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Friday, December 28, 2012
Bihar Police: plain cloth women police in public places: बिहार में छेड़खानी की, तो सादे कपड़ों में तैनात पुलिस मैडम पकड़ लेंगी
महिला की सुरक्षा के लिए बिहार में सभी प्रमुख स्थलों पर सादी वर्दी में महिला पुलिसकर्मियों को तैनात करने के आदेश दिए है.
इसके तहत एसपी संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित कर रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड, बाजार, मॉल, सिनेमा हॉल आदि प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाने की पहल करेंगे. इसके अलावा इन जगहों पर सादी वर्दी में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती के भी आदेश दिए गए हैं.
दिल्ली में हुए गैंगरेप की घटना के बाद महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सख्त कदम उठाने की कवायद शुरू हो गयी है. बिहार पुलिस ने भी जिलों में तैनात अपने सभी एसपी को उच्चतम न्यायालय द्वारा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर जारी किए गए गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित करने को कहा है.
आईजी (कमजोर वर्ग) अरविंद पांडेय ने बताया कि महिलाओं के विरुद्ध होनेवाली घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस अधीक्षकों को उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन सख्ती से करने का निर्देश दिया गया है.
इसके तहत एसपी संबंधित विभागों से समन्वय स्थापित कर रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड, बाजार, मॉल, सिनेमा हॉल आदि प्रमुख सार्वजनिक स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाने की पहल करेंगे. इसके अलावा इन जगहों पर सादी वर्दी में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती के भी आदेश दिए गए हैं.
ताकि वे घटनाओं पर अंकुश लगाने के साथ असामाजिक तत्वों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई कर सकें. सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम जैसे बस व ऑटो में किसी महिला के साथ छेड़खानी की घटना होने पर उसके ड्राइवर और कंडक्टर को स्थानीय पुलिस को सूचना देनी है. जरूरी होने पर वे पास के थाने में गाड़ी ले जाएं. यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो ड्राइवर की लाइसेंस और गाड़ी का परमिट रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी.
आईजी के मुताबिक इसके अलावा संबंधित संस्थान के प्रभारी को भी उनके दायित्वों का निर्वहन करना होगा. स्कूल आदि जगहों पर छेड़खानी या कोई दूसरी घटना होती है तो उसके प्रभारी तत्काल पुलिस को सूचना दें. संभव हो तो वह उसे रोकने के लिए हस्तक्षेप भी करें. यह उनका दायित्व बनता है और ऐसा नहीं करने पर सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है
UP Police: Human Right Commission fined police party in encounter case: एनकाउंटर करने गए थे, अब पांच लाख मुआवजा देना होगा
गाजीपुर : मानवाधिकार ने पुलिस की परेशानी बढ़ा दी है। इनामी बदमाश राधे उर्फ राधेश्याम के मामले में मुठभेड़ में शामिल पुलिस कर्मियों पर पांच लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है। साथ ही पुलिस अधीक्षक से मामले की जांच कराने को कहा है। वर्ष 2008 में उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता गहमर के अलख सिंह पुत्र बलवंत सिंह की हत्या कर दी गई थी। जिसमें नंदगंज थाने के महमूदपुर पाली के इनामी राधे उर्फ राधेश्याम का नाम प्रकाश में आया था।
बीते 23 जून 2010 को जिले की पुलिस ने उसे मुठभेड़ में मार गिराया था। पुलिस टीम में एसओजी प्रभारी वीके मिश्र, बहरियाबाद के तत्कालीन थानाध्यक्ष संजय यादव व नंदगंज रणजीत राय शामिल थे। बाद में राधे के परिजनों ने मानवाधिकार के यहां शिकायत की थी कि राधे को पुलिस ने घर से उठाकर मारा। वह नितांत गरीब है। मानवाधिकार ने सुनवाई के बाद मामले की पुन: जांच कर पुलिस टीम को पांच लाख रुपये देने को कहा है। मामले की जांच एएसपी नगर मानसिंह चौहान कर रहे है।
इस बाबत पूछे जाने पर श्री चौहान ने बताया कि मानवाधिकार आयोग का पत्र मिला है। मामले की जांच पूर्व में भी एक बार हो चुकी है। राधे उर्फ राधेश्याम शातिर अपराधी था। सुपारी पर घटनाओं को अंजाम देता था। मामले की जांच की जा रही है।
Delhi Police: CP summoned by Parliament committee: दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार को संसदीय समिति ने तलब किया।
सामूहिक बलात्कार की वारदात के बाद दिल्ली सहित देश भर में फूटे गुस्से और जोरदार प्रदर्शनों के बीच संसद की एक समिति ने गुरुवार को दिल्ली के पुलिस आयुक्त नीरज कुमार से जवाब-तलब किया। समिति ने अधिकारी स्तर पर रिक्त पद और गश्त के लिए वाहनों की कमी जैसे कमियों की ओर इशारा किया।
गृह संबंधी संसद की स्थायी समिति के समक्ष पुलिस आयुक्त पेश हुए और समिति ने उनसे दिल्ली में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर सवाल किया। गृह सचिव आर के सिंह को भी समिति ने तलब किया था, लेकिन वह नहीं आ सके। नीरज कुमार ने वारदात को सिलसिलेवार ढंग से बताया और समिति से कहा कि पुलिस नियंत्रण कक्ष वैनें ने अपराध की सूचना मिलते ही तत्काल हरकत में आयीं।
समझा जाता है कि उन्होंने समिति से कहा है कि पुलिस की जांच से आरोपियों को जल्द से जल्द पकडा जा सका।
पुलिस आयुक्त से सवाल किये जाते समय कांग्रेस सदस्य संदीप दीक्षित ने कहा कि कमरों में बैठे अधिकारियों और जमीन पर काम कर रहे अधिकारियों के बीच कोई तालमेल नहीं है। दीक्षित ने ही बर्बर बलात्कार की शिकार छात्रा को न्याय दिलाने के लिए इंडिया गेट पर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस कार्रवाई के लिए नीरज कुमार के इस्तीफे की मांग की थी।
समझा जाता है कि दीक्षित ने कहा कि थाना प्रभारी से निचले स्तर के अधिकारी अपने वरिष्ठों के आदेश को कम ही मानते हैं और अक्सर अपने आप कार्रवाई कर देते हैं। संदीप दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बेटे हैं, जो दिल्ली पुलिस को राज्य के नियंत्रण लाने की मांग कर रही हैं।
Thursday, December 27, 2012
Delhi Police: Constable death eyewitness: दिल्ली पुलिस ने दोनों चश्मदीदों को भेजा नोटिस, कहा-देखा है तो जांच में शामिल हो.
नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की मौत के मामले में पुलिस के दावे पर सवाल उठाने वाले एक युवक और उसकी दोस्त को जांच में शामिल होने के लिए कहा है।
पुलिस ने इस संबंध में योगेंद्र और उसकी दोस्त पाओलिन को नोटिस भेजा है। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा.टीएससिद्धू को भी इस जांच का हिस्सा बनने के लिए कहा गया है। उन्होंने ही कहा था कि तोमर को बाहरी या अंदरुनी चोटें नहीं आई थीं।
रविवार को हुए हिंसक प्रदर्शन में घायल कांस्टेबल तोमर की मौत के कारण को लेकर तब विवाद हो गया था जब सरकारी अस्पताल द्वारा कहा गया था कि तोमर के शरीर पर कोई बाहरी या अंदरुनी चोट के निशान नहीं थे। जबकि बाद में आई पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में इसके विपरीत तथ्य सामने आए।
अस्पताल में चिकित्सकों द्वारा किए गए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट के एक हिस्से को कल दिल्ली पुलिस ने जारी किया था। रिपोर्ट पढ़ते हुए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त केसी द्विवेदी ने बताया कि किसी बाहरी प्रहार के कारण गर्दन और सीने पर आयी अनेक चोटों के चलते दिल का दौरा पड़ा और इससे जुड़ी अन्य जटिलताएं पैदा हुईं।
वहीं, दोनों चश्मदीदों का दावा है कि जब इंडिया गेट के पास कांस्टेबल तोमर जमीन पर गिरे और उन दोनों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया तो उन्हें उनके शरीर पर कोई चोट नहीं दिखी। राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. टीएस सिद्धू ने कहा था कि कटने के कुछ निशान और छिले होने के निशानों के अलावा उनके शरीर पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं थे।
हमारे रिकार्ड के अनुसार कोई गंभीर अंदरुनी चोट नहीं है लेकिन असल बात पोस्ट मार्टम के बाद ही सामने आएगी। योगेंद्र और उनकी दोस्त पाओलिन ने पुलिस के उस दावे पर सवाल उठाए थे, जिसमें कहा गया था कि कांस्टेबल की पिटाई की गयी थी जिससे उनकी मौत हो गई। दोनों का कहना था कि तोमर स्वयं ही गिर गए थे।
गौर हो कि दिल्लीय पुलिस के कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की मौत के कारणों पर भी सवाल उठने लगे हैं। इंडिया गेट पर प्रदर्शन के दौरान कांस्टेीबल की मौत का दावा दिल्लीम पुलिस की ओर से किया गया था, वहीं मौके पर मौजूद एक चश्मकदीद ने बुधवार को दावा किया कि कांस्टेलबल को प्रदर्शनकारियों ने नहीं पीटा था बल्कि पैदल चलते समय वह गश खाकर गिर पड़े थे।
वहीं, राम मनोहर लोहिया अस्प्ताल के डॉक्टीर पीएस सिद्धू ने कहा कि कांस्टेकबल सुभाष चंद तोमर के शरीर पर गंभीर चोट के निशान नहीं थे। जब कांस्टेहबल को अस्प ताल लाया गया था, उस समय शरीर के अदंरुनी और बाहरी हिस्सेर में भी कोई बड़ा जख्मं नहीं था। डॉक्टकर ने यह भी कहा कि
शरीर में कोई फ्रैक्चर नहीं था, हालांकि, तोमर के घुटने और छाती पर कुछ जख्म थे।
पत्रकारिता के छात्र योगेंद्र ने पुलिस के उस तर्क पर सवाल उठाए हैं जिसमें बताया गया था कि कांस्टेबल सुभाष चंद तोमर की प्रदर्शनकारियों ने पिटाई की जिसके चलते उनकी मौत हो गई। योगेंद्र का कहना है कि तोमर स्वयं ही गिर गए। राम मनोहर अस्पताल के चिकित्सकों ने कहा कि जब कांस्टेबल तोमर को अस्पताल लाया गया तो उनके शरीर पर चोटों के निशान नहीं थे। उनको हृदयाघात आया था। चश्मदीद योगेंद्र ने कहा कि वह अपनी एक मित्र पाओलिन के साथ इंडिया गेट पर था। उसने बताया कि मैनें एक पुलिसकर्मी को देखा जो प्रदर्शनकारियों की ओर भाग रहा था और अचानक गिर गया। हम उसकी ओर बढ़े, उसके पास कुछ पुलिसकर्मी भी खड़े थे। अचानक से वह पुलिसकर्मी अन्य प्रदर्शनकारियों की ओर बढ़ गए।
योगेंद्र ने कहा कि मैं एक पीसीआर वैन की ओर बढ़ा, जिससे उसे अस्पताल ले जाया गया। मैं भी उनके साथ उसी वाहन में बैठकर गया। उनके शरीर पर चोटों के निशान नहीं थे। न ही उन्हें भीड़ द्वारा कुचला गया था न ही उन पर हमला किया गया। पुलिस के दावे झूठे हैं। मैं यह सुनकर हैरान हूं कि उनकी मौत के सिलसिले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
Wednesday, December 26, 2012
Delhi Police: DP Constable Death: चश्मदीद का कहना, सिपाही सुभाष तोमर को प्रदर्शनकारियों ने नहीं मारा।
नईदिल्ली।। सिपाहीसुभाषतोमर की मौत के मामले में यमुना विहार में रहने वाले प्रत्यक्षदर्शी योगेंद्र ने खुलासा करते हुए दिल्ली पुलिस की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा दिया। टीवी चैनल को चश्मदीद योगेंद्र ने बताया कि सिपाही तोमर उनके सामने ही भागते हुए आए थे और गिर पड़े।
योगेंद्र का दावा है कि सुभाष की पिटाई किसी प्रदर्शनकारी ने नहीं की थी। यह खुलासा उन्होंने मंगलवार रात एक टीवी चैनल से किया। योगेंद्र के साथ अन्य लोगों ने सिपाही की मौके पर मदद भी की। दर्द दूर करने के लिए उनकी छाती मली, जूते उतारकर उनके तलवे सहलाए। फिर पुलिस की मदद से अस्पताल लेकर गए।
इस मामले में पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने मंगलवार शाम को मीडिया से कहा था कि सिपाही सुभाष चंद तोमर की मौत का कारण गले, छाती और पेट पर इंटरनल इंजरी थी। इस मामले में हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया और 8 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया।
दूसरी तरफ राम मनोहर लोहिया अस्पताल, जहां सिपाही की मौत हुई, वहां के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. टी.एस. सिद्धू का कहना है कि सदमे से सिपाही को हार्ट अटैक आया था। शरीर पर गंभीर चोट के कोई निशान नहीं थे। अस्पताल सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि सिपाही को हृदय संबधी बीमारी थी। ऐसे में अब सवाल यह है कि जब इतना बड़ा प्रदर्शन चल रहा था तो हृदय रोगी की वहां ड्यूटी क्यों लगाई गई?
इस मामले में आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि पुलिस बेकसूरों को फंसाने की साजिश कर रही है। आप का कहना है कि आंदोलन को हिंसक बनाने की कोशिश कर रहे लोगों को पकड़ने में नाकाम रही पुलिस अब तथ्यों के साथ खिलवाड़ कर रही है।
कमिश्नर ने यह भी कहा कि तोमर की पत्नी को पेंशन नहीं बल्कि उस वक्त तक सैलरी दी जाएगी जब तक सिपाही सुभाष चंद रिटायर होते। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी तीन बच्चों में से जिसे भी नौकरी पर रखने की बात कहेंगी। उसी बच्चे को उसकी योग्यता के मुताबिक दिल्ली पुलिस में नौकरी दे दी जाएगी।
इस बीच, सुभाष का मंगलवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार निगम बोध घाट पर किया गया। वहां गृह राज्यमंत्री और गृह सचिव के अलावा दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित भी पहुंची थीं। सुभाष तोमर के जिले से सांसद व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह भी अंतिम संस्कार में पहुंचे। पुलिस कमिश्नर और अन्य स्पेशल पुलिस कमिश्नर ने सुभाष की अर्थी को कंधा भी दिया।
Tuesday, December 25, 2012
Afgan Police:Kabul: अफगान महिला पुलिस अफसर ने हेडक्वार्टर में अमेरिकी को गोली मारी। afgan police woman shoots american.
A female police officer shot and killed an American civilian adviser at Kabul police headquarters on Monday, according to Afghan police officials.
A spokesman for the American-led NATO force in Afghanistan, Col Thomas W Collins, confirmed that the attack took place but said the name and nationality of the victim were being withheld in line with military policy.
Colonel Collins described the attacker as “a suspected member of the Afghan Uniformed Police” and said the suspect was in Afghan custody.
Insider shootings, often referred to as green-on-blue attacks, have greatly increased in the past year, with 61 American and other coalition members killed, not counting the incident Monday, compared to 35 deaths the previous year, according to NATO figures.
This was the first such attack by a woman and came after a lull in insider shootings, after the military instituted a series of precautions meant to reduce them. The most recent incident was on November 11, when a British soldier was killed in Helmand Province.
A source at Kabul police headquarters, where the shooting occurred about 10 am, said the suspect was a woman named Nargis who worked in the Legal and Gender Equality Department of the Interior Ministry. She had previously been a regular police officer. The source said the attacker had used a pistol and shot the adviser, an engineer working in construction, in the head at close range.
He said the suspect was arrested at the scene by Afghan officers. Although the police source did not specify a motive, he said that it was not terrorist related and the suspect had no insurgent connections.
In unrelated incidents reported on Monday, a coalition member was killed in an insurgent attack in eastern Afghanistan, while in northern Afghanistan, an Afghan Local Police commander killed five fellow police officers in a shooting incident at a checkpost.
The latter incident took place in Jowzhan Province, at the village of Turaghali Afghania. Dur Mohammad, commander at the checkpost, shot and killed five officers under his command, according to Gen Abdul Aziz Ghairat, the provincial police chief.
He said the commander fled after the shooting. General Ghairat did not offer a motive but noted that Mohammad had previously had connections with the Taliban in the area.
The Afghan Local Police programme, which seeks to bring armed elements including some former insurgents under government control, has been controversial because of a series of incidents in which they have changed sides, sometimes repeatedly.
Delhi Police: Delhi rape case: सीएम शीला दीक्षित, सांसद संदीप दीक्षित बोले हटाओ दिल्ली पुलिस कमिश्नर को। CM sheela dixit, MP sandeep dixit demand removal of CP.
नई दिल्ली। अब तक लोगों का गुस्सा शांत करने में नाकाम रही पुलिस का आरोप है कि इंडिया गेट पर चल रहे प्रदर्शन को हाईजैक कर लिया गया है। पुलिस के मुताबिक कुछ लोगों ने राजनीतिक हितों को साधने के लिए प्रदर्शन को उग्र बना दिया है। इन आरोपों के बीच दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीरज कुमार ही दिल्ली सरकार के निशाने पर आ गए हैं। आज शाम शीला दीक्षित ने गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद नीरज कुमार को हटाए जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। वहीं कांग्रेस सांसद संदीप दीक्षित ने भी नीरज कुमार को हटाने की मांग कर दी है।
दरअसल इंडिया गेट पर कल तक शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा प्रदर्शन अचानक उग्र हो गया। हजारों की संख्या में नाराज प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड तोड़ डाले और 26 जनवरी की तैयारी के लिए लगाए गए लकड़ी के खंबों को उखाड़कर जला दिया। सरकारी गाड़ियों में भी तोड़फोड़ की गई। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने कई बार लाठीचार्ज का सहारा लिया और आंसू गैस के गोले छोड़े। आम लोगों के साथ-साथ प्रदर्शन कवर कर रहे पत्रकारों को भी चोट आई। सरकार का दावा है कि कुछ राजनीतिक लोगों ने भीड़ को उकसाया जिसकी वजह से प्रदर्शन हिंसक हो गया।
दिल्ली पुलिस ने ऐलान किया कि रेप मामलों को जल्दी निपटाने के लिए दिल्ली में पांच फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर दिया गया है। इस बीच अपने समर्थकों के साथ इंडिया गेट बढ़ रहे बाबा रामदेव को भी पुलिस ने लाठीचार्ज कर रोक दिया। पुलिस का दावा है कि हिंसक प्रदर्शन को रोकने के लिए ही बल का प्रयोग किया गया है।
दिन भर जब दिल्ली पुलिस प्रदर्शनकारियों पर लाठियां भांज रही थी, सरकार में सिर्फ बैठकों का दौर चलता रहा। लेकिन न तो किसी नेता और ना ही सरकार के किसी नुमाइंदे ने इंडिया गेट पर पहुंच कर प्रदर्शनकारियों से बात करने की हिम्मत दिखाई। शाम को दिल्ली सरकार ने कैबिनेट की बैठक बुलाकर कानून-व्यवस्था का जायजा लिया। इसके बाद शीला दीक्षित गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे से मुलाकात करने पहुंचीं। शिंदे से मुलाकात के बाद शीला दीक्षित ने दोषी आला पुलिसवालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। शीला ने गैंगरेप के दोषियों को फांसी दिए जाने की मांग भी की। शीला ने कहा कि वीआईपी रास्तों से पुलिस हटाकर लोगों की सुरक्षा में लगाई जानी चाहिए।
शीला के इस बयान के बाद दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीजर कुमार को हटाने जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। उधर लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने शाम में ट्विट किया कि हिंसा से कोई हल निकलने वाला नहीं है, मैंने गृहमंत्री शिंदे से बात की है और इस मसले पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग की है।
दिल्ली में हुए गैंगरेप के बाद लगातार छठे दिन चल रहे प्रदर्शन ने सरकार की राजनीतिक और प्रशासनिक कुशलता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या पुलिस की लाठी और विपक्ष पर आरोप लगाने से आम आदमी का गुस्सा शांत हो जाएगा। क्या सिर्फ कार्रवाई का भरोसा दिलाने से लोग घर वापिस चले जाएंगे। क्या राहुल गांधी और कांग्रेस के बड़े नेताओं को प्रदर्शनकारियों से सीधी बातचीत नहीं करनी चाहिए। आखिर कब तक देश के युवाओं और छात्रों को पुलिस की लाठी का सामना करने छोड़ दिया जाएगा।
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