Sunday, August 21, 2011

Chhatisgarh Police: भूख से जूझ रहें हैं नक्सलियों से लड़ने वाले हमारे जवान

छत्तीसगढ़ के सबसे संवेदनशील बीजापुर के बीहड़ों में तैनात सुरक्षा बलों के जवान भूख से जूझ रहे हैं.

इस बात का खुलासा शुक्रवार को हुआ जब भोपाल पटनम से भद्रकाली थाने के लिए रसद लेकर जा रहे पुलिसकर्मियों पर माओवादियों ने घात लगाकर हमला किया. इस हमले में दस जवान मारे गए थे जबकि चार गंभीर रूप से घायल हुए थे. कहा जा रहा है कि भद्रकाली थाने में तैनात जवानों का राशन ख़त्म हो चुका था और वह आधा पेट खाकर अपने मोर्चों पर तैनात थे.

बीजापुर ज़िला प्रशासन ने रसद भेजने के लिए सरकार से कई बार हेलिकॉप्टर भी माँगा था. मगर हेलिकॉप्टर उपलब्ध नहीं कराया गया था.

जब हेलिकॉप्टर नहीं मिला तो ज़िला पुलिस के सामने सड़क के रास्ते रसद भेजने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था. भोपाल पटनम से भद्रकाली थाने की दूरी 25 किलोमीटर है और यह रास्ता बहुत ही ख़तरनाक माना जाता है.

इसीलिए सड़क के रास्ते रसद भेजने के लिए एक बड़े दल का गठन किया गया.

छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के बीहड़ों में तैनात सुरक्षा बलों के जवानों को इन्ही परिस्थितियों में रहना पड़ता है. हाल ही में दंतेवाड़ा के जगरगुंडा कैंप तक प्रशासन नें छह महीनों के बाद राशन भिजवाया.

रसद पहुंचाना तो था ही, और भी बहुत सारे काम थे जैसे कि छुट्टी पर जाने वाले जवानों को साथ लाना. इसीलिए एक बड़ी टीम का गठन किया गया था.
आरएन दास, बीजापूर के एसपी
मेडिकल सहायता
राशन तो भद्रकाली की घटना का एक पहलू है. ऐसी खबरें मिल रहीं हैं कि चार घायल जवान मेटलाबेरू गाँव के पास घटनास्थल पर रात भर तड़पते रहे.

उनके लिए राहत नहीं पहुँच पाई. हालाकि राज्य पुलिस के वरिष्ट अधिकारी इस प्रकरण पर कुछ नहीं कहना चाह रहें हैं.

विभाग के ही कुछ लोगों का कहना है कि घटना के बाद रात को ही दो डॉक्टर घटनास्थल भेजे गए मगर वह पहुँच नहीं पाए.

यही वजह है कि रात बीतने के बाद शनिवार की सुबह इन घायल जवानों में से दो ने दम तोड़ दिया जबकि सिर्फ दो अन्य घायल जवानों को बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर पहुंचाया जा सका.

यह सब कुछ बावजूद इसके है कि केंद्र और राज्य सरकारें नक्सल विरोधी अभियान और पुलिस बल के आधुनीकीकरण के मद में करोड़ों रूपए खर्च कर रहीं हैं.

संपर्क करने पर बीजापुर के एसपी आरएन दास का कहना था, "रसद पहुंचाना तो था ही, और भी बहुत सारे काम थे जैसे कि छुट्टी पर जाने वाले जवानों को साथ लाना. इसीलिए एक बड़ी टीम का गठन किया गया था."

हलाकि दास नें कुछ खुलकर नहीं कहना पसंद किया, मगर उन्होंने बीबीसी से बात चीत के क्रम में स्वीकार किया कि हेलिकॉप्टर उपलब्ध नहीं हो पाया था.

माओवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में जो आम नागरिक मारा गया है उसकी पहचान ट्रैक्टर के चालक के रूप में हुई है जिसपर खाद्य सामग्री लदी हुई थी. कहा जा रहा है कि माओवादी घटना को अंजाम देने के बाद रसद भी लूट कर ले गए. इस हमले में मरने वालों की संख्या 13 हो गई है जिसमे ट्रैक्टर का चालक और एक एस पी ओ यानी कि विशेष पुलिस अधिकारी भी शामिल है.

बीजापुर के पुलिस अधीक्षक यह नहीं बता पाए कि एस पी ओ के पास हथियार था या नहीं.

उन्होंने कहा,"पुलिस अभियान दल में कुछ के पास हथियार था और कुछ के पास नहीं." वैसे घटना को अंजाम देने के बाद माओवादियों नें मारे गए जवानों के पास से चार एस एल आर, एक एके-47 और एक लाईट मशीन गन लूट ली है.

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