Friday, January 4, 2013

AP Police:Hyderabad: एडिशनल डीजी की फिटनेस देखो, 700 किमी साइकल : ADG Police AP Police ride bysicle to 700 km

आंध्र प्रदेश के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी राजीव त्रिवेदी ने लगभग 700 किलोमीटर की दूरी तक साइकिल सवारी करके एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है. 51 वर्षीय अतरिक्त पुलिस महानिदेशक त्रिवेदी ने विशाखापटनम से हैदराबाद तक की यह दूरी आठ दिन में पूरी की. इस यात्रा में लगभग पंद्रह अन्य लोग भी शामिल थे जिनमें सुरक्षा दलों के सदस्य और कुछ आम लोग भी थे. त्रिवेदी की यह साइकिल यात्रा, देश के इतिहास में हुई पहली ट्रायथलन (triathlon) का भाग थी जिसमें त्रिवेदी ने साइकिल सवारी के साथ तैराकी और दौड़ में भी अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया. भारतीय पुलिस की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुई इस ट्रायथलन में पहले त्रिवेदी ने भीमुनीपटनम से विशाखापटनम त़क समुद्र में 25 किलोमीटर तक तैराकी की. उसके बाद उन्होंने विशाखापटनम से हैदराबाद के लिए साइकिल पर यात्रा की जो हैदराबाद में समाप्त हुई. पार्टी के लिए समय है, कसरत के लिए नहीं... "सॉफ्टवेयर इंजीनियर मेनन उन लोगों के लिए एक सबक हैं जो यह कह कर एक्सरसाइज़ नहीं करते कि उनके पास समय नहीं है लेकिन वही लोग पार्टियों में बहुत सारा समय बिताते हैं"." राजीव त्रिवेदी, आईपीएस अधिकारी अपनी फिटनेस के लिए मशहूर आईपीएस अधिकारी राजीव त्रिवेदी इससे पहले भी लंबी दूरी तक तैराकी के कई रिकॉर्ड स्थापित कर चुके हैं. उन्होंने 25 मार्च 2011 को श्रीलंका और तमिलनाडू के बीच पाक स्टरेट की 30 किलोमीटर की दूरी 12 घंटे और 31 मिनट में तैर कर तय की थी और वो ऐसा करने वाले सबसे बड़ी उम्र के पहले व्यक्ति बन गए थे. इससे दस वर्ष पहले वो 32 किलोमीटर लंबे इंग्लिश चैनल को भी तैर कर पार कर चुके हैं जिसमें उन्हें 13 घंटे लगे थे और नित नए खतरों का सामना करना पड़ा. उसी वर्ष उन्होंने स्पेन में करिफा से लेकर मोरक्को के तट तक स्ट्रेट ऑफ़ जिब्राल्टर की 20 किलोमीटर की दूरी आठ घंटे में तैर कर तय की थी और इसमें उन्हें शार्क मछलियों से भी बचना पड़ा था . त्रिवेदी का कहना है की इस तरह की कठनाई से भरे अभियान से न केवल उन्हें शारीरिक रूप से मज़बूत बनने में सहायता मिलती है बल्कि वो मानसिक रूप से भी मज़बूत हुए हैं. उनका कहना था, "इस ट्रायथलन का मकसद यह संदेश लोगों तक पहुँचना था कि स्वस्थ और फिट रहना कितना ज़रूरी और महत्वपूर्ण है". राजीव त्रिवेदी इस बात पर बहुत खुश थे कि उनके इस अभियान में उनके साथ माइक्रोसॉफ्ट के एक सॉफ्टवेर इंजिनियर सुनील मेनोन भी थे. उन्होंने कहा, "मेनन उन लोगों के लिए एक सबक हैं जो यह कह कर एक्सरसाइज़ नहीं करते कि उनके पास समय नहीं है लेकिन वही लोग पार्टियों में बहुत सारा समय बिताते हैं".

Punjab Police: Amritsar: हाईटेक-हाईस्पीड हुई अमृतसर पुलिस: brand new 85 pulser bikes to amritsar police

अमृतसर : उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल द्वारा प्रदेश की पुलिस को सौ करोड़ की राशि से हाइटेक करने की की गई घोषणा के बाद गुरु नगरी की पीसीआर के लिए 85 नए मोटरसाइकिल मिल गए हैं। वीरवार रात ये मोटरसाइकिल अमृतसर सिटी के पुलिस कर्मी मोहाली से लेकर सड़क के रास्ते अमृतसर पहुंचे। शुक्रवार सुबह पुलिस कमिश्नर राम सिंह हरी झंडी देकर इन मोटरसाइकिलों को गुरु नगरी की 'सेवा' के लिए रवाना करेंगे। इस समय केवल पीसीआर में 25 मोटरसाइकिल ही मौजूद हैं। इन मोटरसाइकिलों की संख्या कम होने के कारण ड्यूटी का बोझ पुलिस थानों पर बढ़ गया। जो ड्यूटी पीसीआर के मोटरसाइकिल सवार कर्मी करते थे, वही ड्यूटी संबंधित थानों के एसएचओ और चौकी इंचार्ज करने लगे। पुलिस कमिश्नर राम सिंह ने पंजाब पुलिस के हेडक्वार्टर में एक पत्र भेजकर सौ नए मोटरसाइकिलों की मांग की थी। पंजाब पुलिस हेडक्वार्टर में 85 नए मोटरसाइकिल देने की मंजूरी दी है। वीरवार सुबह अमृतसर सिटी पुलिस के 85 पुलिस कर्मियों को नए मोटरसाइकिल लेने के लिए मोहाली भेजा गया। दोपहर के समय इन मोटरसाइकिलों को लेकर पुलिस कर्मी अमृतसर के लिए चले। वीरवार रात को सभी मोटरसाइकिल अमृतसर की पुलिस लाइन में पहुंच गए। आधुनिक किस्म के पल्सर मोटरसाइकिलों को पुलिस विभाग के योग्य बनाने के लिए उन्हें पुलिस विभाग के कारीगरों ने अपने ढंग से भी तैयार किया है। इन मोटरसाइकिलों को वीरवार रात ही अमृतसर पुलिस की एमटीओ ब्रांच ने जांचा और जांचने के बाद अपनी रिपोर्ट पुलिस कमिश्नर को भेजा है। शुक्रवार को पुलिस कमिश्नर राम सिंह मोटरसाइकिलों को हरी झंडी दिखाकर ड्यूटी के लिए रवाना करेंगे। युवा ब्रिगेड के हाथ में होगी कमान पीसीआर के नए मोटरसाइकिल संबंधित थानों के अंतर्गत ही ड्यूटी करेंगे। इन मोटरसाइकिलों पर जिला पुलिस के पुराने पुलिस कर्मियों को तैनात नहीं किया जाएगा। हाल ही में भर्ती हुए उन पुलिस कर्मियों को इन मोटरसाइकिलों पर तैनात किया जा रहा है, जो अपनी ट्रेनिंग पूरी करके अमृतसर में तैनात हुए हैं। वीरवार को इन पुलिस कर्मियों की सूची तैयार कर उन्हें पुलिस थानों और चौकियों से पुलिस लाइन में बुलाया गया है। बहादुरगढ़ से लाए जा रहे हैं हथियार नए पीसीआर मोटरसाइकिलों पर तैनात पुलिस कर्मियों को रिवाल्वर और एके-56 राइफलों से लैस किया जा रहा है। अमृतसर पुलिस के पास इतने रिवाल्वर और असलाह नहीं है। इसलिए बहादुरगढ़ से और असलाह मंगवाया जा रहा है। पुलिस विभाग के आ‌र्म्ड शुक्रवार को अपनी टीम के साथ बहादुरगढ़ से रिवाल्वर, माउजर और अन्य असलाह लेने के लिए जा रहे हैं।

Maharastra Police: Mumbai:महाराष्ट्र पुलिस में ९२ को मिला राष्ट्रपति पुलिस पदक :President's police medals to 92 Police Officials

MUMBAI: The Governor of Maharashtra K Sankaranarayanan on Thursday presented the President's police medals to 92 Police Officers, Personnel at a programme held at Raj Bhavan. Governor presented the President's Police Medals for Gallantry, President's Police Medals for Distinguished Service and Police Medals for Meritorious Service to 92 Police Officers and Police personnel at an Investiture Ceremony held at Raj Bhavan, Mumbai. The President's Police Medal for Meritorious Service were presented to Pravin Narayan Dixit, Managing Director, Maharashtra State Police Housing and Welfare Corporation Ltd., Mumbai, Kaushalkumar Pathak, Commissioner of Police, Nagpur City, Bhagwant Dattajirao More, Addl Director General of Police, Railway, Mumbai, Ashok Ganesh Dhivre (Retd.), Addl Director General of Police, CID, Pune, Meghashyam Ramchandra Malegaonkar (Retd.), Addl. Superintendent of Police, Baramati, Pune Rural and Smt Harvindarkaur Varaich, Deputy Commissioner of Police, Training, Sports & Police Welfare, Mumbai. The Police Medals for Meritorious Service were presented to 86 Police Officers and Police personnel on the occasion. serving and retired police officers and families of police persons honoured at the Investiture ceremony were present on the occasion.

Wednesday, January 2, 2013

Delhi Police: Delhi: बलात्कार रोकने के लिए शुरु किए दिल्ली पुलिस के दो साल पुराने कार्यक्रम 'परिवर्तन' का क्या हुआ? police initiatives Parivartan,

NEW DELHI: Perhaps, if a Delhi Police programme launched in 2005 to prevent rapes had worked as it was intended, the sexual assault on the 23-year-old woman who died last week might not have happened. Seven years ago, the Delhi Police, responding to two sickening rapes on the streets of the Capital that stirred the public, launched a programme called Parivartan (Hindi for 'change') to prevent violence against women. As police initiatives went, Parivartan, which aimed to reduce the incidence of rape by 25% each year, was more refined than the usual crackdown on miscreants. Correctly identifying rape as a social problem, Parivartan had taken a two-pronged approach. On the one hand, it sought to make the police force more sensitive towards violence against women. On the other, it reached out to communities, seeking to challenge the social reasons for such attacks. Parivartan made a promising start, using pantomimes and workshops to create awareness in schools, localities and police stations, sending women cops to patrol neighbourhoods and encouraging women to form a monitoring system in their locality. The cop who started Parivartan, Sagar Preet Hooda, says the number of rape cases in the districts covered by the programme fell every year between 2006 and 2010. However, in 2010, with the programme having expanded from one district of the capital to three (of a total of 11 districts), Parivartan petered out after Hooda moved to a new role. According to Sudhir Yadav, special commissioner of police, traffic, and the person in charge of the women's safety helpline, Parivartan has been scaled up and is currently running in nine districts. However, numbers on each of the programme's specific initiatives and accounts of several people running them belie his claim that the programme is working better than ever. "It (Parivartan) was not institutionalised," says Rajat Mitra, a clinical psychologist with a specialisation in sexual crimes who worked on Parivartan. "It was a fantastic effort, but it ran into problems like budgetary constraints - all five years, it was run with minimal resources. It was not supported by the top brass who kept directing police energies elsewhere." The Programme Parivartan was launched in the backdrop of a steep rise in rape incidents in the Capital - according to Delhi Police data, from 381 cases in 2001 to 658 by 2005. About 29% of these cases were from north-west Delhi. In over 95% of the cases, a person known to the victim was the attacker.

Mumbai Police:Mumbai: दिल्ली गैंगरेप पर मुंबई पुलिस कमिश्नर डॉ. सत्यपाल सिंह ने ये क्या कह डाला? mumbai police chief's controversial statement on delhi rape.

दिल्ली गैंग रेप के बाद गैर जिम्मेदराना बयानों का सिलसिला अभी भी थमा नहीं है. ताजा मिसाल है मुंबई के पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह की. सत्यपाल सिंह का कहना है कि गैंग रेप जैसी वारदात के लिए शिक्षण संस्थान कसूरवार हैं. संस्कारों की दुहाई देकर किस तरह से अपनी खाल बचाई जाती है, कोई मुंबई पुलिस के मुखिया से पूछे. पुलिस कमिश्नर सत्यपाल सिंह ने मजबूरी का नाम शिक्षा बता दिया और घोषणा कर दी कि देश को झकझोर देने वाले दिल्ली गैंगरेप के पीछे कुछ और नहीं, स्कूलों की पढ़ाई-लिखाई है. कमिश्नर ने कहा कि दिल्ली के अंदर जो गैंगरेप हुआ वो अपसंस्कृति का परिणाम है. हमारे स्कूलों में जो शिक्षा दी जाती है, वो संस्कारहीन शिक्षा दी जाती है जीवन मूल्य कोई सिखाता नहीं है. कोई सत्यपाल सिंह से पूछे, दिल्ली गैंगरेप कानून-व्यवस्था का मसला क्यों नहीं है. कमिश्नर सत्यपाल का दार्शनिक मन रात साढ़े नौ बजे हुई इस घटना को पुलिसिया लापरवाही का मुद्दा क्यों नहीं मानता? क्या सत्यपाल सिंह के जेहन में एक बार भी ये बात नहीं आई कि एक अनाम लड़की की मौत पर ऐतिहासिक जज्बात दिखा हुकूमत को हिला देने वाले बच्चे भी इसी देश के स्कूली परिवेश में पले बढ़े हैं. बाल की खाल निकालते हुए वर्दी को बेदाग ठहराने की कोशिश में सत्यपाल सिंह ने उसी तरह तर्क दिए जैसे एक झूठ को छिपाने के लिए कई झूठ बोलने पड़ते हैं. उन्होंने पढ़ाई का आत्महत्या से संबंध के बारे में कहा, आत्महत्या अनपढ़ आदमी नहीं करता, यानी पढ़ने से गड़बड़ हो रही है. ऐसी पढ़ाई पढ़ रहे हैं, जिससे आदमी आत्महत्या करने लग रहा है. जितने लोग आत्महत्या करने वाले हैं, ज्यादातर अंग्रेजी पढ़ने वाले करते हैं. अनपढ़ लोग आत्महत्या नहीं करते और जो अंग्रेजी पढ़ते हैं वे आत्महत्या करते हैं. पता नहीं किस पढ़ाई ने कमिश्नर साहब को सिखाया है कि आंकड़ों के अंदर से अर्थ की जगह अनर्थ ढूंढे जाते हैं. और भी... http://aajtak.intoday.in/story/mumbai-police-commissioner-blames-education-for-gang-rape-cases-1-717488.html

Police News: Happy New Year: नववर्ष की शुभकामनाएं

मित्रों, एक साल और बीता, लेकिन इस बीच आपका 'पुलिस न्यूज़' तेजी से अपने पुलिस साथियों के बीच संवाद का एक माध्यम बन गया। हम मानते है कि बीते साल के कुछ महीने हम आपको उतनी बातें नहीं बता पाए, जितनी सोची थी। लेकिन कहते है ना जो सोचो वो हमेशा नहीं होता। अब भला सोचने पर पोस्टिंग मिल जाती तो फिर कौन हेडक्वार्टर जाता। कुछ ऐसे ही हमारे साथ हुआ। नए साल-२०१३ में पुलिस न्यूज़ की कोशिश रहेगी कि हम पुलिस पॉलिसी, पुलिस सुधार, पुलिसिंग में गुणात्मक सुधार जैसे कई विषयों पर बहस कराएं। ज्यादा से ज्यादा अपने पुलिस मित्रों को अपने इस संवाद माध्यम से जोड़े। नए साल-२०१३ में पुलिस न्यूज आपके सामने एक न्यूज पोर्टल के रुप में आने की तैयारी में है। कोशिश होगी हर थाना लेवल पर एक रिपोर्टर नियुक्त करने की, जो आपसे मिल सके और आपकी आवाज हम दुनिया तक पहुंचा सकें। आपके सुझाव भी इस नए साल में हमारे लिए अमूल्य साबित होंगे। नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ, आपका, संपादक, पुलिस न्यूज़ इंडिया.

Punjab Police:Jalandhar: जालंधर पुलिस का नया प्रयोग, गर्ल्स स्कूल-कॉलेजों के बाहर होर्डिंग्स पर होगे एसपी साहब, थानेदार के नंबर

जालंधर : छेड़खानी के मामलों पर शिकंजा कसने के लिए पुलिस अब एक नया प्रयास करने जा रही है। पुलिस अब शहर के स्कूल-कालेजों के बाहर होर्डिग्स लगाने जा रही है। इन होर्डिग्स पर बीट इंचार्ज, एसएचओ और एसीपी के नंबर लिखे जाएंगे। ऐसे में छेड़खानी की घटना पर किसी भी लड़की के लिए पुलिस को फोन करना आसान होगा। जालंधर पुलिस ने बीट सिस्टम का लाभ छेड़खानी की घटनाओं में उठाने की योजना बनाई है। पुलिस ने शहर को 107 टुकड़ों में बांट कर जो बीट सिस्टम बनाया है। उस सिस्टम के अधीन छेड़खानी के मामले रोकने का प्रयास भी किया जा रहा है। सभी बीट इंचार्ज अपने इलाके में आते स्कूल और कालेजों की सूची बना रहे हैं। इस सूची के बाद सबडिवीजन स्तर पर एसीपी की जिम्मेवारी होगी कि वह अपने इलाके के स्कूल-कालेजों के बाहर पुलिस सहायता नंबरों का विवरण उपलब्ध करवाए। एसीपी रविंदर पाल सिंह संधू ने बताया कि स्कूल-कालेजों के बाहर बीट इंचार्ज, संबधित थाना, कंट्रोल रूम और हैल्पलाइन के नंबर प्रकाशित किए जाएंगे। ऐसे में यदि किसी से भी छेड़खानी होती है या मनचले स्कूल-कालेजों के बाहर लड़कियों को परेशान करते हैं तो उनके लिए पुलिस को सूचना देना आसान हो जाएगा। इसके अलावा बीट सिस्टम के चलते पुलिस का समय पर पहुंचना भी आसान हो जाए। उन्होंने कहा कि इस प्रयास के अच्छे नतीजे सामने आएंगे।