ग्रेटर नोएडा।। 1 अप्रैल को पुलिस , मीडिया और प्रशासन के लोग अफवाहों से परेशान रहे। पहली अप्रैल को जहां लोग एक दूसरे से हल्की - फुल्की चुहल कर खुश होते रहे , कुछ लोगों ने खुश होने के लिए भौंडे मजाक किए। ऐसे लोगों ने पुलिस के पास होक्स कॉल्स किए। मीडिया वालों को फोन कर तरह - तरह की झूठी खबरें बताईं।
गौतमबुद्धनगर की पुलिस ने कहा - हमारी मजबूरी है कि किसी भी आपात सूचना पर हमें मौके पर पहुंचना है। अगर हमारे पास कॉल आती है कि अमुक जगह पर गोली - बारी हो गई , लूट की वारदात हो गई या कोई बड़ा एक्सिडेंट हो गया , तो ऐसी कॉल को हम अप्रैल फूल की कॉल मान कर नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमें हर हाल में वहां पहुंचना ही है , भले इसके लिए हमें दूसरे कई जरूरी काम छोड़ने पड़ें। होक्स कॉल करने वालों को यह बात अच्छी तरह पता होनी चाहिए कि पकड़े जाने के बाद कानून ऐसे लोगों के साथ क्या सलूक करता है।
पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को शहर में डीएम और एसएसपी के ट्रांसफर की भी खबर उड़ी। मजाक की फूहड़ हद तब दिखी , जब पुलिस को गैंगरेप की झूठी खबर देकर पुलिस का वक्त बर्बाद किया गया। एक्सिडेंट की सूचनाएं मिलने से भी पुलिस परेशान रही। अप्रैल फूल बनाने के लिए लोगों ने तरह - तरह के फंडे अपनाए। डीएम और एसएसपी के ट्रांसफर की सूचना विकास भवन के अधिकारियों को मिल गई। इससे अधिकारी भी परेशान रहे।
घटिया मजाक से न लोगों ने दूसरों को परेशान किया , बल्कि अपनों को भी नहीं बख्शा। इतना भी ध्यान नहीं दिया कि उनके ये मजाक किसी की भावनाओं को भी आहत कर सकते हैं। एक युवक ने अपने एक साथी के एक्सिडेंट होने की बात कहकर एक दोस्त को बुला लिया। बाद में जब उस दोस्त को पता चला कि उसके साथी ने सिर्फ अप्रैल फूल बनाने के लिए यह मजाक किया तो उसने उसकी जमकर क्लास ली। ग्रेटर नोएडा में भी मीडियाकर्मियों के बीच दिनभर अप्रैल फूल के नाम पर अफवाहें उड़ती रहीं। सुबह एक मीडियाकर्मी ने दूसरे साथी को युवती के साथ गैंगरेप होने की सूचना दे दी। इसकी सूचना मिलने पर कासना पुलिस भी पीड़िता को ढूंढती रही , लेकिन बाद में अप्रैल फूल की बात समझ में आने पर पुलिस ने अपना सिर पकड़ लिया।
सायकायट्रिस्ट की राय
सायकायट्रिस्ट डॉ . अनिल सक्सेना का कहना है कि अप्रैल फूल के नाम पर भद्दा मजाक करना गलत है। इससे किसी की भी भावनाएं आहत हो सकती हैं। किसी को हार्ट अटैक भी आ सकता है।
गौतमबुद्धनगर की पुलिस ने कहा - हमारी मजबूरी है कि किसी भी आपात सूचना पर हमें मौके पर पहुंचना है। अगर हमारे पास कॉल आती है कि अमुक जगह पर गोली - बारी हो गई , लूट की वारदात हो गई या कोई बड़ा एक्सिडेंट हो गया , तो ऐसी कॉल को हम अप्रैल फूल की कॉल मान कर नजरअंदाज नहीं कर सकते। हमें हर हाल में वहां पहुंचना ही है , भले इसके लिए हमें दूसरे कई जरूरी काम छोड़ने पड़ें। होक्स कॉल करने वालों को यह बात अच्छी तरह पता होनी चाहिए कि पकड़े जाने के बाद कानून ऐसे लोगों के साथ क्या सलूक करता है।
पुलिस ने बताया कि शुक्रवार को शहर में डीएम और एसएसपी के ट्रांसफर की भी खबर उड़ी। मजाक की फूहड़ हद तब दिखी , जब पुलिस को गैंगरेप की झूठी खबर देकर पुलिस का वक्त बर्बाद किया गया। एक्सिडेंट की सूचनाएं मिलने से भी पुलिस परेशान रही। अप्रैल फूल बनाने के लिए लोगों ने तरह - तरह के फंडे अपनाए। डीएम और एसएसपी के ट्रांसफर की सूचना विकास भवन के अधिकारियों को मिल गई। इससे अधिकारी भी परेशान रहे।
घटिया मजाक से न लोगों ने दूसरों को परेशान किया , बल्कि अपनों को भी नहीं बख्शा। इतना भी ध्यान नहीं दिया कि उनके ये मजाक किसी की भावनाओं को भी आहत कर सकते हैं। एक युवक ने अपने एक साथी के एक्सिडेंट होने की बात कहकर एक दोस्त को बुला लिया। बाद में जब उस दोस्त को पता चला कि उसके साथी ने सिर्फ अप्रैल फूल बनाने के लिए यह मजाक किया तो उसने उसकी जमकर क्लास ली। ग्रेटर नोएडा में भी मीडियाकर्मियों के बीच दिनभर अप्रैल फूल के नाम पर अफवाहें उड़ती रहीं। सुबह एक मीडियाकर्मी ने दूसरे साथी को युवती के साथ गैंगरेप होने की सूचना दे दी। इसकी सूचना मिलने पर कासना पुलिस भी पीड़िता को ढूंढती रही , लेकिन बाद में अप्रैल फूल की बात समझ में आने पर पुलिस ने अपना सिर पकड़ लिया।
सायकायट्रिस्ट की राय
सायकायट्रिस्ट डॉ . अनिल सक्सेना का कहना है कि अप्रैल फूल के नाम पर भद्दा मजाक करना गलत है। इससे किसी की भी भावनाएं आहत हो सकती हैं। किसी को हार्ट अटैक भी आ सकता है।
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