Friday, September 9, 2011

Delhi Police: HC Blast: सुराग ढूंढने किश्तवाड़ पहुंची NIA

दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर बुधवार को हुए बम विस्फोट के तार जम्मू एवं कश्मीर से जुड़े होने की बातें सामने आने के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की एक विशेष टीम शुक्रवार को किश्तवाड़ पहुंच गई। टीम उन पांच लोगों से पूछताछ करेगी जिन्हें इस विस्फोट के मामले में हिरासत में लिया गया था।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, ''अभी जांच चल रही है और हम इस समय कोई टिप्प्णी नहीं कर सकते।'' उल्लेखनीय है कि किश्तवाड़ जिले के मलिक बाजार में स्थित ग्लोबल इंटरनेट कैफे से एक ई-मेल संदेश भेजा गया था, जिसमें आतंकवादी संगठन हरकत-उल-जेहादी-इस्लामी (हूजी) ने विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी। इस विस्फोट में 13 लोग मारे गए थे।
राज्य की पुलिस ने गुरुवार को कैफे पर दबिश देकर कुछ लोगों को हिरासत में लिया था। ई-मेल दो समाचार चैनलों को भी भेजा गया था, जिसमें धमकी दी गई थी कि यदि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी दी गई तो इस तरह के और हमले किए जाएंगे

UP Police: Home Guard: होमगार्ड को जिंदा जलाकर मार डाला

उत्तर प्रदेश के एटा जिले में गुरुवार रात को कुछ अज्ञात लोगों ने एक होमगार्ड को जिंदा जलाकर मार डाला। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।


पुलिस के मुताबिक यह घटना सकीट थाना क्षेत्र की है, जहां गुरुवार रात अज्ञात लोगों ने डीजल छिड़ककर होमगार्ड तेजपाल (45) को जिंदा जला दिया और फिर मौके से फरार हो गए। भगवंतपुर गांव निवासी होमगार्ड फिलहाल सकीट थाने में तैनात थे।
सकीट थाना प्रभारी सुभाष पांडे ने शुक्रवार को बताया कि देर रात जब राहगीरों की नजर तेजपाल पर पड़ी तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
पांडे ने कहा कि इस वारदात के पीछे किसका हाथ है यह अभी फिलहाल साफ नहीं हो पाया है। मामले की जांच की जा रही है। प्रथम दृष्टया यह पुरानी रंजिश का मामला प्रतीत हो रहा है

Delhi Police: HC Blast: आतंक से पहली लड़ाई पुलिस को ही लड़नी होती है...

तीन महीने में दूसरा आतंकी धमाका और जांच की जिम्मेदारी एक बार फिर एनआईए की टीम को। इस एजेंसी के पास पहले से ही कई धमाकों की जांच की जिम्मेदारी है। जिनमें से कोई भी जांच अभी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है। आरोप तो यह भी है कि वाराणसी और पुणे धमाके की जांच की दिशा इस एजेंसी ने बदल दी। कई धमाकों के सबूतों को नजरंदाज करने का आरोप भी है। ऐसे में एनआईए से इस धमाके की सही जांच की उम्मीद बेमानी है। इस लिहाज से गृह मंत्रालय की मंशा पर भी सवाल उठता है कि आखिर किस भरोसे जांच की जिम्मेदारी इस एजेंसी को दी गई?


आतंकवाद से लड़ने के लिए एक सुपरस्ट्रक्चर की जरूरत है। लेकिन सरकार इसके गठन के बजाय एजेंसियों के नकाब बदल रही है। मौजूदा वक्त में एक साथ कई खुफिया व जांच एजेंसियां काम कर रही हैं। गफलत का यह माहौल तब और धुंधली तस्वीर पेश करती है, जब इनमें एकराय नहीं बन पाती। कुछ एजेंसियां ये दावा करती हैं कि देश में आतंकी हमले का खतरा है, तो कुछ उनके दावों को नकारती हैं। अब ऐसे में देश साल भर हाई अलर्ट पर रहे या न रहे, पर धमाके रुक नहीं रहे हैं।
किसी आतंकी वारदात, विस्फोट या हमले के बाद दो तरह की तस्वीरें बन सकती हैं- पहली, मैक्रो पिक्चर यानी व्यापक स्तर पर देखने-समझने का नजरिया। दूसरा तरीका माइक्रो पिक्चर का भी है। अगर हम माइक्रो पिक्चर को ही लेकर चलें, तो सबसे अहम यह है कि दिल्ली हाईकोर्ट के बाहर ब्लास्ट का ठीकरा गृह मंत्रालय के सिर फोड़ा जाना चाहिए। दिल्ली की सुरक्षा की जिम्मेदारी इसी मंत्रालय के पास है। ऐसे में, सीसीटीवी की गैरमौजूदगी और पुलिस की कमी जैसे सवाल उठेंगे।
जहां तक मैक्रो पिक्चर की बात है, तो अब सरकार को सचेत रुख अपनाना होगा। गृह मंत्रालय के सचिव स्तरीय महकमें में व्यापक फेरबदल की जरूरत है। इसके अलावा गृह मंत्रलाय को दो भागों में विभक्त करने की रूपरेखा तैयार करनी होगी। यहां पर आंतरिक सुरक्षा तंत्र को अंतरराज्यीय वार्ता जैसी व्यवस्था से अलग रखना होगा। आतंकवाद और नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए प्रत्यक्ष नियंत्रण आवश्यक है और इसके लिए आंतरिक सुरक्षा तंत्र के कामकाज की पहचान तय करनी होगी। पूर्व के धमाके, उनके निष्कर्षों और भविष्य की आशंकाओं की रिपोर्ट बनाकर एक राष्ट्रीय लक्ष्य तैयार करना होगा।
हाल के वर्षों में हमने पुलिस-प्रशासन तंत्र को काफी कमजोर कर दिया है जबकि आतंकवाद से निपटने का प्राथमिक तंत्र यही है। इस तंत्र को मजबूत, अत्याधुनिक और नवीनतम हथियारों से लैस करने की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है। आतंक के लोकल मॉडय़ूल से निपटने में यह संस्था कारगर हो सकती है, बशर्ते कि इन्हें आतंकवाद से लड़ने लायक बनाया जाए।

Delhi Police: HC Blast: खुलासे नहीं सिर्फ स्‍केच बनाने में माहिर है पुलिस

दिल्‍ली। काफी स्‍मार्ट और तेज तर्रार कही जाने वाली दिल्‍ली पुलिस को सनसनीखेज वारदात के बाद आरोपियों के स्‍केच जारी करने में महारथ हासिल है। घटना के प्रारंभिक जांच के बाद दिल्‍ली की स्‍मार्ट पुलिस फौरन स्‍केच बनाती है और उसे सार्वजनिक कर देती है। मगर विडंबना तो देखिए कि स्‍केच के आधार पर आजतक कोई भी अपराधी पकड़ा नहीं गया है। पुलिस ने हाईकोर्ट के बाहर हुए बम ब्‍लास्‍ट के बाद एक बार फिर दो आतंकवादियों के स्‍केच जारी किये। मगर पिछले अनुभवों को देखते हुए लगता है कि शायद इससे भी पुलिस को कोई मदद नहीं मिले।

आपको बताते चलें कि पुलिस द्वारा स्‍केच घटनास्‍थल पर मौजूद प्रत्‍यक्षदर्शियों व पीडित के बयान के आधार पर तैयार कराये जाते है। ऐसे में हादसे के बाद घबड़ाहट की स्थित में लोग ओरापियों का पूरा ब्‍यौरा याद नहीं रख पाते। लोगों को बस मोटा-मोटा हुलिया ही याद रहता है। नतीजे की बात करें तो स्‍केच अपराधी से हूबहू मेल नहीं खा पाता।

उल्‍लेखनीय है कि जनवरी 2010 में लामपुर हाउस से तीन पाकिस्‍तानी आतंकी फरार हो गये थे। बाद में दिल्‍ली पुलिस ने उनका स्‍केच जारी किया था। मामला जस का तस है और फरार आतंकियों के बारे में अब तक कोई सुराग नहीं हैं। कुछ दिनों पूर्व ही दिल्‍ली के धौलाकुआं इलाके में युवको ने एक युवती को अगवा कर उसके साथ सामुहिक बलात्‍कार किया था। इस घटना में भी पुलिस ने आरोपियों का स्‍केच बनावाया था। काफी लंबे समय बाद उनकी गिरफ्तारी हुई मगर एक सिपाही की सूचना पर ना कि स्‍केच के माध्‍यम से।

हाल ही में पूर्वी दिल्‍ली के मुथूट फाइनेंस कंपनी में करोड़ो की ड‍कैती पड़ी थी। इस मामले में भी दिल्‍ली पुलिस ने आरोपियों का स्‍केच जारी किया था। स्‍केच आरोपियों से मेल नहीं खाया और पुलिस के हाथ कोई सफलता नहीं लगी। छानबीन के बाद एक मुखबिर ने पुलिस को सूचना दी और पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार कर सकी।

Delhi Police: HC Blast: स्पेशल सेल को फिर जगाने का काम शुरु, ज्वाईंट सीपी करनैल सिंह, डीसीपी आलोक कुमार, एसीपी संजीव कुमार यादव वापस आएंगे..

दिल्ली पुलिस ने वृहस्पतिवार की देर रात एसीपी संजीव कुमार यादव को स्पेशल सेल में वापस बुला लिया है। यह फैसला केंद्रीय गृह मंत्रालय के विशेष निर्देश पर लिया गया है। गृह मंत्रालय ने हाईकोर्ट बम ब्लास्ट करने वाले आतंकवादियों का सुराग नहीं लगने से हाथ पांव फूलने के बाद अब तमाम शिथिल पडी एजेंसियों को सक्रिय करने का निर्णय लिया है। जिसकी मदद से आतंकवादियों की तलाश का काम तेज किया जा सके।
मंत्रालय ने आतंकवादियों के सफाए के लिए मशहूर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल समेत तमाम राज्यों के एंटी टेरोरिस्ट स्क्वार्ड (एटीएस) को फिर से एक्टिवेट करने का फैसला लिया है।

दिल्ली में आंतकवादी ऑपरेशन में माहिर एसीपी संजीव कुमार यादव को राजनीतिक दबाव के तहत स्पेशल सेल को शिथिल करने के क्रम में स्पेशल सेल से हटाकर दिल्ली पुलिस की सुरक्षा शाखा में तैनात कर दिया गया था। तकरीबन डेढ साल के बाद उनको वापस स्पेशल सेल के आंतकवाद निरोधक अभियान में तैनाती की गई है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल केंद्रीय गृह मंत्रालय और आईबी के परस्पर सहयोग से काम करती है।

संजीव कुमार यादव को लाने के साथ ही स्पेशल सेल के जाबांज अफसर एलएन राव को फिर आतंकवाद निरोधक गतिविधियों में लगाने की सुगबुगाहट है। बदले निजाम में तरक्की देकर एल एन राव को एडिशनल डीसीपी तो बना दिया गया पर उनकी विशेषज्ञता वाली आतंकवाद निरोधक गतिविधियों से हटाकर स्पेशल सेल के ही प्रशासनिक काम में लगा रखा है।

एल एन राव के अलावा डीसीपी आलोक कुमार को स्पेशल सेल में दोबारा लाने पर गंभीरता से विचार हो रहा है। तीन साल पहले तक स्पेशल सेल को आतंकवादियों के जी का जंजाल बना देने वाले अफसर आलोक कुमार फिलहाल अरूणांचल प्रदेश के एक जिला के एसएसपी के तौर पर काम कर रहे हैं। आलोक कुमार को आतंकवाद निरोधी अभियान में लगी टीम के बीच बेहतर सामन्जस्य के साथ काम करने के लिए जाना जाता है।आलोक कुमार के साथ 1996-97 से दिल्ली को आतंकवादियों से महफूज रखने में लगे वरिष्ठ अधिकारी करनैल सिंह को दिल्ली लाने की चर्चा है। करनैल सिंह फिलहाल मिजोरम के एडीजी हैं।

स्पेशल सेल के पुराने दबंग पुलिस अधिकारियों को शानदार ट्रेक रिकार्ड की वजह से वापस लाने की तैयारी हो रही है। गौरतलब है कि ज्वाईंट सीपी करनैल सिंह, डीसीपी आलोक कुमार, एसीपी संजीव कुमार यादव और शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की टीम ने 13 सितंबर 2008 को नौ बम धमाकों से दिल्ली को दहलाने वाले इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के आंतकवादियों का पुख्ता पता पांच दिन में ही लगा लिया था और छठवें दिन ही जाबांज इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा बाटला हाउस की तंग गलियों में इन्काउंटर के लिए जा धमके थे।

बाटला हाउस इन्काउटर के साथ घिनौनी राजनीति का सिलसिला तेज हो गया। इन्काउंटर के दौरान घायल मोहन चंद शर्मा की शहादत के साथ ही दिल्ली पुलिस ने राजनीतिक दबाव में आकर आतंकवाद के सफाए में लगे विशेषज्ञ अफसरों की इस टीम को तितर बितर करने का सिलसिला शुरू दिया गया था। आतंकवादियों के बढे हौसले को खत्म करने के लिए सरकार पर दबाव बढता जा रहा है। इसके लिए दिल्ली पुलिस में तैनात आतंकवाद के विशेषज्ञ अफसरों को टटोला जा रहा है। तिहाड जेल के डीजी नीरज कुमार और अशोक चांद जैसे अफसरों पर भी गृह मंत्रालय में चर्चा हो रही है।

हाईकोर्ट पर रिहर्सल करके किए गए बम धमाके ने सुरक्षा विशेषज्ञों को ज्यादा ही परेशान कर रखा है। क्योंकि इससे आतंकवादियों के बढे हौसले का इजहार हो रहा है। फिर से हरकत में आई आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को चुस्त दुरुस्त करने के साथ केंद्र सरकार की आईबी के परस्पर मदद से चलने वाली तमाम राज्यों के एंटी टेरोरिस्ट एस्क्वार्ड (एटीएस) को सक्रिय होने का विशेष आदेश जारी किया है। गौरतलब है कि एटीएस और स्पेशल सेल को राजनीति की उल्टी बही धारा की वजह से शिथिल कर दिया गया था।

Delhi Police: HC Blast: विस्फोट में मृतकों की संख्या 13 हुई, तीसरा मेल आया

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के चौखट पर हुए आतंकी हमले में मरने वालों की संख्या अब 13 हो गई है। हालांकि खुशखबरी बस इस बात की है कि हमले में घायल हुए कुछ लोग अब अपने अपने घरों को लौटने लगे हैं। पर इस घटना के 50 घंटे बीत जाने के बाद भी एनआईए को अभी तक कोई सुराग नहीं लग मिल सका है। वैसे वह पेड़ों की डाल पर भी सुराख की तलाश में हाथ पांव मार रही है।

उधर, बम विस्फोट की जिम्मेदारी लेने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। पहले हूजी उसके बाद इंडियन मुजाहिद्दीन और अब तीसरा मेल भी मीडिया हाउसों को मिल चुका है। जिसमें न केवल हमले की धमकी दी गई है बल्कि इस मेल ने सरकार की मुश्किलों को भी बढ़ा दिया है। यह मेल याहू के एकाउंट से किया गया है। आपको बता दें कि पहला मेल जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ से भेजा गया था। जिसमें हूजी (हरकत-उल-जिहादी-अल-इस्लामी) ने ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली थी। किश्तवाड़ के जिस साइबर कैफे से यह ईमेल भेजा गया था, गुरुवार को वहां से 3 लोगों को हिरासत में लिया गया था।

वहीं दूसरा मेल गुरुवार को इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) ने छोटू मियां के नाम से भेजा जिसमें विस्फोट करने की धमकी दी औऱ विस्फोट की जिम्मेदारी ली। इससे अब इन मेल पर भी संशय के बादल मडराने लगे हैं। पुलिस को लग रहा है कि कुछ शरारती तत्व इस काम के पीछे हो सकते हैं। उधर, एनआईए की टीम ने आतंकियों की तलाश में हरियाणा, उत्तरप्रदेश, राजस्थान और पंजाब के आतंक निरोधक दस्ते (एटीएस) की मदद मांगी है। एटीएस की टीमें दिल्ली पहुंच भी गई है। सारी जांच इस उम्मीद पर टिकी है कि वारदात के बाद आतंकी पड़ोसी राज्यों में छुपे हो सकते हैं। जांच में दिल्ली पुलिस के सहयोग की अहमियत के मद्देनजर एनआईए प्रमुख ने दिल्ली पुलिस आयुक्त से मुलाकात की।

चोरी की सेंट्रो कार से आतंकियों के भागने की अटकलों को खारिज करते हुए एनआईए महानिदेशक एससी सिन्हा ने साफ कर किया कि इसका विस्फोट से कोई संबंध नहीं है। इसके बजाय एनआइए की 20 सदस्यीय जांच टीम और 17 सदस्यीय सहयोगी टीम चोरी के एटीएम कार्ड का उपयोग करने वाले एक युवक से पूछताछ कर रही थी। किश्तवाड़ के जिस साइबर कैफे से मेल भेजा गया था, उसके मालिक समेत कुछ लोगों से भी पूछताछ जारी है, पर कुछ पुख्ता सुराग नहीं मिल सका है। इसी तरह यूपी के बलरामपुर में भी स्केच के आधार पर हिरासत में लिए गए शहजाद नामक युवक को भी पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया है। इस बीच गांधीनगर और हैदराबाद से आई फारेंसिक विशेषज्ञों की टीम ने नए सिरे से विस्फोट स्थल की तलाशी ली। इससे कुछ नए सूत्र मिलने की बस उम्मीद ही की जा रही है।

Tuesday, September 6, 2011

Bihar Police: Patna: बिहार पुलिस सेवा के 13 अधिकारी बने आईपीएस..बधाई..

PATNA: The paucity of IPS officers in the state eased a little with the Centre notifying promotion of 13 officers of Bihar Police Service to IPS rank on August 30, 2011.


The officers who have been allotted 2007 batch of IPS are Dayanand Kumar (commandant, BMP-3, Bodh Gaya), Asgar Imam, (SP, special branch), Sudhir Kumar (SP, vigilance), Prakash Kumar Sinha (SP, Sheohar) and Ajit Kumar Rai (SP, home guards).

Those allotted 2008 batch of IPS are Md. Mansoor Ahmad (SP, CID), Md Rahman (SP, Saharsa), Mithu Prasad (SP, Khagaria), Sukan Paswan (SRP, Katihar), Vinod Kumar 2 (SP, Supaul), Saurabh Kumar (SP, Madhepura), Varun Kumar Sinha (SP, Samastipur) and Chandrika Prasad (SP, Jehanabad).