भोपाल। शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ के आरोपियों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होना चाहिए। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के लिए स्पष्ट आचरण संहिता होना चाहिए। यह सुझाव अंबाह-पोरसा हिंसक घटना की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग ने दिया है। सरकार ने भी इस पर सहमति जताई है।
मुरैना जिले में सितंबर 2004 में हुई इस घटना के लिए आयोग ने तत्कालीन कलेक्टर और एसपी की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। आयोग ने इस घटना के दौरान पुलिस गोली चालन और बलप्रयोग को उचित ठहराया है।
गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने मंगलवार को विधानसभा में अंबाह पोरसा हिंसक घटना की न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
आयोग के एकल सदस्य न्यायमूर्ति डीके पालीवाल ने बीएसएफ जवान सोबरन सिंह तोमर की मृत्यु के अगले दिन धारा 144 न लगाने, धारा 151 के तहत आपराधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार न करने और मौके पर न पहुंचने को लेकर तत्कालीन कलेक्टर और एसपी की निंदा की है।
आयोग का मानना है कि ऐसे उपाय कर घटना को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता था। उल्लेखनीय है कि घटना के समय मुरैना के कलेक्टर विश्व मोहन उपाध्याय और एसपी राजेश गुप्ता थे। जिन्हें घटना के बाद हटा दिया गया था।
रिपोर्ट में शासन ने भी इस बात पर सहमति जताई है कि स्थानीय अधिकारियों को चेतावनी दी जाए और मप्र के सभी जिला और पुलिस प्रशासन को इस घटना से सबक लेकर अधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जाएं।
आयोग ने इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सुझाव दिया है कि राजनीतिक पार्टियों से संबंधित व्यक्तियों के लिए स्पष्ट आचरण संहिता होना चाहिए और उसका पालन भी होना चाहिए।
ऐसे व्यक्ति जिन पर विधि एवं व्यवस्था भंग करने, शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लूट, आगजनी, तोडफ़ोड़ के आरोप हों उनको संवैधानिक संस्थाओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होना चाहिए तथा ऐसे आरोपी और दोषी को दंडित किया जाना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इस घटना के बाद जिले में राजनीतिक दलों द्वारा धरना, प्रदर्शन, चक्काजाम और शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला शुरू हो गया था।
आयोग ने आगजनी,हिंसा और लूटपाट में पुलिसकर्मियों व अन्य जनों को हुए नुकसान की भरपाई की भी अनुशंसा की है। सरकार ने इस पर अलग से विचार कर निर्णय लेने की बात कही है।
मुरैना जिले में सितंबर 2004 में हुई इस घटना के लिए आयोग ने तत्कालीन कलेक्टर और एसपी की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। आयोग ने इस घटना के दौरान पुलिस गोली चालन और बलप्रयोग को उचित ठहराया है।
गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने मंगलवार को विधानसभा में अंबाह पोरसा हिंसक घटना की न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
आयोग के एकल सदस्य न्यायमूर्ति डीके पालीवाल ने बीएसएफ जवान सोबरन सिंह तोमर की मृत्यु के अगले दिन धारा 144 न लगाने, धारा 151 के तहत आपराधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार न करने और मौके पर न पहुंचने को लेकर तत्कालीन कलेक्टर और एसपी की निंदा की है।
आयोग का मानना है कि ऐसे उपाय कर घटना को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता था। उल्लेखनीय है कि घटना के समय मुरैना के कलेक्टर विश्व मोहन उपाध्याय और एसपी राजेश गुप्ता थे। जिन्हें घटना के बाद हटा दिया गया था।
रिपोर्ट में शासन ने भी इस बात पर सहमति जताई है कि स्थानीय अधिकारियों को चेतावनी दी जाए और मप्र के सभी जिला और पुलिस प्रशासन को इस घटना से सबक लेकर अधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जाएं।
आयोग ने इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सुझाव दिया है कि राजनीतिक पार्टियों से संबंधित व्यक्तियों के लिए स्पष्ट आचरण संहिता होना चाहिए और उसका पालन भी होना चाहिए।
ऐसे व्यक्ति जिन पर विधि एवं व्यवस्था भंग करने, शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लूट, आगजनी, तोडफ़ोड़ के आरोप हों उनको संवैधानिक संस्थाओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होना चाहिए तथा ऐसे आरोपी और दोषी को दंडित किया जाना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इस घटना के बाद जिले में राजनीतिक दलों द्वारा धरना, प्रदर्शन, चक्काजाम और शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला शुरू हो गया था।
आयोग ने आगजनी,हिंसा और लूटपाट में पुलिसकर्मियों व अन्य जनों को हुए नुकसान की भरपाई की भी अनुशंसा की है। सरकार ने इस पर अलग से विचार कर निर्णय लेने की बात कही है।
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