackdown on miscreants. Correctly identifying rape as a social problem, Parivartan had taken a two-pronged approach.
On the one hand, it sought to make the police force more sensitive towards violence against women. On the other, it reached out to communities, seeking to challenge the social reasons for such attacks.
Parivartan made a promising start, using pantomimes and workshops to create awareness in schools, localities and police stations, sending women cops to patrol neighbourhoods and encouraging women to form a monitoring system in their locality.
The cop who started Parivartan, Sagar Preet Hooda, says the number of rape cases in the districts covered by the programme fell every year between 2006 and 2010.
However, in 2010, with the programme having expanded from one district of the capital to three (of a total of 11 districts), Parivartan petered out after Hooda moved to a new role.
According to Sudhir Yadav, special commissioner of police, traffic, and the person in charge of the women's safety helpline, Parivartan has been scaled up and is currently running in nine districts. However, numbers on each of the programme's specific initiatives and accounts of several people running them belie his claim that the programme is working better than ever.
"It (Parivartan) was not institutionalised," says Rajat Mitra, a clinical psychologist with a specialisation in sexual crimes who worked on Parivartan. "It was a fantastic effort, but it ran into problems like budgetary constraints - all five years, it was run with minimal resources. It was not supported by the top brass who kept directing police energies elsewhere."
The Programme Parivartan was launched in the backdrop of a steep rise in rape incidents in the Capital - according to Delhi Police data, from 381 cases in 2001 to 658 by 2005. About 29% of these cases were from north-west Delhi. In over 95% of the cases, a person known to the victim was the attacker.
Mumbai Police:Mumbai: दिल्ली गैंगरेप पर मुंबई पुलिस कमिश्नर डॉ. सत्यपाल सिंह ने ये क्या कह डाला? mumbai police chief's controversial statement on delhi rape.
दिल्ली गैंग रेप के बाद गैर जिम्मेदराना बयानों का सिलसिला अभी भी थमा नहीं है. ताजा मिसाल है मुंबई के पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह की. सत्यपाल सिंह का कहना है कि गैंग रेप जैसी वारदात के लिए शिक्षण संस्थान कसूरवार हैं.
संस्कारों की दुहाई देकर किस तरह से अपनी खाल बचाई जाती है, कोई मुंबई पुलिस के मुखिया से पूछे. पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह ने मजबूरी का नाम शिक्षा बता दिया और घोषणा कर दी कि देश को झकझोर देने वाले दिल्ली गैंगरेप के पीछे कुछ और नहीं, स्कूलों की पढ़ाई-लिखाई है.
कमिश्नर ने कहा कि दिल्ली के अंदर जो गैंगरेप हुआ वो अपसंस्कृति का परिणाम है. हमारे स्कूलों में जो शिक्षा दी जाती है, वो संस्कारहीन शिक्षा दी जाती है जीवन मूल्य कोई सिखाता नहीं है.
कोई सत्यपाल सिंह से पूछे, दिल्ली गैंगरेप कानून-व्यवस्था का मसला क्यों नहीं है. कमिश्नर सत्यपाल का दार्शनिक मन रात साढ़े नौ बजे हुई इस घटना को पुलिसिया लापरवाही का मुद्दा क्यों नहीं मानता? क्या सत्यपाल सिंह के जेहन में एक बार भी ये बात नहीं आई कि एक अनाम लड़की की मौत पर ऐतिहासिक जज्बात दिखा हुकूमत को हिला देने वाले बच्चे भी इसी देश के स्कूली परिवेश में पले बढ़े हैं.
बाल की खाल निकालते हुए वर्दी को बेदाग ठहराने की कोशिश में सत्यपाल सिंह ने उसी तरह तर्क दिए जैसे एक झूठ को छिपाने के लिए कई झूठ बोलने पड़ते हैं.
उन्होंने पढ़ाई का आत्महत्या से संबंध के बारे में कहा, आत्महत्या अनपढ़ आदमी नहीं करता, यानी पढ़ने से गड़बड़ हो रही है. ऐसी पढ़ाई पढ़ रहे हैं, जिससे आदमी आत्महत्या करने लग रहा है. जितने लोग आत्महत्या करने वाले हैं, ज्यादातर अंग्रेजी पढ़ने वाले करते हैं.
अनपढ़ लोग आत्महत्या नहीं करते और जो अंग्रेजी पढ़ते हैं वे आत्महत्या करते हैं. पता नहीं किस पढ़ाई ने कमिश्नर साहब को सिखाया है कि आंकड़ों के अंदर से अर्थ की जगह अनर्थ ढूंढे जाते हैं.
और भी... http://aajtak.intoday.in/story/mumbai-police-commissioner-blames-education-for-gang-rape-cases-1-717488.html
Police News: Happy New Year: नववर्ष की शुभकामनाएं
मित्रों,
एक साल और बीता, लेकिन इस बीच आपका 'पुलिस न्यूज़' तेजी से अपने पुलिस साथियों के बीच संवाद का एक माध्यम बन गया। हम मानते है कि बीते साल के कुछ महीने हम आपको उतनी बातें नहीं बता पाए, जितनी सोची थी। लेकिन कहते है ना जो सोचो वो हमेशा नहीं होता। अब भला सोचने पर पोस्टिंग मिल जाती तो फिर कौन हेडक्वार्टर जाता। कुछ ऐसे ही हमारे साथ हुआ।
नए साल-२०१३ में पुलिस न्यूज़ की कोशिश रहेगी कि हम पुलिस पॉलिसी, पुलिस सुधार, पुलिसिंग में गुणात्मक सुधार जैसे कई विषयों पर बहस कराएं। ज्यादा से ज्यादा अपने पुलिस मित्रों को अपने इस संवाद माध्यम से जोड़े।
नए साल-२०१३ में पुलिस न्यूज आपके सामने एक न्यूज पोर्टल के रुप में आने की तैयारी में है। कोशिश होगी हर थाना लेवल पर एक रिपोर्टर नियुक्त करने की, जो आपसे मिल सके और आपकी आवाज हम दुनिया तक पहुंचा सकें।
आपके सुझाव भी इस नए साल में हमारे लिए अमूल्य साबित होंगे।
नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ,
आपका,
संपादक,
पुलिस न्यूज़
इंडिया.
Punjab Police:Jalandhar: जालंधर पुलिस का नया प्रयोग, गर्ल्स स्कूल-कॉलेजों के बाहर होर्डिंग्स पर होगे एसपी साहब, थानेदार के नंबर
जालंधर : छेड़खानी के मामलों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस अब एक नया प्रयास करने जा रही है। पुलिस अब शहर के स्कूल-कालेजों के बाहर होर्डिग्स लगाने जा रही है। इन होर्डिग्स पर बीट इंचार्ज, एसएचओ और एसीपी के नंबर लिखे जाएंगे। ऐसे में छेड़खानी की घटना पर किसी भी लड़की के लिए पुलिस को फोन करना आसान होगा।
जालंधर पुलिस ने बीट सिस्टम का लाभ छेड़खानी की घटनाओं में उठाने की योजना बनाई है। पुलिस ने शहर को 107 टुकड़ों में बांट कर जो बीट सिस्टम बनाया है। उस सिस्टम के अधीन छेड़खानी के मामले रोकने का प्रयास भी किया जा रहा है। सभी बीट इंचार्ज अपने इलाके में आते स्कूल और कालेजों की सूची बना रहे हैं। इस सूची के बाद सबडिवीजन स्तर पर एसीपी की जिम्मेवारी होगी कि वह अपने इलाके के स्कूल-कालेजों के बाहर पुलिस सहायता नंबरों का विवरण उपलब्ध करवाए। एसीपी रविंदर पाल सिंह संधू ने बताया कि स्कूल-कालेजों के बाहर बीट इंचार्ज, संबधित थाना, कंट्रोल रूम और हैल्पलाइन के नंबर प्रकाशित किए जाएंगे। ऐसे में यदि किसी से भी छेड़खानी होती है या मनचले स्कूल-कालेजों के बाहर लड़कियों को परेशान करते हैं तो उनके लिए पुलिस को सूचना देना आसान हो जाएगा। इसके अलावा बीट सिस्टम के चलते पुलिस का समय पर पहुंचना भी आसान हो जाए। उन्होंने कहा कि इस प्रयास के अच्छे नतीजे सामने आएंगे।
Police Policy: New Delhi: waiting for police reforms: माडर्न पुलिस एक्ट और पुलिस सुधारों को क्या हुआ? Neither the Centre nor states have been pro-active to improve the quality of policing. Official records show that only 14 states have either enacted the new Police Act or amended their existing laws to incorporate SC's suggestions
NEW DELHI: Each time there is a major crime in any metro or terror attack in the country's mainland, there is a renewed nationwide war cry on reforming India's archaic police system. However, all these seem to fall on the government's deaf ears, leaving recommendations on much needed-reform — as suggested by various expert panels as well as the Supreme Court — gathering dust.
Neither the Centre nor states have been pro-active to improve the quality of policing. Official records show that only 14 states have either enacted the new Police Act or amended their existing laws to incorporate SC's suggestions.
States like Uttar Pradesh, Maharashtra, Madhya Pradesh, Karnataka, Andhra Pradesh, Tamil Nadu, Odisha and West Bengal have been laggards.
The apex court in its September, 2006, judgment had come out with seven key suggestions, including prescribing minimum tenure of two years for state police chief and officers on operational duties, separating investigation and law and order functions of police and several other measures to insulate police personnel from political interference in discharging their day-to-day duties.
Even the Model Police Act - submitted by an expert committee a month later - could not be translated into legislation, with the home ministry failing to put it before Parliament. The Act, incorporates several suggestions including creation of state police board (for deciding on promotion and transfers of cops), ensure fixed tenure of police chief and other key functionaries, earmarking dedicated personnel for crime investigation and improved service condition of policemen.
Retired IPS officer Prakash Singh, on whose petition the SC had come out with its judgment in 2006, on Monday said, "Reforms are not happening due to states' cussedness. Chief Ministers treat police department as their 'zamindari' (fiefdom). They are against reforms because they don't want to give police autonomy".
Singh said the Union home ministry too did not act in the manner it was expected to, but the states were more to blame for the status quo.
Police being a state subject under Indian Constitution, it was the responsibility of states to legislate on issues concerning law and order in the federal set up, he added.
Assam, Bihar, Chhattisgarh, Gujarat, Haryana, Himachal Pradesh, Kerala, Meghalaya, Mizoram, Punjab, Rajasthan, Sikkim, Tripura and Uttarakhand, however, have initiated marginal reforms. Though these states have enacted the new Police Act, most of them retain the powers of politicians (chief ministers) to have a say in appointment of police chief and other top posts.
The laws are mainly focused on setting up of police complaints authority (to look into complaints against police officers) which is only one of the seven key directives of the Supreme Court.
Measures like setting up of state security commission (to check political or bureaucratic pressure on police); merit-based selection of state police chief from among three senior most cops; giving them security of tenure; separate the investigation and law and order functions of the police and setting up of police establishment board (deciding all transfers, promotions, postings and other service related matters) are yet to see the light of day.
Besides, the apex court had also directed setting up of a National Security Commission at Union level for selection of chiefs of central police organizations, including the seven paramilitary forces.
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