Saturday, April 2, 2011

Mumbai Police: Police & Bollywood : Salman Khan : सलमान खान की पार्टी में रंग में भंग डालने पहुंची पुलिस

MUMBAI : भारत-पाक के बीच हुए सेमीफाइनल मैच को देखने बाकी सितारों की तरह सलमान खान मोहाली नहीं पहुंचे लेकिन मैच की जीत का जश्न मनाने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। सलमान ने अपने खास दोस्तों के साथ मुंबई में इस मैच के मजे लिए।
सेमीफाइनल में भारत का पलड़ा भारी देख सलमान ने पहले ही अपने दोस्तों के साथ पार्टी करने का मन बना लिया था। जैसे ही मैदान पर धोनी के धुरंधरों ने पाकिस्तान को धूल चटाई सलमान अपने दोस्तों के साथ बांद्रा के एक पब में जीत का जश्न मनाने पहुंच गए। इसके बाद सलमान और उनके दोस्तों ने यहां जमकर पार्टी की। शराब के साथ पार्टी में खूब तेज संगीत भी बज रहा था और सलमान अपने दोस्तों के साथ जमकर थिरक रहे थे।
जिससे पब के आस पास के रिहायशी इलाके में लोगों की नींद में खलल पड़ गया। शोर से परेशान होकर एक व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत कर दी और सलमान की पार्टी में पुलिस पहुंच गई। पुलिस ने सुबह तक चल रही सलमान की इस पार्टी में पहुंच रंग मे भंग क्या डाला सल्लू मियां का मूड खराब हो गया। पुलिस के आने के बाद सलमान अपने दोस्तों के साथ पब के पिछले दरवाजे से निकल गए।
सलमान ने पिछले दरवाजे से निकलने में ही बेहतरी समझी क्योंकि पब के सामने वाले दरवाजे पर मीडिया वाले कैमरा लिए उनका इंतजार कर रहे थे। इस चक्कर में सलमान को अपनी गाड़ी छोड़कर टैक्सी से घर जाना पड़ा क्योंकि उनकी गाड़ी भी पब के सामने ही पार्क थी।

WB Police : Police in Election : वर्दी को छोड़ अब दीदी की नैया पर सवारी करगें 5 पूर्व आईपीएस अफसर

कोलकाता
आगामी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के टिकट से भारतीय पुलिस सेवा के पांच पूर्व अधिकारी चुनाव लडऩे जा रहे हैं।
इनमें से एक भारतीय पुलिस सेवा के वह पूर्व अधिकारी हैं जिन्होंने ममता बनर्जी के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी और ज्योति बसु के शासन काल में उन्हें वाम मोर्चा के करीब समझा जाता था। पूर्व आईपीएस अधिकारी रचपाल सिंह तारकेश्वर सीट से वाम मोर्चा गठबंधन के फारवर्ड ब्लाक के उम्मीदवार और अग्नि शमन मंत्री प्रतिम बनर्जी के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं। सिंह ने बतौर पुलिस उपमहानिरीक्षक प्रेसिडेंसी रेंज तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ वर्ष 1994 में उत्तरी 24 परगना के बरासात में रैली में हुई हिंसा को लेकर प्राथमिकी दर्ज करायी थी। ममता उस समय युवा कांग्रेस प्रमुख थीं। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने पाया कि वह सिंगूर आंदोलन के दौरान क्रूर सरकार के खिलाफ अकेले लड़ रही हैं तो मैंने उनकी पार्टी में शामिल होने का फैसला किया।’
पूर्व अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी बाली से तृणमूल के टिक ट से चुनावी मैदान में हंंै। इसके अलावा पूर्व आईपीएस अधिकारी हैदर अजीज सफवी उलूबेरिया पूर्वी विधानसभा से माकपा उम्मीदवार मोहन मंडल के खिलाफ चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। वहीं सीबीआई के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक उपेन बिश्वास बागडा अनुसूचित जाति सीट से फारवर्ड ब्लाक के उम्मीदवार निर्मल सिकदर के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

MP Police : Bhopal : पुलिस को क्लीनचिट, नेताओं को नसीहत

भोपाल। शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और तोड़फोड़ के आरोपियों के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होना चाहिए। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के लिए स्पष्ट आचरण संहिता होना चाहिए। यह सुझाव अंबाह-पोरसा हिंसक घटना की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग ने दिया है। सरकार ने भी इस पर सहमति जताई है।
मुरैना जिले में सितंबर 2004 में हुई इस घटना के लिए आयोग ने तत्कालीन कलेक्टर और एसपी की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। आयोग ने इस घटना के दौरान पुलिस गोली चालन और बलप्रयोग को उचित ठहराया है।
गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने मंगलवार को विधानसभा में अंबाह पोरसा हिंसक घटना की न्यायिक जांच आयोग का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।
आयोग के एकल सदस्य न्यायमूर्ति डीके पालीवाल ने बीएसएफ जवान सोबरन सिंह तोमर की मृत्यु के अगले दिन धारा 144 न लगाने, धारा 151 के तहत आपराधिक व्यक्तियों को गिरफ्तार न करने और मौके पर न पहुंचने को लेकर तत्कालीन कलेक्टर और एसपी की निंदा की है।
आयोग का मानना है कि ऐसे उपाय कर घटना को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकता था। उल्लेखनीय है कि घटना के समय मुरैना के कलेक्टर विश्व मोहन उपाध्याय और एसपी राजेश गुप्ता थे। जिन्हें घटना के बाद हटा दिया गया था।
रिपोर्ट में शासन ने भी इस बात पर सहमति जताई है कि स्थानीय अधिकारियों को चेतावनी दी जाए और मप्र के सभी जिला और पुलिस प्रशासन को इस घटना से सबक लेकर अधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए जाएं।

आयोग ने इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सुझाव दिया है कि राजनीतिक पार्टियों से संबंधित व्यक्तियों के लिए स्पष्ट आचरण संहिता होना चाहिए और उसका पालन भी होना चाहिए।
ऐसे व्यक्ति जिन पर विधि एवं व्यवस्था भंग करने, शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, लूट, आगजनी, तोडफ़ोड़ के आरोप हों उनको संवैधानिक संस्थाओं के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होना चाहिए तथा ऐसे आरोपी और दोषी को दंडित किया जाना भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि इस घटना के बाद जिले में राजनीतिक दलों द्वारा धरना, प्रदर्शन, चक्काजाम और शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला शुरू हो गया था।
आयोग ने आगजनी,हिंसा और लूटपाट में पुलिसकर्मियों व अन्य जनों को हुए नुकसान की भरपाई की भी अनुशंसा की है। सरकार ने इस पर अलग से विचार कर निर्णय लेने की बात कही है।

Raj Police : Cyber Crime : साइबर क्राइम: उदयपुर सहित 17 जिले मॉडल सिटी बनेंगे

उदयपुर.नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस इंडिया ने देश के सात राज्यों के 17 जिलों को साइबर क्राइम के मामले में मॉडल सिटी के रूप में विकसित करने का बीड़ा उठाया है।
इसके लिए राज्यों के पुलिस व प्रशासन विभाग को प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं। राजस्थान में जयपुर, उदयपुर, राजसमंद व जोधपुर को शामिल किया गया है।
नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस इंडिया ने राजस्थान के चार जिलों जयपुर, उदयपुर, राजसमंद व जोधपुर के अलावा उज्जैन, रतलाम व इंदौर, गुड़गांव, हिसार, कुरुक्षेत्र, पानीपत, अमृतसर, चंडीगढ़, नासिक, नागपुर व पुणो व मेरठ को मॉडल सिटी के रूप में विकसित करने की योजना बनाई है।
इसके लिए एनसीएसए इंडिया के चेन्नई स्थित मुख्यालय से चयनित जिलों में पुलिस व प्रशासन को प्रस्ताव भेजे जा रहे हैं।
एक्सपर्ट व्यू
"साइबर क्राइम की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए सामाजिक स्तर पर पहल जरुरी थी। आईटी एक्सपर्ट व प्रशासन मिल कर बिना किसी लाभ के समाज को साइबर क्राइम से लड़ने के लिए तैयार किया जा सके यह आवश्यक है।
भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या के साथ साथ साइबर क्राइम की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। हम सब पर सामाजिक जिम्मेदारी है कि बच्चों, महिलाओं, पुलिस व प्रशासन तथा सरकार की हर संभव मदद का प्रयास करें। भारत में साइबर सुरक्षा में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।"
अभिषेक धाबाई, चीफ एडवाइजर व को-फाउंडर एनसीएसए इंडिया
क्या है एनसीएसए इंडिया
नेशनल साइबर सिक्योरिटी एलायंस भारत में बढ़ते साइबर क्राइम से निपटने के लिए साइबर सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स, आईटी के दिग्गज व विशेषज्ञों द्वारा मिल कर गठित की गई एक नॉन प्रोफिट संस्था है।
यूएसए में कार्य कर रही एनसीएसए की तर्ज पर भारत में भी इसका गठन किया गया है। एनसीएसए इंडिया द्वारा विश्व की छह साइबर सिक्योरिटी ऑर्गेनाइजेशन जिसमें अमेरिका, जर्मनी, नाईजीरिया, न्यूजीलैंड व यूरोपियन साइबर सिक्योरिटी एलायंस व मलेशिया से टाईअप किया गया है।
एनसीएसए के कार्य
सभी प्राइमरी, उच्च शैक्षणिक संस्थान, व्यावसायिक तथा सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों में साइबर सिक्योरिटी व क्राइम की घटनाओं की जानकारी व बचाव के उपायों से अवगत कराना है।
इसके अलावा सभी तरह के साइबर क्राइम, जिसमें राष्ट्र के खिलाफ तथा बच्चों व महिलाओं के साथ होने वाले साइबर क्राइम में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के साथ मिल कर देश व विदेश में बैठे साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट के जरिए मामलों को सुलझाने में सहयोग प्रदान करना प्रमुख है।
भारतीय आर्थिक अपराध शाखा के आंकड़ों के मुताबिक साइबर क्राइम के मामलों में वर्ष 09 से लेकर अब तक करीब 600 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
वर्ष 09 में 265 शिकायतें आई थीं, अब यह आंकड़ा 1500 से ऊपर है। देखा जाए तो इनमें से पांच प्रतिशत मामले ही सामने आते हैं, जबकि 95 प्रतिशत मामले दर्ज ही नहीं होते। महिलाओं व युवतियों के साथ स्ट्रेकिंग, ब्लैकमेलिंग, साइबर बुलिंग, हैकिंग, कापरेरेट डेटा हैकिंग आदि के कई मामले भय तथा अज्ञानता के कारण दर्ज नहीं हो सके हैं।
लाइव सर्च करने वाले व्यक्ति चिह्न्ति होंगे
एनसीएसए द्वारा अमेरिका, यूरोपियन व खाड़ी देशों की तर्ज पर भारत में भी उन्हीं तरीकों का प्रभावी क्रियान्वयन किया जाएगा, इससे ऑनलाइन सर्च होने वाले संदेहास्पद की वर्ड जैसे जिहाद, हाउ टू किल पर्सन, हाउ टू सुसाइड आदि को लाइव सर्च करने वाले व्यक्तियों को चिह्न्ति किया जा सकेगा। गुगल मैप, फेस बुक, आरकुट, ट्विटर को पाबंद करने के लीगल उपाय सुझाए जाएंगे।
कैसे बनेंगे मॉडल सिटी
एनसीएसए इंडिया द्वारा मॉडल सिटी के तहत लिए जाने वाले जिलों में पुलिस की साइबर सेल को आधुनिक तरीकों से प्रशिक्षित किया जाएगा।
इसके साथ ही साइबर सेल को विभिन्न प्रकार के साइबर क्राइम व जनरल क्राइम के विश्लेषण के सॉफ्टवेयर निशुल्क उपलब्ध कराए जाएंगे। एनसीएसए इंडिया द्वारा पुलिस व प्रशासन के साथ मिल कर जिले की आपराधिक गतिविधियों को आईटी एक्सपर्ट द्वारा सुलझाया जाएगा।
टोल नाकों पर लगेंगे सॉफ्टवेयर
शहर में आने वाले लोगों की जानकारी अब आसानी से पुलिस व प्रशासन को मिल सकेगी। एनसीएसए की ओर से चयनित जिलों के प्रवेश मार्गो पर स्थित टोल नाकों पर लेटेस्ट सॉफ्टवेयर लगाए जाएंगे, जिससे शहर में आने व जाने वाले वाहनों के नंबर व समय तक की जानकारी पुलिस व प्रशासन के डेटा बेस में देखी जा सकेगी।
इसके लिए कॉल डेटा एनालाइसिस सॉफ्टवेयर, आईपी डिटेक्शन सॉफ्टवेयर व अन्य फोरेंसिक सॉफ्टवेयर हर जिला पुलिस की साइबर सेल को उपलब्ध कराए जाएंगे।
संदिग्ध लोगों पर रख्खी जाएगी नजर
सेटेलाइट मैप का उपयोग कर यदि कोई व्यक्ति किसी महत्वपूर्ण स्थान को को बार बार देख रहा है तो उस व्यक्ति को चिह्न्ति करने की तकनीक भी साइबर सेल को उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके अलावा इंटरनेट कॉलिंग के जरिए मिलने वाली आतंकवादी धमकियों को ट्रेस करने के लिए इजाद की नई तकनीक से आरोपी को चिह्न्ति करने का सिस्टम भी उपलब्ध हो सकेगा।
चयनित शहरों में किया जाएगा प्रचार
एनसीएसए के स्वयंसेवकों की ओर से मॉडल सिटी के रूप में चयनित शहरों में साइबर क्राइम से बचाव को लेकर प्रचार किया जाएगा। स्कूल, कॉलेज, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं में जाकर साइबर क्राइम के प्रति अवेयरनेस की जानकारी दी जाएगी।
15 हजार डॉलर के उपकरण दिए जाएंगे
एनसीएसए द्वारा प्रत्येक जिले को 15 हजार डॉलर के आवश्यक सॉफ्टवेयर व उपकरण निशुल्क मुहैया कराए जाएंगे। विशेष परिस्थितियों में यह बजट राशि बढ़ाई जा सकेगी।

Police Depression : पुलिस को अवसाद से बाहर निकालें

अजमेर। वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेश टंडन ने राजस्थान पुलिस को अवसाद से बाहर निकालने जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सुझाव दिया है। टंडन ने मुख्यमंत्री गहलोत को गुरुवार को अजमेर प्रवास के दौरान इस बारे में पत्र दिया है।
उन्होंने अवगत कराया है कि राजस्थान में पुलिस बल अवसाद ग्रस्त है। पुलिस की यह स्थिति प्रदेश में अराजकता उत्पन्न कर सकती है।
इसके अलावा टंडन ने सड़क हादसों पर रोक के लिए अजमेर में ट्रैफिक पार्क स्थापित करने और जन सुविधा के लिए विद्युत शव दाह गृह बनाने की जरूरत के बारे में गहलोत को अवगत कराया है।
पुलिस में उत्साह का संचार करने की जरूरत
टंडन ने मुख्यमंत्री को बताया कि कानून व्यवस्था बिगड़ने की स्थितियों में सामान्य तौर पर देखा गया है कि पुलिस बल मूकदर्शक बना रहता है, यह स्थिति पुलिसकर्मियों में निराशा के कारण है। इसे दूर करने के लिए कार्ययोजना बनाने की जरूरत है।

Mumbai Police : Cricket World Cup : पुलिस का पब्लिक अड्रेसिंग सिस्टम सब पर पड़ेगा भारी

मुंबई
पुलिस ने भरोसा दिया है कि फाइनल मैच के लिए वानखेडे स्टेडियम के अंदर यदि कुछ गड़बड़ हुई, तो पुलिस का पब्लिक अड्रेसिंग सिस्टम काफी काम आएगा। यह भरोसा खुद पुलिस कमिश्नर अरूप पटनायक ने गुरुवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में दिलाया। मैच के दौरान कई बार स्टेडियम में स्कोर बताने के लिए अनाउंसमेंट होता है। स्टेडियम में अक्सर म्यूजिक भी चलता रहता है। इसके अलावा लोगों का शोरगुल इतना तेज होता है कि एक कोने से होने वाला एनाउंसमेंट दूसरे कोने में सुनाई नहीं पड़ता। ऐसे में इस बार पुलिस का पब्लिक एनाउंसमेंट सिस्टम कुछ इस तरह बनाया गया है कि आपात स्थिति में पुलिस द्वारा की जानेवाली उद्घोषणा के दौरान बाकी एड्रेसिंग सिस्टम अपने आप बंद हो जाएंगे। पुलिस ने दक्षिण मुंबई के दो अस्पतालों के डॉक्टरों और नर्सों को फाइनल मैच के दिन 24 घंटे ड्यूटी पर रहने को कहा है।

Kolkatta Police : EC transfer order for city police chief

KOLKATA: In an unprecedented move, the Election Commission has asked the state government to replace city police commissioner Gautam Mohan Chakrabarti because he has been in his present position for more than three years.
The government is now faced with two crucial decisions at the same time who to select as the next commissioner, with the elections a month away, as well as to give Chakrabarti, an efficient officer with high credibility, a suitable alternative position.
Chief secretary Samar Ghosh and home secretary G D Gautama went into a huddle to discuss this on Wednesday morning.
The EC order came as a surprise in the corridors of Writers' Buildings because there was no rule or EC directive so far to transfer an officer of the rank of commissioner of police. "In case of Kolkata Police, there is a specific clause that transfer of officers, who have been in a particular place for more than three years, would apply only up to the rank of divisional commissioner," chief electoral officer Sunil Kumar Gupta said on Wednesday.
The EC, in a letter late on Tuesday night, asked the government for a panel of names to choose the next commissioner. The names doing the rounds are Raj Kanojia (1982 batch) and R K Pachnanda (1983). Banibrata Basu (1983) and Shivaji Ghosh (1985) are said to be among the probables as well. In terms of seniority, V V Thambi, ADG (police recruitment board), is the first in line. He is the same batch as Chakrabarti, 1978, and has also worked with Kolkata Police. Next in seniority are ADG (human rights) K Prabhakar Rao, ADG (fire services) Jogesh Chattopadhyay and ADG (prisons) B D Sharma. Chattopadhyay and Sharma have been with Kolkata Police.

Sources say that keeping the elections in mind the government is likely to select someone who has handled tough assignments and has rich policing experience. The government top brass discussed these issues throughout the day.
Gautam Mohan Chakrabarti is an officer of the ADG rank in the state government and was recently empanelled to hold ADG rank in the Government of India. There was already talk of his taking up a central deputation.
The state government has completed the exercise of transferring all those who were serving in their home district or had been in a particular district for more than three years, following the EC's directives (sent in an order on December 14, 2010). The EC said the directive was not applicable for those posted in the state headquarters. The chief secretary on Wednesday clarified that the December order was not applicable in case of the city police commissioner.

"I don't know why the Election Commission ordered the transfer now. We have responded to it, however. The EC will give the clearance and the government will give the appointment," chief secretary Samar Ghosh said.
The CEO said that under Section 28 of the Representation of People's Act, every policeman from the director general to constable is under the Election Commission till the end of the polling process on May 18. Home secretary G D Gautama has issued an order on this. By this, the CEO implied that the EC could take any decision on any transfer. However, it has still surprised many since the order was sudden and unexpected.