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Sunday, January 15, 2012
Police Policy: पंजाब पुलिस महानिदेशक का कहना है - जरूरत पुलिस का चेहरा बदलने की है।...
निश्चित रूप से पुलिस के प्रशिक्षण के तौर-तरीकों तथा उसके पाठ्यक्रम को आधुनिक और समय की मांग के अनुरूप बनाए जाने की आवश्यकता है। पुलिस महानिदेशक ने गत दिवस इसी बात पर बल देते हुए कहा है कि पुलिस को वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाया जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने पुलिस प्रशिक्षण सलाहकार कौंसिल की बैठक को संबोधित करते हुए चर्चित आपराधिक मामलों को प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात भी कही। इसमें संदेह नहीं कि भारतीय विशेष रूप से पंजाब की पुलिस की जांच-पड़ताल का तरीका आज भी सदियों पुराना है जबकि अपराधी अपराध के रोज नए तरीके ईजाद कर रहे हैं। यही कारण है कि अपराधों में पुलिस की स्थिति डाल-डाल और अपराधियों की स्थिति पात-पात वाली है। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि पुलिस के पास संख्या बल कम है और ऐसा संभव भी नहीं है कि हर व्यक्ति की सुरक्षा के लिए एक सुरक्षाकर्मी तैनात किया जाए। ऐसी स्थिति में आवश्यकता इस बात की है कि अपराध रोकने में जनता पुलिस की मदद करे। यदि आम नागरिक पुलिस की सहायता करने लगे तो कदाचित पुलिस की आधी समस्या का समाधान स्वत: ही हो जाए, किंतु दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि आम आदमी पुलिस के पास जाने से भी कतराता है। इसका कारण है पुलिस का वह चेहरा जो जाने-अनजाने में बन गया है, अथवा यह कहा जाए कि अंग्रेजों द्वारा बनाया गया है। पुलिस आज भी अंग्रेजों के बनाए उसी चेहरे में दिखाई देती है क्योंकि उसने न तो अपने काम का तरीका बदला है और न ही अपना चरित्र। जरूरत पुलिस का चेहरा बदलने की है। यह दुखद है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को यह बात दिखाई नहीं देती है। पुलिस का प्रशिक्षण ऐसा होना चाहिए जिससे उसका चरित्र अधिक मानवीय हो सके। वर्तमान में लोग पुलिस को अपना मित्र नहीं समझते हैं अत: उस पर विश्वास भी नहीं करते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि लोग पुलिस पर विश्वास करें और उसके काम में मदद करना अपना दायित्व नहीं अपितु अधिकार मानें। प्रशिक्षण में भौतिक से अधिक मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर ध्यान दिया जाना चाहिए तभी प्रशिक्षण पूरा होगा और अपराध मुक्त समाज का निर्माण किया जा सकेगा।
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