उदयपुर.नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस इंडिया ने देश के सात राज्यों के 17 जिलों को साइबर क्राइम के मामले में मॉडल सिटी के रूप में विकसित करने का बीड़ा उठाया है।
इसके लिए राज्यों के पुलिस व प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं। राजस्थान में जयपुर, उदयपुर, राजसमंद व जोधपुर को शामिल किया गया है।
नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस इंडिया ने राजस्थान के चार जिलों जयपुर, उदयपुर, राजसमंद व जोधपुर के अलावा उज्जैन, रतलाम व इंदौर, गुड़गांव, हिसार, कुरुक्षेत्र, पानीपत, अमृतसर, चंडीगढ़, नासिक, नागपुर व पुणो व मेरठ को मॉडल सिटी के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।
इसके लिए एनसीएसए इंडिया के चेन्नई स्थित मुख्यालय से चयनित जिलों में पुलिस व प्रशासन को प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं।
एक्सपर्ट व्यू
"साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए सामाजिक स्तर पर पहल जरुरी थी। आईटी एक्सपर्ट व प्रशासन मिल कर बिना किसी लाभ के समाज को साइबर क्राइम से लड़ने के लिए तैयार किया जा सके यह आवश्यक है।
भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या के साथ साथ साइबर क्राइम की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। हम सब पर सामाजिक जिम्मेदारी है कि बच्चों, महिलाओं, पुलिस व प्रशासन तथा सरकार की हर संभव मदद का प्रयास करें। भारत में साइबर सुरक्षा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।"
अभिषेक धाबाई, चीफ एडवाइजर व को-फाउंडर एनसीएसए इंडिया
क्या है एनसीएसए इंडिया
नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस भारत में बढ़ते साइबर क्राइम से निपटने के लिए साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स, आईटी के दिग्गज व विशेषज्ञों द्वारा मिल कर गठित की गई एक नॉन प्रोफिट संस्था है।
यूएसए में कार्य कर रही एनसीएसए की तर्ज पर भारत में भी इसका गठन किया गया है। एनसीएसए इंडिया द्वारा विश्व की छह साइबर सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन जिसमें अमेरिका, जर्मनी, नाईजीरिया, न्यूजीलैंड व यूरोपियन साइबर सिक्योरिटी एलायंस व मलेशिया से टाईअप किया गया है।
एनसीएसए के कार्य
सभी प्राइमरी, उच्च शैक्षणिक संस्थान, व्यावसायिक तथा सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में साइबर सिक्योरिटी व क्राइम की घटनाओं की जानकारी व बचाव के उपायों से अवगत कराना है।
इसके अलावा सभी तरह के साइबर क्राइम, जिसमें राष्ट्र के खिलाफ तथा बच्चों व महिलाओं के साथ होने वाले साइबर क्राइम में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिल कर देश व विदेश में बैठे साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के जरिए मामलों को सुलझाने में सहयोग प्रदान करना प्रमुख है।
भारतीय आर्थिक अपराध शाखा के आंकड़ों के मुताबिक साइबर क्राइम के मामलों में वर्ष 09 से लेकर अब तक करीब 600 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
वर्ष 09 में 265 शिकायतें आई थीं, अब यह आंकड़ा 1500 से ऊपर है। देखा जाए तो इनमें से पांच प्रतिशत मामले ही सामने आते हैं, जबकि 95 प्रतिशत मामले दर्ज ही नहीं होते। महिलाओं व युवतियों के साथ स्ट्रेकिंग, ब्लैकमेलिंग, साइबर बुलिंग, हैकिंग, कापरेरेट डेटा हैकिंग आदि के कई मामले भय तथा अज्ञानता के कारण दर्ज नहीं हो सके हैं।
लाइव सर्च करने वाले व्यक्ति चिह्न्ति होंगे
एनसीएसए द्वारा अमेरिका, यूरोपियन व खाड़ी देशों की तर्ज पर भारत में भी उन्हीं तरीकों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा, इससे ऑनलाइन सर्च होने वाले संदेहास्पद की वर्ड जैसे जिहाद, हाउ टू किल पर्सन, हाउ टू सुसाइड आदि को लाइव सर्च करने वाले व्यक्तियों को चिह्न्ति किया जा सकेगा। गुगल मैप, फेस बुक, आरकुट, ट्विटर को पाबंद करने के लीगल उपाय सुझाए जाएंगे।
कैसे बनेंगे मॉडल सिटी
एनसीएसए इंडिया द्वारा मॉडल सिटी के तहत लिए जाने वाले जिलों में पुलिस की साइबर सेल को आधुनिक तरीकों से प्रशिक्षित किया जाएगा।
इसके साथ ही साइबर सेल को विभिन्न प्रकार के साइबर क्राइम व जनरल क्राइम के विश्लेषण के सॉफ्टवेयर निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। एनसीएसए इंडिया द्वारा पुलिस व प्रशासन के साथ मिल कर जिले की आपराधिक गतिविधियों को आईटी एक्सपर्ट द्वारा सुलझाया जाएगा।
टोल नाकों पर लगेंगे सॉफ्टवेयर
शहर में आने वाले लोगों की जानकारी अब आसानी से पुलिस व प्रशासन को मिल सकेगी। एनसीएसए की ओर से चयनित जिलों के प्रवेश मार्गो पर स्थित टोल नाकों पर लेटेस्ट सॉफ्टवेयर लगाए जाएंगे, जिससे शहर में आने व जाने वाले वाहनों के नंबर व समय तक की जानकारी पुलिस व प्रशासन के डेटा बेस में देखी जा सकेगी।
इसके लिए कॉल डेटा एनालाइसिस सॉफ्टवेयर, आईपी डिटेक्शन सॉफ्टवेयर व अन्य फोरेंसिक सॉफ्टवेयर हर जिला पुलिस की साइबर सेल को उपलब्ध कराए जाएंगे।
संदिग्ध लोगों पर रख्खी जाएगी नजर
सेटेलाइट मैप का उपयोग कर यदि कोई व्यक्ति किसी महत्वपूर्ण स्थान को को बार बार देख रहा है तो उस व्यक्ति को चिह्न्ति करने की तकनीक भी साइबर सेल को उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके अलावा इंटरनेट कॉलिंग के जरिए मिलने वाली आतंकवादी धमकियों को ट्रेस करने के लिए इजाद की नई तकनीक से आरोपी को चिह्न्ति करने का सिस्टम भी उपलब्ध हो सकेगा।
चयनित शहरों में किया जाएगा प्रचार
एनसीएसए के स्वयंसेवकों की ओर से मॉडल सिटी के रूप में चयनित शहरों में साइबर क्राइम से बचाव को लेकर प्रचार किया जाएगा। स्कूल, कॉलेज, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में जाकर साइबर क्राइम के प्रति अवेयरनेस की जानकारी दी जाएगी।
15 हजार डॉलर के उपकरण दिए जाएंगे
एनसीएसए द्वारा प्रत्येक जिले को 15 हजार डॉलर के आवश्यक सॉफ्टवेयर व उपकरण निशुल्क मुहैया कराए जाएंगे। विशेष परिस्थितियों में यह बजट राशि बढ़ाई जा सकेगी।
इसके लिए राज्यों के पुलिस व प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं। राजस्थान में जयपुर, उदयपुर, राजसमंद व जोधपुर को शामिल किया गया है।
नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस इंडिया ने राजस्थान के चार जिलों जयपुर, उदयपुर, राजसमंद व जोधपुर के अलावा उज्जैन, रतलाम व इंदौर, गुड़गांव, हिसार, कुरुक्षेत्र, पानीपत, अमृतसर, चंडीगढ़, नासिक, नागपुर व पुणो व मेरठ को मॉडल सिटी के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।
इसके लिए एनसीएसए इंडिया के चेन्नई स्थित मुख्यालय से चयनित जिलों में पुलिस व प्रशासन को प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं।
एक्सपर्ट व्यू
"साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए सामाजिक स्तर पर पहल जरुरी थी। आईटी एक्सपर्ट व प्रशासन मिल कर बिना किसी लाभ के समाज को साइबर क्राइम से लड़ने के लिए तैयार किया जा सके यह आवश्यक है।
भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या के साथ साथ साइबर क्राइम की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। हम सब पर सामाजिक जिम्मेदारी है कि बच्चों, महिलाओं, पुलिस व प्रशासन तथा सरकार की हर संभव मदद का प्रयास करें। भारत में साइबर सुरक्षा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।"
अभिषेक धाबाई, चीफ एडवाइजर व को-फाउंडर एनसीएसए इंडिया
क्या है एनसीएसए इंडिया
नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस भारत में बढ़ते साइबर क्राइम से निपटने के लिए साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स, आईटी के दिग्गज व विशेषज्ञों द्वारा मिल कर गठित की गई एक नॉन प्रोफिट संस्था है।
यूएसए में कार्य कर रही एनसीएसए की तर्ज पर भारत में भी इसका गठन किया गया है। एनसीएसए इंडिया द्वारा विश्व की छह साइबर सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन जिसमें अमेरिका, जर्मनी, नाईजीरिया, न्यूजीलैंड व यूरोपियन साइबर सिक्योरिटी एलायंस व मलेशिया से टाईअप किया गया है।
एनसीएसए के कार्य
सभी प्राइमरी, उच्च शैक्षणिक संस्थान, व्यावसायिक तथा सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में साइबर सिक्योरिटी व क्राइम की घटनाओं की जानकारी व बचाव के उपायों से अवगत कराना है।
इसके अलावा सभी तरह के साइबर क्राइम, जिसमें राष्ट्र के खिलाफ तथा बच्चों व महिलाओं के साथ होने वाले साइबर क्राइम में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिल कर देश व विदेश में बैठे साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के जरिए मामलों को सुलझाने में सहयोग प्रदान करना प्रमुख है।
भारतीय आर्थिक अपराध शाखा के आंकड़ों के मुताबिक साइबर क्राइम के मामलों में वर्ष 09 से लेकर अब तक करीब 600 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
वर्ष 09 में 265 शिकायतें आई थीं, अब यह आंकड़ा 1500 से ऊपर है। देखा जाए तो इनमें से पांच प्रतिशत मामले ही सामने आते हैं, जबकि 95 प्रतिशत मामले दर्ज ही नहीं होते। महिलाओं व युवतियों के साथ स्ट्रेकिंग, ब्लैकमेलिंग, साइबर बुलिंग, हैकिंग, कापरेरेट डेटा हैकिंग आदि के कई मामले भय तथा अज्ञानता के कारण दर्ज नहीं हो सके हैं।
लाइव सर्च करने वाले व्यक्ति चिह्न्ति होंगे
एनसीएसए द्वारा अमेरिका, यूरोपियन व खाड़ी देशों की तर्ज पर भारत में भी उन्हीं तरीकों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा, इससे ऑनलाइन सर्च होने वाले संदेहास्पद की वर्ड जैसे जिहाद, हाउ टू किल पर्सन, हाउ टू सुसाइड आदि को लाइव सर्च करने वाले व्यक्तियों को चिह्न्ति किया जा सकेगा। गुगल मैप, फेस बुक, आरकुट, ट्विटर को पाबंद करने के लीगल उपाय सुझाए जाएंगे।
कैसे बनेंगे मॉडल सिटी
एनसीएसए इंडिया द्वारा मॉडल सिटी के तहत लिए जाने वाले जिलों में पुलिस की साइबर सेल को आधुनिक तरीकों से प्रशिक्षित किया जाएगा।
इसके साथ ही साइबर सेल को विभिन्न प्रकार के साइबर क्राइम व जनरल क्राइम के विश्लेषण के सॉफ्टवेयर निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। एनसीएसए इंडिया द्वारा पुलिस व प्रशासन के साथ मिल कर जिले की आपराधिक गतिविधियों को आईटी एक्सपर्ट द्वारा सुलझाया जाएगा।
टोल नाकों पर लगेंगे सॉफ्टवेयर
शहर में आने वाले लोगों की जानकारी अब आसानी से पुलिस व प्रशासन को मिल सकेगी। एनसीएसए की ओर से चयनित जिलों के प्रवेश मार्गो पर स्थित टोल नाकों पर लेटेस्ट सॉफ्टवेयर लगाए जाएंगे, जिससे शहर में आने व जाने वाले वाहनों के नंबर व समय तक की जानकारी पुलिस व प्रशासन के डेटा बेस में देखी जा सकेगी।
इसके लिए कॉल डेटा एनालाइसिस सॉफ्टवेयर, आईपी डिटेक्शन सॉफ्टवेयर व अन्य फोरेंसिक सॉफ्टवेयर हर जिला पुलिस की साइबर सेल को उपलब्ध कराए जाएंगे।
संदिग्ध लोगों पर रख्खी जाएगी नजर
सेटेलाइट मैप का उपयोग कर यदि कोई व्यक्ति किसी महत्वपूर्ण स्थान को को बार बार देख रहा है तो उस व्यक्ति को चिह्न्ति करने की तकनीक भी साइबर सेल को उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके अलावा इंटरनेट कॉलिंग के जरिए मिलने वाली आतंकवादी धमकियों को ट्रेस करने के लिए इजाद की नई तकनीक से आरोपी को चिह्न्ति करने का सिस्टम भी उपलब्ध हो सकेगा।
चयनित शहरों में किया जाएगा प्रचार
एनसीएसए के स्वयंसेवकों की ओर से मॉडल सिटी के रूप में चयनित शहरों में साइबर क्राइम से बचाव को लेकर प्रचार किया जाएगा। स्कूल, कॉलेज, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में जाकर साइबर क्राइम के प्रति अवेयरनेस की जानकारी दी जाएगी।
15 हजार डॉलर के उपकरण दिए जाएंगे
एनसीएसए द्वारा प्रत्येक जिले को 15 हजार डॉलर के आवश्यक सॉफ्टवेयर व उपकरण निशुल्क मुहैया कराए जाएंगे। विशेष परिस्थितियों में यह बजट राशि बढ़ाई जा सकेगी।
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