Saturday, April 2, 2011

German Police : धमाके की साजिश में जर्मन गिरफ्तार

जर्मन पुलिस ने 25 साल के एक व्यक्ति को स्टेडियम में बम रखने के संदेह में गिरफ्तार किया है. पुलिस का कहना है कि यह व्यक्ति डॉर्टमुंड शहर के स्टेडियम में बम रखने की योजना बना रहा था.

 

संघीय अपराध ब्यूरो ने कहा कि स्टेडियम के पास से तीन संदिग्ध विस्फोटक डिवाइस बरामद हुए हैं जिन्हें निष्क्रिय कर दिया गया है. विस्फोटक इस व्यक्ति के घर से बरामद हुए हैं जो स्टेडियम के करीब है. स्टेडियम बुंडेसलीगा के मैचों के लिए इस्तेमाल किया जाता है.Bildunterschrift: Großansicht des Bildes mit der Bildunterschrift:  
बर्लिन के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया, "इस घटना का इस्लामिक संगठनों या आतंकवाद से संबंध होने का कोई संकेत नहीं मिला है. ऐसा लगता है कि संदिग्ध अकेला ही काम कर रहा था. इस मामले में और किसी को कोई खतरा नहीं है."
अपराध ब्यूरो ने बताया कि इस मामले की जांच फरवरी में शुरू हुई थी. पाकिस्तान के इस्लामाबाद में जर्मन दूतावास को एक ईमेल भेजा गया था. अनजान नाम से भेजे गए इस ईमेल में जर्मनी में दो हमलों की तैयारी की जानकारी दी गई थी.
पुलिस ने बताया कि ईमेल भेजने वाला व्यक्ति बाद में जबरन वसूली के एक मामले में संदिग्ध बन गया. उसे मंगलवार को कोलोन के एक होटल से गिरफ्तार किया गया. उसने अधिकारियों को बताया कि स्टेडियम के करीब उसके फ्लैट में छह विस्फोटक डिवाइस रखी हैं.
अधिकारियों का कहना है कि गिरफ्तार किया गया यह व्यक्ति 2010 में एक जर्मन कंपनी से जबरन वसूली के मामले में भी संदिग्ध है.

Delhi Police : दिल्ली पुलिस में होंगे बड़े बदलाव

नई दिल्ली॥ दिल्ली पुलिस के ढांचे में 30 मार्च को अहम बदलाव होने जा रहा है। काडर रिव्यू लागू कर आईपीएस अफसरों के पदों की संख्या बढ़ाई जा रही है। एक साथ तीन बैच के आईपीएस अफसरों को प्रमोट किया जा रहा है। अरसे से त्रस्त चल रहे दानिप्स काडर के अफसर अब राहत महसूस कर रहे हैं।
गृह मंत्रालय के अनुसार, कमल कुमार कमिटी की रिपोर्ट पर पिछले साल केंद्र सरकार ने दिल्ली मेंे आईपीएस अफसरों के पदों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया था। 30 मार्च को कार्मिक मंत्रालय की डायरेक्टर (सर्विसेज) रौली सिंह के दस्तखत से जारी काडर रिव्यू नोटिफिकेशन के मुताबिक, दिल्ली में पुलिस कमिश्नर के अलावा 10 स्पेशल कमिश्नर, 20 जॉइंट कमिश्नर, 15 एडिशनल कमिश्नर और 29 डीसीपी होंगे। अब कार्मिक मंत्रालय (डीओपीटी) काडर रिव्यू को लागू कर रहा है। इनमें एक-तिहाई पद दानिप्स काडर के अफसरों से भरे जाएंगे। पब्लिक को पुलिसिंग में इसका कोई फायदा हो या न हो, लेकिन इससे दानिप्स काडर के अफसरों के आईपीएस में इंडक्ट होने के अवसर जरूर मिल गए हैं।
30 मार्च को तीन बैच के आईपीएस अफसरों को प्रमोट किया जा रहा है। इनमें एक रेंज के जॉइंट कमिश्नर और तीन डिस्ट्रिक्ट डीसीपी हैं। 1984 बैच के जॉइंट कमिश्नर धर्मेंद्र कुमार, दीपक मिश्रा, ए. के. सिंह और कर्नल सिंह को स्पेशल कमिश्नर बनाया जा रहा है। 1997 बैच के आईपीएस डीसीपी (साउथ) हरगोविंद धालीवाल, डीसीपी (वेस्ट) वी. रंगनाथन और डीसीपी (नॉर्थ) सुरेंद्र सिंह यादव को अडिशनल कमिश्नर बनाया जा रहा है। इनके अलावा 1990 बैच के तजेंद्र लूथरा, दीपेंद्र पाठक और संजय सिंह को जॉइंट कमिश्नर रैंक दी जा रही है। कुछ जॉइंट कमिश्नरों को दिल्ली से बाहर भेजा जाएगा।
वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में आईपीएस अफसरों की भर्तियां कम की गई थीं। इसका नतीजा यह हुआ कि जूनियर अफसरों की कमी हो गई और सीनियर अफसरों की भरमार हो गई। इसलिए पूर्व पुलिस कमिश्नर वाई. एस. डडवाल को चार-चार अडिशनल कमिश्नरों को डिस्ट्रिक्ट डीसीपी का चार्ज देना पड़ा था। हालांकि अब भी साउथ-ईस्ट और नई दिल्ली में अडिशनल कमिश्नर ही डिस्ट्रिक्ट डीसीपी का काम कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा पुलिस कमिश्नर बी. के. गुप्ता सैद्धांतिक तौर पर इसके पक्ष में नहीं हैं।
काडर रिव्यू लागू होने और अडिशनल कमिश्नरों को डिस्ट्रिक्ट डीसीपी बनाए जाने की अघोषित पॉलिसी के कारण अब दानिप्स काडर के अफसरों को खासी राहत मिलने जा रही है। पिछले सालों में लाइसेंसिंग ब्रांच और आर्थिक अपराध शाखा जैसी मलाईदार यूनिटें हाथ से निकलने के कारण कसमसा रहे इनमें से कुछ अफसरों को भेदभाव की भी दिक्कत है। इन्हें फिलहाल आईपीएस में आने के लिए 21-24 साल इंतजार करना पड़ रहा है , जबकि तमिलनाडु में पिछले दिनों उनके समकक्ष 12 साल की नौकरी के बाद ही आईपीएस बन गए हैं। काडर रिव्यू के कारण इनके आगे बढ़ने के रास्ते खुल रहे हैं।
जून तक डीसीपी ( ट्रैफिक हेडक्वॉर्टर ) प्रभाकर , रूपेंद्र कुमार , . पी . मिश्रा , के . के . व्यास से लेकर डीसीपी ( एयरपोर्ट ) आर . . संजीव और प्रेमनाथ तक 18 अफसरों को आईपीएस में शामिल किया जाएगा। डीसीपी रैंक में आईपीएस की कमी के मद्देनजर इनमें से कुछ को डिस्ट्रिक्ट डीसीपी भी बनाया जा सकता है। इसी कमी की वजह से . पी . मिश्रा को फिलहाल ईस्ट डिस्ट्रिक्ट में अस्थायी डीसीपी का चार्ज देना पड़ा है , हालांकि वह आईपीएस में नहीं हैं। 1990 के दशक की शुरुआत में इसी तरह मैक्सवेल परेरा को साउथ जैसे अहम डिस्ट्रिक्ट में और आर . तिवारी को नॉर्थ में डिस्ट्रिक्ट डीसीपी बनाया गया था , लेकिन उसके बाद अब तक ऐसा नहीं हुआ था।

Raj Police : ACP can issues NOC : अनुज्ञापत्र-अनापति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सहायक पुलिस आयुक्त लाइसेसिंग को प्राधिकृत

जोधपुर। राज्य सरकार के आदेशानुसार पुलिस कमिश्नरेट ने जोधपुर क्षेत्र में अनुज्ञापत्र-अनापति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सहायक पुलिस आयुक्त लाइसेसिंग को प्राधिकृत किया गया है।
पुलिस कमिश्नर भूपेन्द्र कुमार दक ने बताया कि विभिन्न अधिनियम व अध्यादेशों के तहत कार्यो का निर्धारण किया गया है। इसके अंतर्गत भारतीय आयुध अधिनियम 1959 के द्वारा शस्त्र अनुज्ञा पत्र जारी करना एवं नवीनीकरण करना है। विस्फोटक अधिनियम, 1884 के अंतर्गत स्थाई-अस्थई आतिशबाजी के दुकानों से संबंधित अनुज्ञापत्र जारी करना, दी प्रेस एण्ड रजिस्ट्रेशन अॅाफ बुक्स एक्ट 1867 के तहत समाचार पत्र-पत्रिका एवं प्रिंटिंग प्रेस की घोषणाओं के शीर्षक का सत्यापन एवं प्रमाणीकरण करना, राजस्थान सिनेमा)विनियमन) अधिनियम 1952 के अंतर्गत सिनेमाघरों के अनुज्ञापत्र जारी करना एवं नवीनीकरण करना, राजस्थान नाट्य तथा मनोरंजक कार्यक्रम अध्यादेश 1949 के तहत नाट्य व मनोरंजन कार्यक्रमों का अनुज्ञापत्र जारी करना तथा पैट्रोलियम एक्ट 1934 के तहत अनापति प्रमाण पत्र जारी करना कार्य निर्धारण किए गए है।

Mumbai Police: Police & Bollywood : Salman Khan : सलमान खान की पार्टी में रंग में भंग डालने पहुंची पुलिस

MUMBAI : भारत-पाक के बीच हुए सेमीफाइनल मैच को देखने बाकी सितारों की तरह सलमान खान मोहाली नहीं पहुंचे लेकिन मैच की जीत का जश्न मनाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। सलमान ने अपने खास दोस्तों के साथ मुंबई में इस मैच के मजे लिए।
सेमीफाइनल में भारत का पलड़ा भारी देख सलमान ने पहले ही अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने का मन बना लिया था। जैसे ही मैदान पर धोनी के धुरंधरों ने पाकिस्तान को धूल चटाई सलमान अपने दोस्तों के साथ बांद्रा के एक पब में जीत का जश्न मनाने पहुंच गए। इसके बाद सलमान और उनके दोस्तों ने यहां जमकर पार्टी की। शराब के साथ पार्टी में खूब तेज संगीत भी बज रहा था और सलमान अपने दोस्तों के साथ जमकर थिरक रहे थे।
जिससे पब के आस पास के रिहायशी इलाके में लोगों की नींद में खलल पड़ गया। शोर से परेशान होकर एक व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत कर दी और सलमान की पार्टी में पुलिस पहुंच गई। पुलिस ने सुबह तक चल रही सलमान की इस पार्टी में पहुंच रंग मे भंग क्या डाला सल्लू मियां का मूड खराब हो गया। पुलिस के आने के बाद सलमान अपने दोस्तों के साथ पब के पिछले दरवाजे से निकल गए।
सलमान ने पिछले दरवाजे से निकलने में ही बेहतरी समझी क्योंकि पब के सामने वाले दरवाजे पर मीडिया वाले कैमरा लिए उनका इंतजार कर रहे थे। इस चक्कर में सलमान को अपनी गाड़ी छोड़कर टैक्सी से घर जाना पड़ा क्योंकि उनकी गाड़ी भी पब के सामने ही पार्क थी।

WB Police : Police in Election : वर्दी को छोड़ अब दीदी की नैया पर सवारी करगें 5 पूर्व आईपीएस अफसर

कोलकाता
आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के टिकट से भारतीय पुलिस सेवा के पांच पूर्व अधिकारी चुनाव लडऩे जा रहे हैं।
इनमें से एक भारतीय पुलिस सेवा के वह पूर्व अधिकारी हैं जिन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी और ज्योति बसु के शासन काल में उन्हें वाम मोर्चा के करीब समझा जाता था। पूर्व आईपीएस अधिकारी रचपाल सिंह तारकेश्वर सीट से वाम मोर्चा गठबंधन के फारवर्ड ब्लाक के उम्मीदवार और अग्नि शमन मंत्री प्रतिम बनर्जी के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। सिंह ने बतौर पुलिस उपमहानिरीक्षक प्रेसिडेंसी रेंज तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ वर्ष 1994 में उत्तरी 24 परगना के बरासात में रैली में हुई हिंसा को लेकर प्राथमिकी दर्ज करायी थी। ममता उस समय युवा कांग्रेस प्रमुख थीं। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने पाया कि वह सिंगूर आंदोलन के दौरान क्रूर सरकार के खिलाफ अकेले लड़ रही हैं तो मैंने उनकी पार्टी में शामिल होने का फैसला किया।’
पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी बाली से तृणमूल के टिक ट से चुनावी मैदान में हंंै। इसके अलावा पूर्व आईपीएस अधिकारी हैदर अजीज सफवी उलूबेरिया पूर्वी विधानसभा से माकपा उम्मीदवार मोहन मंडल के खिलाफ चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं सीबीआई के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक उपेन बिश्वास बागडा अनुसूचित जाति सीट से फारवर्ड ब्लाक के उम्मीदवार निर्मल सिकदर के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

MP Police : Bhopal : पुलिस को क्लीनचिट, नेताओं को नसीहत

भोपाल। शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ के आरोपियों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होना चाहिए। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के लिए स्पष्ट आचरण संहिता होना चाहिए। यह सुझाव अंबाह-पोरसा हिंसक घटना की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग ने दिया है। सरकार ने भी इस पर सहमति जताई है।
मुरैना जिले में सितंबर 2004 में हुई इस घटना के लिए आयोग ने तत्कालीन कलेक्टर और एसपी की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। आयोग ने इस घटना के दौरान पुलिस गोली चालन और बलप्रयोग को उचित ठहराया है।
गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने मंगलवार को विधानसभा में अंबाह पोरसा हिंसक घटना की न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
आयोग के एकल सदस्य न्यायमूर्ति डीके पालीवाल ने बीएसएफ जवान सोबरन सिंह तोमर की मृत्यु के अगले दिन धारा 144 न लगाने, धारा 151 के तहत आपराधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार न करने और मौके पर न पहुंचने को लेकर तत्कालीन कलेक्टर और एसपी की निंदा की है।
आयोग का मानना है कि ऐसे उपाय कर घटना को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता था। उल्लेखनीय है कि घटना के समय मुरैना के कलेक्टर विश्व मोहन उपाध्याय और एसपी राजेश गुप्ता थे। जिन्हें घटना के बाद हटा दिया गया था।
रिपोर्ट में शासन ने भी इस बात पर सहमति जताई है कि स्थानीय अधिकारियों को चेतावनी दी जाए और मप्र के सभी जिला और पुलिस प्रशासन को इस घटना से सबक लेकर अधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जाएं।

आयोग ने इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सुझाव दिया है कि राजनीतिक पार्टियों से संबंधित व्यक्तियों के लिए स्पष्ट आचरण संहिता होना चाहिए और उसका पालन भी होना चाहिए।
ऐसे व्यक्ति जिन पर विधि एवं व्यवस्था भंग करने, शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लूट, आगजनी, तोडफ़ोड़ के आरोप हों उनको संवैधानिक संस्थाओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होना चाहिए तथा ऐसे आरोपी और दोषी को दंडित किया जाना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इस घटना के बाद जिले में राजनीतिक दलों द्वारा धरना, प्रदर्शन, चक्काजाम और शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला शुरू हो गया था।
आयोग ने आगजनी,हिंसा और लूटपाट में पुलिसकर्मियों व अन्य जनों को हुए नुकसान की भरपाई की भी अनुशंसा की है। सरकार ने इस पर अलग से विचार कर निर्णय लेने की बात कही है।

Raj Police : Cyber Crime : साइबर क्राइम: उदयपुर सहित 17 जिले मॉडल सिटी बनेंगे

उदयपुर.नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस इंडिया ने देश के सात राज्यों के 17 जिलों को साइबर क्राइम के मामले में मॉडल सिटी के रूप में विकसित करने का बीड़ा उठाया है।
इसके लिए राज्यों के पुलिस व प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं। राजस्थान में जयपुर, उदयपुर, राजसमंद व जोधपुर को शामिल किया गया है।
नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस इंडिया ने राजस्थान के चार जिलों जयपुर, उदयपुर, राजसमंद व जोधपुर के अलावा उज्जैन, रतलाम व इंदौर, गुड़गांव, हिसार, कुरुक्षेत्र, पानीपत, अमृतसर, चंडीगढ़, नासिक, नागपुर व पुणो व मेरठ को मॉडल सिटी के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।
इसके लिए एनसीएसए इंडिया के चेन्नई स्थित मुख्यालय से चयनित जिलों में पुलिस व प्रशासन को प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं।
एक्सपर्ट व्यू
"साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए सामाजिक स्तर पर पहल जरुरी थी। आईटी एक्सपर्ट व प्रशासन मिल कर बिना किसी लाभ के समाज को साइबर क्राइम से लड़ने के लिए तैयार किया जा सके यह आवश्यक है।
भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या के साथ साथ साइबर क्राइम की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। हम सब पर सामाजिक जिम्मेदारी है कि बच्चों, महिलाओं, पुलिस व प्रशासन तथा सरकार की हर संभव मदद का प्रयास करें। भारत में साइबर सुरक्षा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।"
अभिषेक धाबाई, चीफ एडवाइजर व को-फाउंडर एनसीएसए इंडिया
क्या है एनसीएसए इंडिया
नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस भारत में बढ़ते साइबर क्राइम से निपटने के लिए साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स, आईटी के दिग्गज व विशेषज्ञों द्वारा मिल कर गठित की गई एक नॉन प्रोफिट संस्था है।
यूएसए में कार्य कर रही एनसीएसए की तर्ज पर भारत में भी इसका गठन किया गया है। एनसीएसए इंडिया द्वारा विश्व की छह साइबर सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन जिसमें अमेरिका, जर्मनी, नाईजीरिया, न्यूजीलैंड व यूरोपियन साइबर सिक्योरिटी एलायंस व मलेशिया से टाईअप किया गया है।
एनसीएसए के कार्य
सभी प्राइमरी, उच्च शैक्षणिक संस्थान, व्यावसायिक तथा सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में साइबर सिक्योरिटी व क्राइम की घटनाओं की जानकारी व बचाव के उपायों से अवगत कराना है।
इसके अलावा सभी तरह के साइबर क्राइम, जिसमें राष्ट्र के खिलाफ तथा बच्चों व महिलाओं के साथ होने वाले साइबर क्राइम में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिल कर देश व विदेश में बैठे साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के जरिए मामलों को सुलझाने में सहयोग प्रदान करना प्रमुख है।
भारतीय आर्थिक अपराध शाखा के आंकड़ों के मुताबिक साइबर क्राइम के मामलों में वर्ष 09 से लेकर अब तक करीब 600 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
वर्ष 09 में 265 शिकायतें आई थीं, अब यह आंकड़ा 1500 से ऊपर है। देखा जाए तो इनमें से पांच प्रतिशत मामले ही सामने आते हैं, जबकि 95 प्रतिशत मामले दर्ज ही नहीं होते। महिलाओं व युवतियों के साथ स्ट्रेकिंग, ब्लैकमेलिंग, साइबर बुलिंग, हैकिंग, कापरेरेट डेटा हैकिंग आदि के कई मामले भय तथा अज्ञानता के कारण दर्ज नहीं हो सके हैं।
लाइव सर्च करने वाले व्यक्ति चिह्न्ति होंगे
एनसीएसए द्वारा अमेरिका, यूरोपियन व खाड़ी देशों की तर्ज पर भारत में भी उन्हीं तरीकों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा, इससे ऑनलाइन सर्च होने वाले संदेहास्पद की वर्ड जैसे जिहाद, हाउ टू किल पर्सन, हाउ टू सुसाइड आदि को लाइव सर्च करने वाले व्यक्तियों को चिह्न्ति किया जा सकेगा। गुगल मैप, फेस बुक, आरकुट, ट्विटर को पाबंद करने के लीगल उपाय सुझाए जाएंगे।
कैसे बनेंगे मॉडल सिटी
एनसीएसए इंडिया द्वारा मॉडल सिटी के तहत लिए जाने वाले जिलों में पुलिस की साइबर सेल को आधुनिक तरीकों से प्रशिक्षित किया जाएगा।
इसके साथ ही साइबर सेल को विभिन्न प्रकार के साइबर क्राइम व जनरल क्राइम के विश्लेषण के सॉफ्टवेयर निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। एनसीएसए इंडिया द्वारा पुलिस व प्रशासन के साथ मिल कर जिले की आपराधिक गतिविधियों को आईटी एक्सपर्ट द्वारा सुलझाया जाएगा।
टोल नाकों पर लगेंगे सॉफ्टवेयर
शहर में आने वाले लोगों की जानकारी अब आसानी से पुलिस व प्रशासन को मिल सकेगी। एनसीएसए की ओर से चयनित जिलों के प्रवेश मार्गो पर स्थित टोल नाकों पर लेटेस्ट सॉफ्टवेयर लगाए जाएंगे, जिससे शहर में आने व जाने वाले वाहनों के नंबर व समय तक की जानकारी पुलिस व प्रशासन के डेटा बेस में देखी जा सकेगी।
इसके लिए कॉल डेटा एनालाइसिस सॉफ्टवेयर, आईपी डिटेक्शन सॉफ्टवेयर व अन्य फोरेंसिक सॉफ्टवेयर हर जिला पुलिस की साइबर सेल को उपलब्ध कराए जाएंगे।
संदिग्ध लोगों पर रख्खी जाएगी नजर
सेटेलाइट मैप का उपयोग कर यदि कोई व्यक्ति किसी महत्वपूर्ण स्थान को को बार बार देख रहा है तो उस व्यक्ति को चिह्न्ति करने की तकनीक भी साइबर सेल को उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके अलावा इंटरनेट कॉलिंग के जरिए मिलने वाली आतंकवादी धमकियों को ट्रेस करने के लिए इजाद की नई तकनीक से आरोपी को चिह्न्ति करने का सिस्टम भी उपलब्ध हो सकेगा।
चयनित शहरों में किया जाएगा प्रचार
एनसीएसए के स्वयंसेवकों की ओर से मॉडल सिटी के रूप में चयनित शहरों में साइबर क्राइम से बचाव को लेकर प्रचार किया जाएगा। स्कूल, कॉलेज, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में जाकर साइबर क्राइम के प्रति अवेयरनेस की जानकारी दी जाएगी।
15 हजार डॉलर के उपकरण दिए जाएंगे
एनसीएसए द्वारा प्रत्येक जिले को 15 हजार डॉलर के आवश्यक सॉफ्टवेयर व उपकरण निशुल्क मुहैया कराए जाएंगे। विशेष परिस्थितियों में यह बजट राशि बढ़ाई जा सकेगी।