मुंबई. सड़क दुघर्टना में घायलों को सहायता पहुंचाने की इच्छा रखनेवाले लोगों के लिए अच्छी खबर है। अब ऐसे मददगारों को पुलिस स्टेशनों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। सरकार ने मौजूदा कानून में फेरबदल करने का फैसला किया है। घायलों की मदद करनेवाले लोगों को न केवल पुलिसिया झंझट से राहत मिलेगी बल्कि उनका सम्मान भी किया जाएगा।
राज्य के गृहमंत्री आर. आर. पाटील ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की है। गृहमंत्री के अनुसार मददगारों या गवाहों को बार-बार पुलिस स्टेशन नहीं आना पड़ेगा। उनके बयान की केवल एक बार वीडियो रिकार्डिंग होगी। इसके बाद उन्हें पुलिस स्टेशन आने की जरूरत नहीं होगी।
यही विडियो रिकार्डिग जरूरत पड़ने पर अदालत में बतौर गवाही पेश की जाएगी। उन्होंने संबंधित कानून में आवश्यक सुधार करने की जानकारी दी है। समय रहते मदद देकर घायलों की जान बचानेवाले लोगों को प्रतिवर्ष राजभवन बुलाकर राज्य स्तरीय पुरस्कार दिया जाएगा।
प्रतिवर्ष सड़क हादसे में हजारों लोगों की जान चली जाती है। अकसर देखा जाता है कि कहीं पुलिस झमेले में न फंस जाएं, इस डर से लोग घायलों को मदद पहुंचाने से कतराते हैं। सहायता के आभाव में कई घायल दम तोड़ देते हैं। विकल्प के तौर पर गृह विभाग ने मददगारों को राहत देने के इरादे से यह निर्णय लिया है।
शुक्रवार को मंत्रालय में हुई बैठक में संबंधित कानून में सुधार करने का फैसला किया गया। इसके अलावा दुर्घटनाओं की संख्या कम हो इसलिए स्थाई सुरक्षा नीति बनाने का निर्णय भी किया गया। गृहमंत्री ने भरोसा दिलाया है कि नीति तैयार होने के बाद लगनेवाली निधि की आपूर्ति की जाएगी।
उन्होंने संबंधित अधिकारियों को सार्वजनिक निर्माणकार्य विभाग से समन्वय स्थापित कर सड़क दुघर्टना क्षेत्र चिन्हित करने का निर्देश दिया है। उपाय योजना बनाने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव की अगुवाई में एक समिति का गठन किया जाएगा।
लाइसेंस नवीनीकरण या फिर नया लाइसेंस जारी करते समय वाहन चालकों की मेडिकल जांच कराने की सूचना परिवहन सचिव को दी गई है। सड़क दुर्घटना रोकथाम के लिए बुलाई गई इस बैठक में गृह, परिवहन, नगर विकास और संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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