मुंबई. सड़क दुघर्टना में घायलों को सहायता पहुंचाने की इच्छा रखनेवाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। अब ऐसे मददगारों को पुलिस स्टेशनों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। सरकार ने मौजूदा कानून में फेरबदल करने का फैसला किया है। घायलों की मदद करनेवाले लोगों को न केवल पुलिसिया झंझट से राहत मिलेगी बल्कि उनका सम्मान भी किया जाएगा।
राज्य के गृहमंत्री आर. आर. पाटील ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की है। गृहमंत्री के अनुसार मददगारों या गवाहों को बार-बार पुलिस स्टेशन नहीं आना पड़ेगा। उनके बयान की केवल एक बार वीडियो रिकार्डिंग होगी। इसके बाद उन्हें पुलिस स्टेशन आने की जरूरत नहीं होगी।
यही विडियो रिकार्डिग जरूरत पड़ने पर अदालत में बतौर गवाही पेश की जाएगी। उन्होंने संबंधित कानून में आवश्यक सुधार करने की जानकारी दी है। समय रहते मदद देकर घायलों की जान बचानेवाले लोगों को प्रतिवर्ष राजभवन बुलाकर राज्य स्तरीय पुरस्कार दिया जाएगा।
प्रतिवर्ष सड़क हादसे में हजारों लोगों की जान चली जाती है। अकसर देखा जाता है कि कहीं पुलिस झमेले में न फंस जाएं, इस डर से लोग घायलों को मदद पहुंचाने से कतराते हैं। सहायता के आभाव में कई घायल दम तोड़ देते हैं। विकल्प के तौर पर गृह विभाग ने मददगारों को राहत देने के इरादे से यह निर्णय लिया है।
शुक्रवार को मंत्रालय में हुई बैठक में संबंधित कानून में सुधार करने का फैसला किया गया। इसके अलावा दुर्घटनाओं की संख्या कम हो इसलिए स्थाई सुरक्षा नीति बनाने का निर्णय भी किया गया। गृहमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि नीति तैयार होने के बाद लगनेवाली निधि की आपूर्ति की जाएगी।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग से समन्वय स्थापित कर सड़क दुघर्टना क्षेत्र चिन्हित करने का निर्देश दिया है। उपाय योजना बनाने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव की अगुवाई में एक समिति का गठन किया जाएगा।
लाइसेंस नवीनीकरण या फिर नया लाइसेंस जारी करते समय वाहन चालकों की मेडिकल जांच कराने की सूचना परिवहन सचिव को दी गई है। सड़क दुर्घटना रोकथाम के लिए बुलाई गई इस बैठक में गृह, परिवहन, नगर विकास और संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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Saturday, July 9, 2011
Mumbai Police: एड्स के ईलाज के लिए अपहरण, अब मुंबई क्राइम ब्रांच के ताबे में
मुंबई। कुछ समय पहले मालाबार हिल से डेढ़ साल के विहान शाह का अपहरण करने वाला दंपति एड्स से पीड़ित हैं। उन्होंने अपनी बीमारी के ईलाज के लिए रूपए इकट्ठे करने के लिए विहान का अपहरण किया था।
गौरतलब है कि विहान जो कि एक अमेरिकी नागरिक है, उसके माता-पिता न्यूयार्क में नौकरी करते हैं। 29 मार्च को विहान अपने दादा यतीन शाह के साथ अमेरिकी से मुंबई आया। यतीन शाह मुंबई के नेपियन सी रोड इलाके के सुधा अपार्टमेंट में रहते हैं । 31 मार्च को विहान की दादी नीला शाह ने मालाबार थाने में विहान की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इस मामले में एक दूसरा मोड़ तब आया जब यह मालूम हुआ कि यतीन शाह के घर काम करने वाली नौकरानी संगीता अपने पति हरि के साथ गायब है।
मुंबई क्राइम ब्रांच प्रमुख हिमांशु राय ने शनिवार को पत्रकारों को बताया था डेढ़ वर्षीय विहान का 31 मार्च को घर की नौकरानी संगीता ने उसका अपहरण कर लिया था और फिर अपने पति हरी सिंह के साथ वह उसे मनमाड़ ले गई थी। मनमाड में जब यह दंपती पंजाब मेल से दिल्ली भागने की तैयारी में था, उसी वक्त सीनियर इंस्पेक्टर निशिकांत पाटिल, भास्कर कदम, हृदय मिश्रा की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ के दौरान संगीता और हरी सिंह दोनों ने बताया कि उन्हें एड्स है और इसके इलाज पर काफी रुपया खर्च हो रहा है। इलाज के लिए चूंकि उनके पास ज्यादा रुपये नहीं थे, इसलिए उन्होंने यतीन शाह परिवार के किसी न किसी बच्चे के अपहरण की साजिश रची।
पहले दोनों ने शाह के नाती को किडनैप करने की कोशिश की। जब वो उसमें सफल नहीं हुए, तो 31 मार्च को विहान का अपहरण कर लिया। दिल्ली पहुंचकर विहान को छोड़ने के बदले में यह दंपती पांच लाख रुपये की फिरौती के लिए फोन करने वाला था। इन्हीं रुपयों से यह दंपती अपना इलाज कराता।
जहां एक तरफ अपनी गंभीर बीमारी का इलाज हेतु पैसे का इंतजाम करने के लिए इस दंपति ने विहान का अपहरण किया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने बच्चे को इस बीमारी से दूर रखने के लिए अपहरण के बाद बिसलरी का ही पानी पिलाया।
गौरतलब है कि विहान जो कि एक अमेरिकी नागरिक है, उसके माता-पिता न्यूयार्क में नौकरी करते हैं। 29 मार्च को विहान अपने दादा यतीन शाह के साथ अमेरिकी से मुंबई आया। यतीन शाह मुंबई के नेपियन सी रोड इलाके के सुधा अपार्टमेंट में रहते हैं । 31 मार्च को विहान की दादी नीला शाह ने मालाबार थाने में विहान की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इस मामले में एक दूसरा मोड़ तब आया जब यह मालूम हुआ कि यतीन शाह के घर काम करने वाली नौकरानी संगीता अपने पति हरि के साथ गायब है।
मुंबई क्राइम ब्रांच प्रमुख हिमांशु राय ने शनिवार को पत्रकारों को बताया था डेढ़ वर्षीय विहान का 31 मार्च को घर की नौकरानी संगीता ने उसका अपहरण कर लिया था और फिर अपने पति हरी सिंह के साथ वह उसे मनमाड़ ले गई थी। मनमाड में जब यह दंपती पंजाब मेल से दिल्ली भागने की तैयारी में था, उसी वक्त सीनियर इंस्पेक्टर निशिकांत पाटिल, भास्कर कदम, हृदय मिश्रा की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ के दौरान संगीता और हरी सिंह दोनों ने बताया कि उन्हें एड्स है और इसके इलाज पर काफी रुपया खर्च हो रहा है। इलाज के लिए चूंकि उनके पास ज्यादा रुपये नहीं थे, इसलिए उन्होंने यतीन शाह परिवार के किसी न किसी बच्चे के अपहरण की साजिश रची।
पहले दोनों ने शाह के नाती को किडनैप करने की कोशिश की। जब वो उसमें सफल नहीं हुए, तो 31 मार्च को विहान का अपहरण कर लिया। दिल्ली पहुंचकर विहान को छोड़ने के बदले में यह दंपती पांच लाख रुपये की फिरौती के लिए फोन करने वाला था। इन्हीं रुपयों से यह दंपती अपना इलाज कराता।
जहां एक तरफ अपनी गंभीर बीमारी का इलाज हेतु पैसे का इंतजाम करने के लिए इस दंपति ने विहान का अपहरण किया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने बच्चे को इस बीमारी से दूर रखने के लिए अपहरण के बाद बिसलरी का ही पानी पिलाया।
Mumbai Police: मुंबई क्राइम ब्रांच का करिश्मा, दाउद के भाई पर गोली चलाने वाला गोवा से गिरफ्तार
मुंबई. दाऊद इब्राहिम के छोटे भाई इकबाल कासकर के घर के बाहर हुई फायरिंग के मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने एक और शूटर को गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी गोवा से हुई है और शूटर का नाम उमेर-उर-रहमान बताया गया है।
क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने इस गिरफ्तारी के बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार किया है। वैसे इस मामले में मुंब्रा निवासी सैय्यद अली और नेपाल के इंद्र खत्री को पुलिस ने 17 मई को घटना वाली रात ही जेजे अस्पताल परिसर से गिरफ्तार किया था।
हमले में मारा गया था इकबाल कासकर का अंगरक्षक:
दाऊद के गढ़ कहे जाने वाले दक्षिण मुंबई के पाक मोडिया स्ट्रीट पर 17 मई की रात को अज्ञात शूटरों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी। यह फायरिंग अंडरवल्र्ड डॉन के छोटे भाई इकबाल कासकर के घर के पास की गई थी।
मगर फायरिंग के वक्त वह घटनास्थल के पास मौजूद नहीं था। पर इस फायरिंग में कासकर का ड्राइवर व अंगरक्षक आरिफ सैयद अबू बुखा मारा गया था। ध्यान रहे कि इकबाल कासकर के खिलाफ मुंबई में कोई बड़ा मामला दर्ज नहीं है।
उसे कुछ साल पहले लोकनिर्माण विभाग की जमीन पर अतिक्रमण कर मॉल का निर्माण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मगर इस वक्त वह जेल से बाहर है और दक्षिण मुंबई इलाके में रियल इस्टेट के व्यावसाय में सक्रिय है।
क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने इस गिरफ्तारी के बारे में अधिक जानकारी देने से इनकार किया है। वैसे इस मामले में मुंब्रा निवासी सैय्यद अली और नेपाल के इंद्र खत्री को पुलिस ने 17 मई को घटना वाली रात ही जेजे अस्पताल परिसर से गिरफ्तार किया था।
हमले में मारा गया था इकबाल कासकर का अंगरक्षक:
दाऊद के गढ़ कहे जाने वाले दक्षिण मुंबई के पाक मोडिया स्ट्रीट पर 17 मई की रात को अज्ञात शूटरों ने अंधाधुंध फायरिंग की थी। यह फायरिंग अंडरवल्र्ड डॉन के छोटे भाई इकबाल कासकर के घर के पास की गई थी।
मगर फायरिंग के वक्त वह घटनास्थल के पास मौजूद नहीं था। पर इस फायरिंग में कासकर का ड्राइवर व अंगरक्षक आरिफ सैयद अबू बुखा मारा गया था। ध्यान रहे कि इकबाल कासकर के खिलाफ मुंबई में कोई बड़ा मामला दर्ज नहीं है।
उसे कुछ साल पहले लोकनिर्माण विभाग की जमीन पर अतिक्रमण कर मॉल का निर्माण करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। मगर इस वक्त वह जेल से बाहर है और दक्षिण मुंबई इलाके में रियल इस्टेट के व्यावसाय में सक्रिय है।
Rajasthan Police: एडीजी, एडीशनल एसपी भगोड़ा घोषित
जयपुर. सीबीआई मामलों की अदालत ने शुक्रवार को दारिया एनकाउंटर केस के आरोपी निलंबित एडीजी ए.के. जैन व एएसपी अरशद अली को भगोड़ा घोषित कर दिया। साथ ही दोनों के खिलाफ स्थाई गिरफ्तारी वारंट जारी करने का आदेश दिया। गौरतलब है कि दोनों के खिलाफ अदालत ने 17 मई 11 को गिरफ्तारी वारंट जारी कर उन्हें अदालत में तलब किया था, लेकिन दोनों के खिलाफ वारंट की तामील नहीं हो पाई और न ही वे अदालत में पेश हुए।
दारिया मामला: अदालत ने प्रथम दृष्टया फर्जी माना एनकाउंटर: दारिया एनकाउंटर केस में सीबीआई मामलों की अदालत ने शुक्रवार को निलंबित एडीजी अरविन्द कुमार जैन, आईजी ए पोन्नूचामी व एएसपी अरशद अली सहित 16 के खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए सभी को फर्जी एनकाउंटर का प्रथम दृष्टया दोषी माना है।
इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी सपठित धारा 302, 364, 346, 201 व 218 के तहत प्रसंज्ञान लिया है। इनमें निसार खान, नरेश शर्मा, राजेश चौधरी, जुल्फिकार, सत्यनारायण गोदारा, बद्रीप्रसाद, सुरेंद्र सिंह, जगराम, सरदार सिंह, मुंशीलाल, अरविन्द भारद्वाज व सुभाष गोदारा व विजय कुमार शामिल हैं। आगामी सुनवाई के लिए जिला व सेशन न्यायालय जयपुर जिला को भेज दिया, जहां 11 जुलाई से सुनवाई होगी।
अपराध ऑफिशियल ड्यूटी में शामिल नहीं: प्रसंज्ञान में कहा कि आरोपियों ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत अभियोजन स्वीकृति नहीं लिए जाने का उल्लेख किया है। लेकिन आरोप पत्र से स्पष्ट है कि आरोपियों की ऑफिशियल ड्यूटी नहीं थी कि वे किसी नागरिक को अपने पद व शक्ति का दुरुपयोग करते हुए आपराधिक षडयंत्र से प्रेरित होकर फर्जी एनकाउंटर में उसकी हत्या कर दें उनका यह कृत्य ऑफिशियल ड्यूटी में नहीं आता।
नाकाबंदी नहीं थी, एसओजी ने फर्जी एनकाउंटर किया: कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने पहले विजय सिंह से रुपए बरामद कर उसे फंसाया और विजय सिंह ने दारिया को शरण दे रखी थी। दिनांक 22 अक्टूबर को विजय सिंह ही दारिया को सांगानेर एयरपोर्ट लाया और उसे एसओजी के सुपुर्द किया। एसओजी ने उसे राघवदास की ढाणी में निरुद्ध रखा और 23 को उसकी हत्या कर दी। जबकि मामले के महत्वपूर्ण गवाह बस ड्राईवर अंबाराम व कंडक्टर रमेश गुप्ता ने अपने बयानों में स्पष्ट किया है कि उस दिन घटना स्थल पर कोई नाकाबंदी नहीं थी और न ही उनके सामने कोई वारदात हुई। इससे स्पष्ट है कि एसओजी ने फर्जी एनकाउंटर किया।
झूठी रिपोर्ट बनाई: एसओजी के अधिकारियों ने झूठी रिपोर्ट बनाकर दारा सिंह के टेलीफोन इंटरसेप्ट किए और गलत सूचना के आधार पर उसे ईनामी घोषित करवाया जिसकी पत्रावली को अरविन्द कुमार जैन ने अपना ट्रांसफर होने के बावजूद भी रोके रखा। यह कृत्य राजनैतिक दवाब में दारासिंह को मारने का था और राजनैतिक प्रभाव का उल्लेख आरोप पत्र में भी है जिसके लिए सीबीआई ने राजेन्द्र राठौड़ के खिलाफ अनुसंधान लंबित रखा है।
मुंशीलाल भी अवैध कृत्य से सहमत था: मुंशीलाल ड्यूटी इंचार्ज था और उस पर 23 अक्टूबर 06 को रोजनामचा में सुबह ढाई बजे एसओजी की टीम को हथियार देने की झूठी एंट्री करने का आरोप है। अनुसंधान में स्पष्ट है कि हथियारों को एसओजी की टीम को देने की एंट्री के दौरान एसओजी की टीम कार्यालय में नहीं थी। ऐसे में स्पष्ट है कि मुंशीलाल भी आरोपियों के अवैध कृत्य से सहमत था। गौरतलब है कि दारिया की पत्नी सुशीला देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश कर आरोप लगाया था कि उसके पति को एसओजी ने झूठे एनकाउंटर में मारा है और इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए। सीबीआई ने मामले में अनुसंधान कर जैन सहित 16 के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया।
दारिया मामला: अदालत ने प्रथम दृष्टया फर्जी माना एनकाउंटर: दारिया एनकाउंटर केस में सीबीआई मामलों की अदालत ने शुक्रवार को निलंबित एडीजी अरविन्द कुमार जैन, आईजी ए पोन्नूचामी व एएसपी अरशद अली सहित 16 के खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए सभी को फर्जी एनकाउंटर का प्रथम दृष्टया दोषी माना है।
इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 120 बी सपठित धारा 302, 364, 346, 201 व 218 के तहत प्रसंज्ञान लिया है। इनमें निसार खान, नरेश शर्मा, राजेश चौधरी, जुल्फिकार, सत्यनारायण गोदारा, बद्रीप्रसाद, सुरेंद्र सिंह, जगराम, सरदार सिंह, मुंशीलाल, अरविन्द भारद्वाज व सुभाष गोदारा व विजय कुमार शामिल हैं। आगामी सुनवाई के लिए जिला व सेशन न्यायालय जयपुर जिला को भेज दिया, जहां 11 जुलाई से सुनवाई होगी।
अपराध ऑफिशियल ड्यूटी में शामिल नहीं: प्रसंज्ञान में कहा कि आरोपियों ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत अभियोजन स्वीकृति नहीं लिए जाने का उल्लेख किया है। लेकिन आरोप पत्र से स्पष्ट है कि आरोपियों की ऑफिशियल ड्यूटी नहीं थी कि वे किसी नागरिक को अपने पद व शक्ति का दुरुपयोग करते हुए आपराधिक षडयंत्र से प्रेरित होकर फर्जी एनकाउंटर में उसकी हत्या कर दें उनका यह कृत्य ऑफिशियल ड्यूटी में नहीं आता।
नाकाबंदी नहीं थी, एसओजी ने फर्जी एनकाउंटर किया: कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने पहले विजय सिंह से रुपए बरामद कर उसे फंसाया और विजय सिंह ने दारिया को शरण दे रखी थी। दिनांक 22 अक्टूबर को विजय सिंह ही दारिया को सांगानेर एयरपोर्ट लाया और उसे एसओजी के सुपुर्द किया। एसओजी ने उसे राघवदास की ढाणी में निरुद्ध रखा और 23 को उसकी हत्या कर दी। जबकि मामले के महत्वपूर्ण गवाह बस ड्राईवर अंबाराम व कंडक्टर रमेश गुप्ता ने अपने बयानों में स्पष्ट किया है कि उस दिन घटना स्थल पर कोई नाकाबंदी नहीं थी और न ही उनके सामने कोई वारदात हुई। इससे स्पष्ट है कि एसओजी ने फर्जी एनकाउंटर किया।
झूठी रिपोर्ट बनाई: एसओजी के अधिकारियों ने झूठी रिपोर्ट बनाकर दारा सिंह के टेलीफोन इंटरसेप्ट किए और गलत सूचना के आधार पर उसे ईनामी घोषित करवाया जिसकी पत्रावली को अरविन्द कुमार जैन ने अपना ट्रांसफर होने के बावजूद भी रोके रखा। यह कृत्य राजनैतिक दवाब में दारासिंह को मारने का था और राजनैतिक प्रभाव का उल्लेख आरोप पत्र में भी है जिसके लिए सीबीआई ने राजेन्द्र राठौड़ के खिलाफ अनुसंधान लंबित रखा है।
मुंशीलाल भी अवैध कृत्य से सहमत था: मुंशीलाल ड्यूटी इंचार्ज था और उस पर 23 अक्टूबर 06 को रोजनामचा में सुबह ढाई बजे एसओजी की टीम को हथियार देने की झूठी एंट्री करने का आरोप है। अनुसंधान में स्पष्ट है कि हथियारों को एसओजी की टीम को देने की एंट्री के दौरान एसओजी की टीम कार्यालय में नहीं थी। ऐसे में स्पष्ट है कि मुंशीलाल भी आरोपियों के अवैध कृत्य से सहमत था। गौरतलब है कि दारिया की पत्नी सुशीला देवी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका पेश कर आरोप लगाया था कि उसके पति को एसओजी ने झूठे एनकाउंटर में मारा है और इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए। सीबीआई ने मामले में अनुसंधान कर जैन सहित 16 के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया।
Rajasthan Police: कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में धांधली : जांच पर टिकी है अब पुलिस की साख
कांस्टेबल भर्ती परीक्षा में लगे धांधली के आरोपों ने पुलिस की बची-खुची साख को बट्टा लगा दिया है। डीआईजी स्तर के अधिकारी के रहते हुए पुलिस अधीक्षक कार्यालय में यदि ऐसा ‘खेल’ हुआ है तो यह समूची पुलिस व्यवस्था को कटघरे में खड़ा करता है। अन्याय भर्ती से वंचित अभ्यर्थियों के साथ ही नहीं हुआ, आघात उन युवाओं को भी लगा है जिन्होंने मेहनत के बल पर परीक्षा उत्तीर्ण की है।
उन लोगों का भरोसा भी पुलिस पर से उठेगा जो न्याय की आस में फरियाद लेकर आते हैं। नींव को खोखला करने वाले यदि महकमे के अंदर ही होंगे तो क्या यकीन किया जाए कि ऐसे लोगों के तार समाज के खिलाफ काम करने वालों से नहीं जुड़े होंगे। नौकरी खरीदकर आने वालों से भी यह उम्मीद करना बेमानी होगा कि वे सेवा और सुरक्षा की भावना से पुलिस में आ रहे हैं। उनकी प्राथमिकता उस राशि को सूद सहित वसूल करना रहेगी, जो नौकरी के लिए बतौर ‘रिश्वत’ दी जाती है।
ऐसी जुर्रत करके नौकरी पाने वाले न कायदे की मर्यादा रखते और न कानून से डरते हैं। लाखों के वारे-न्यारे कर नौकरी दिलाने वालों को भय होता तो वे उच्चधिकारियों की नाक तले सारा सिस्टम अपने मनमाफिक नहीं चलाते। अब देखना यह है कि ‘मुर्दे’ से भी सच उगलवाने की कहावत को चरितार्थ करने वाली पुलिस अपने ऊपर लगे आरोपों की जांच कितनी गंभीरता और ईमानदारी से करती है। अभी तक विभाग का रवैया ढुलमुल रहा है। जांच यदि मुख्यालय के अधिकारी की बजाय सीकर से ही करानी थी तो इतनी देर नहीं की जानी चाहिए थी। जिन पुलिसकर्मियों पर अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है, वे भी उन्हीं शाखाओं में पदस्थ हैं।
यदि जांच में किसी को बचाने की कोशिश की गई तो हाथ पुलिस के ही जलेंगे। यह महकमे को तय करना है कि वह अपनी प्रतिष्ठा को बचाए रखेगा या फिर बेशर्मी से बर्बाद होते देखेगा। यदि सबकुछ सही और नियमानुसार हुआ है तो उसके भी ठोस प्रमाण सार्वजनिक करने होंगे, तभी खोई हुई साख लौट सकती है। आए दिन होने वाली ऐसी घटनाओं से परीक्षा प्रणाली पर भी सवालिया निशान लगना लाजिमी है।
कांस्टेबल, बीएसटीसी जैसी परीक्षाओं में क्यों स्थानीय स्टाफ लगाया जाता है। जिला-शहर बदलना तो दूर, उसी स्कूल का स्टाफ परीक्षा केंद्र पर वीक्षक बन जाता है। ऐसे में कई बार स्टाफ की गड़बड़ी की तोहमत भी संस्थान पर लगती है। कसूर उन अभ्यर्थियों का भी कम नहीं है, जो कमरे में चुपचाप नकल होते देखते रहते हैं। क्यों नहीं उसी समय आवाज उठाई जाती। हम क्यों अपने सपनों को आंखों के सामने मरता देखते हैं।
उन लोगों का भरोसा भी पुलिस पर से उठेगा जो न्याय की आस में फरियाद लेकर आते हैं। नींव को खोखला करने वाले यदि महकमे के अंदर ही होंगे तो क्या यकीन किया जाए कि ऐसे लोगों के तार समाज के खिलाफ काम करने वालों से नहीं जुड़े होंगे। नौकरी खरीदकर आने वालों से भी यह उम्मीद करना बेमानी होगा कि वे सेवा और सुरक्षा की भावना से पुलिस में आ रहे हैं। उनकी प्राथमिकता उस राशि को सूद सहित वसूल करना रहेगी, जो नौकरी के लिए बतौर ‘रिश्वत’ दी जाती है।
ऐसी जुर्रत करके नौकरी पाने वाले न कायदे की मर्यादा रखते और न कानून से डरते हैं। लाखों के वारे-न्यारे कर नौकरी दिलाने वालों को भय होता तो वे उच्चधिकारियों की नाक तले सारा सिस्टम अपने मनमाफिक नहीं चलाते। अब देखना यह है कि ‘मुर्दे’ से भी सच उगलवाने की कहावत को चरितार्थ करने वाली पुलिस अपने ऊपर लगे आरोपों की जांच कितनी गंभीरता और ईमानदारी से करती है। अभी तक विभाग का रवैया ढुलमुल रहा है। जांच यदि मुख्यालय के अधिकारी की बजाय सीकर से ही करानी थी तो इतनी देर नहीं की जानी चाहिए थी। जिन पुलिसकर्मियों पर अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया है, वे भी उन्हीं शाखाओं में पदस्थ हैं।
यदि जांच में किसी को बचाने की कोशिश की गई तो हाथ पुलिस के ही जलेंगे। यह महकमे को तय करना है कि वह अपनी प्रतिष्ठा को बचाए रखेगा या फिर बेशर्मी से बर्बाद होते देखेगा। यदि सबकुछ सही और नियमानुसार हुआ है तो उसके भी ठोस प्रमाण सार्वजनिक करने होंगे, तभी खोई हुई साख लौट सकती है। आए दिन होने वाली ऐसी घटनाओं से परीक्षा प्रणाली पर भी सवालिया निशान लगना लाजिमी है।
कांस्टेबल, बीएसटीसी जैसी परीक्षाओं में क्यों स्थानीय स्टाफ लगाया जाता है। जिला-शहर बदलना तो दूर, उसी स्कूल का स्टाफ परीक्षा केंद्र पर वीक्षक बन जाता है। ऐसे में कई बार स्टाफ की गड़बड़ी की तोहमत भी संस्थान पर लगती है। कसूर उन अभ्यर्थियों का भी कम नहीं है, जो कमरे में चुपचाप नकल होते देखते रहते हैं। क्यों नहीं उसी समय आवाज उठाई जाती। हम क्यों अपने सपनों को आंखों के सामने मरता देखते हैं।
MP Police: SAF के जवानों को नया काम, वसूलेंगे बकाया बिजली बिल
मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को अपने बकाया वसूली में मदद करने विशेष सशस्त्र बल के जवान मदद करेंगे। ऐसे करीब 67 पुलिस के जवानों को बिजली कंपनी के साथ तैनात कर दिया गया है।
पिछले कई महीनों से बिजली कंपनी अपना बकाया लोगों से वसूलने में लगी हुई है। कई बार बिजली कंपनी के अफसरों को अपनी रकम वसूलने में परेशानी आती है और लोग उनके साथ मारपीट तक कर देते हैं। इसके चलते कंपनी ने सरकार से पुलिस के जवान मांगे थे। सरकार की ओर से पुलिस के जवान तो नहीं मिले, लेकिन एसएएफ बटालियन से जवानों को बिजली कंपनी के साथ अटैच कर दिया गया है। ग्वालियर स्थित दो बटालियनों में से करीब 67 जवान बिजली कंपनी के साथ तैनात रहेंगे और गांव-गांव जाकर ये लोग वसूली में मदद करेंगे। कई बार बिजली कंपनी के अधिकारी ग्रामीण इलाकों से पिटकर भी आते थे, लेकिन पुलिस बल तैनात होने के कारण इस प्रकार का अप्रिय स्थिति सामने नहीं आएगी।
पिछले कई महीनों से बिजली कंपनी अपना बकाया लोगों से वसूलने में लगी हुई है। कई बार बिजली कंपनी के अफसरों को अपनी रकम वसूलने में परेशानी आती है और लोग उनके साथ मारपीट तक कर देते हैं। इसके चलते कंपनी ने सरकार से पुलिस के जवान मांगे थे। सरकार की ओर से पुलिस के जवान तो नहीं मिले, लेकिन एसएएफ बटालियन से जवानों को बिजली कंपनी के साथ अटैच कर दिया गया है। ग्वालियर स्थित दो बटालियनों में से करीब 67 जवान बिजली कंपनी के साथ तैनात रहेंगे और गांव-गांव जाकर ये लोग वसूली में मदद करेंगे। कई बार बिजली कंपनी के अधिकारी ग्रामीण इलाकों से पिटकर भी आते थे, लेकिन पुलिस बल तैनात होने के कारण इस प्रकार का अप्रिय स्थिति सामने नहीं आएगी।
MP Police: टीआई साहब ने जीप भिड़ा दी, पड़ोस के थानें में मामला दर्ज
इंदौर के पंढरीनाथ थाने के टीआई के खिलाफ लापरवाही से गाड़ी चलाने और एक्सीडेंट का मामला दर्ज हो गया है। शुक्रवार सुबह थाने की जीप सिग्नल से भिड़ गई थी। जिसमें टीआई सहित एक सिपाही गंभीर घायल हो गए थे।
इंदौर के पंढरीनाथ थाना टीआई ब्रजेश कुशवाह के खिलाफ लापरवाहीपूर्वक गाड़ी चलाने के मामले में सेंट्रल कोतवाली थाना में प्रकरण दर्ज हो गया है।
टीआई कुशवाह पर आरोप है कि वो तेज रफ्तार में जीप चला रहे थे। इस वजह से उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ और टीआई कुशवाह व सिपाही एसएस चंद्रावत घायल हो गए। पुलिस ने धारा 279 व 337 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
गौरतलब है कि शुक्रवार सुबह ब्रजेश कुशवाह खुद थाने की जीप चलाकर अपने थाने के सिपाही चंद्रावत के साथ घर से थाने जा रहे थे। जीप की रफ्तार काफी ज्यादा
थी। तभी अचानक गली से निकलकर एक बाइक सवार सड़क पर आ गया। जिसे बचाने में जीप का संतुलन बिगड़ा और जीप ट्रैफिक सिग्नल को तोड़ते हुए खंभे में जा घुसी।
इंदौर के पंढरीनाथ थाना टीआई ब्रजेश कुशवाह के खिलाफ लापरवाहीपूर्वक गाड़ी चलाने के मामले में सेंट्रल कोतवाली थाना में प्रकरण दर्ज हो गया है।
टीआई कुशवाह पर आरोप है कि वो तेज रफ्तार में जीप चला रहे थे। इस वजह से उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हुआ और टीआई कुशवाह व सिपाही एसएस चंद्रावत घायल हो गए। पुलिस ने धारा 279 व 337 के तहत प्रकरण दर्ज किया है।
गौरतलब है कि शुक्रवार सुबह ब्रजेश कुशवाह खुद थाने की जीप चलाकर अपने थाने के सिपाही चंद्रावत के साथ घर से थाने जा रहे थे। जीप की रफ्तार काफी ज्यादा
थी। तभी अचानक गली से निकलकर एक बाइक सवार सड़क पर आ गया। जिसे बचाने में जीप का संतुलन बिगड़ा और जीप ट्रैफिक सिग्नल को तोड़ते हुए खंभे में जा घुसी।
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