भोपाल। राजधानी की सड़कों पर बगैर हेलमेट पहने दो पहिया वाहन चलाने वालों को दी गई मोहलत भले ही पूरी हो गई हो, लेकिन ट्रैफिक पुलिस को इसकी कोई सुध नहीं है। मंत्री जी आदेश देकर भूल गए और पुलिस ने भी बातों को अनसुना कर दिया। और इस प्रकार गृहमंत्री का दावा एक बार फिर पूरा नहीं हो सका।
गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने बीते साल के आखिरी दिन पुलिस कंट्रोल रूम में सात विभागों के अधिकारियों को बुलवाकर एक बैठक ली थी। फैसला लिया गया था कि आने वाले तीन महीने में बगैर हेलमेट के गाड़ी चलाने वालों को पहले समझाइश दी जाएगी, फिर इसका पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एक अप्रैल 2011 को तीन महीने पूरे भी हो गए, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई शुरू नहीं की।
बैठक में मौजूद रहे विधायक ध्रुवनारायण सिंह का मानना है कि राजधानी में हेलमेट अनिवार्य नहीं हो पाना पुलिस और जिला प्रशासन की कमजोर इच्छाशक्ति का नतीजा है। उनका तर्क है कि यदि पुलिस चाहे तो यह संभव है, लेकिन ऐसा नहीं होता।
सिर्फ बयानबाजी
राजनेता सिर्फ बयानबाजी में विश्वास रखते हैं, उन पर खरा उतरना उनकी आदत नहीं। निर्देशों की अवहेलना होने पर संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाना चाहिए।
सुभाष अत्रे
पूर्व गृह सचिव, छत्तीसगढ़
गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने बीते साल के आखिरी दिन पुलिस कंट्रोल रूम में सात विभागों के अधिकारियों को बुलवाकर एक बैठक ली थी। फैसला लिया गया था कि आने वाले तीन महीने में बगैर हेलमेट के गाड़ी चलाने वालों को पहले समझाइश दी जाएगी, फिर इसका पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एक अप्रैल 2011 को तीन महीने पूरे भी हो गए, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई शुरू नहीं की।
बैठक में मौजूद रहे विधायक ध्रुवनारायण सिंह का मानना है कि राजधानी में हेलमेट अनिवार्य नहीं हो पाना पुलिस और जिला प्रशासन की कमजोर इच्छाशक्ति का नतीजा है। उनका तर्क है कि यदि पुलिस चाहे तो यह संभव है, लेकिन ऐसा नहीं होता।
सिर्फ बयानबाजी
राजनेता सिर्फ बयानबाजी में विश्वास रखते हैं, उन पर खरा उतरना उनकी आदत नहीं। निर्देशों की अवहेलना होने पर संबंधित अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा जाना चाहिए।
सुभाष अत्रे
पूर्व गृह सचिव, छत्तीसगढ़
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