नई दिल्ली । राजधानी दिल्ली में विदेशी कॉलगर्ल्स का धंधा अब खुलेआम होता जा रहा है। पुलिस के छापों और धरपकड़ से बचने के लिए विदेशी कॉलगर्ल्स राजधानी के पॉश कॉलोनियों में शोध छात्राएं बनकर रह रही हैं। और अपने आपको शोध छात्राएं बता कर मकान मालिक से किराए का मकान हासिल करती हैं।
प्रूफ के तौर पर विदेशी लड़कियां मकान मालिक को पासपोर्ट की कॉपी थमाती हैं। भारतीय किरायदारों की तुलना में इनसे मकान मालिकों को किराया अच्छा मिलता है। जिसके लालच में आकर मकान मालिक नियमों की धज्जियां उड़ाकर किरायदारों का वेरीफिकेशन करना भी जरूरी नहीं समझते।
दिल्ली पुलिस के अपराध शाखा में तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि पहाड़गंज, नबीकरीम और करोलबाग के होटल विदेशी कॉलगर्ल्स के लिए बदनाम हो चुके हैं। इसलिए अब कॉलगर्ल्स ने अपना नया ठिकाना बना लिया है। विदेशी युवतियां शहर के प्रोपर्टी डीलरों के माध्यम से मकान मालिकों को मुंह मांगी कीमतें देकर पॉश कॉलोनियों जैसे बसंत विहार, बसंत कुंज, ग्रेटर कैलाश, पंपोस इंकलेव, मालवीय नगर, ग्रीन पार्क, साउथ एक्सटेंटशन जैसे इलाकों मे अपना ठिकाना बना रही हैं।
पॉश कॉलोनियों में ठहरने के कारण युवतियों का स्टेटस भी हाई होने लगा है। यहीं नहीं इसका फायदा वह ग्राहकों से मुंह मांगी कीमत लेकर उठाती हैं। इतना ही नहीं इन कॉलोनियों के लोग खुले विचार के हैं तो इस तरह के बातों पर ध्यान भी नहीं देते। उन्हें किसी से कोई मतलब नहीं होता।
एक बार मकान लेने के बाद इन मकानों में विदेशी युवतियों का आना-जाना लगा रहता है। वीजा की अवधि समाप्त होते ही विदेशी युवती अपनी किसी अन्य साथी को मकान में रूकवा जाती हैं। और मकान मालिक को वापस आने का वादा कर विदेश चली जाती हैं। ताकि उनका मकान उनके पास ही रहे और कोई अन्य वहां आ भी ना पाए।
साउथ एक्सटेंशन में प्रोपर्टी का व्यवसाय करने वाला राजेन्द्र कुमार ने बताया कि वह ऐसी बहुत सारी विदेशी लड़कियों को जानते हैं जो देह व्यापार का धंधा करती हैं। यह लड़कियां लगभग 10 सालों से एक ही मकान में रह रही हैं। अगर उन्हें विदेश भी जाना होता है तो वह अन्य किसी लड़की को रूकवा कर चली जाती हैं। और फिर वापस आकर वहीं रहने लगती हैं।
इन विदेशी लड़कियों की खासियत है कि वो तय समय पर मकान मालिक को अपने किराए के पैसे देती हैं। वह या तो कैश देती हैं या फिर उनके अकाउंट में जमा करवाती हैं। यूं तो अक्सर मकान मालिकों को अपने घर पर किराएदारों द्वारा कब्जा करने का डर रहता है। लेकिन इन विदेशी बालाओं को लंबे समय तक किराएदार के रूप में रखने में मकान मालिकों को कोई परेशानी नहीं होती है। यह विदेशी बालाएं 30 हजार से लेकर 80 हजार तक का मासिक किराया आसानी से मकान मालिकों को देती हैं।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे जानते हुए भी कि ये विदेशी बालाएं क्या धंधा करती हैं, के बावजूद इन्हें वे गिरफ्तार नहीं कर सकते। विदेशी होने के कारण बिना प्रमाण उन्हें धरपकड़ नहीं कर सकते। उन्होंने बताया कि विदेशी बालाओं को पकड़ने के लिए पुलिस को प्लान बनाना पड़ता है। पुराने ग्राहक के जरिए या वेबसाइट पर कॉलगर्ल्स मुहै्या करवाने वाले गिरोह का पता लगाकर इनसे सौदा किया जाता है। सौदा होने के बाद इन युवतियों के ठिकानों पर पहुंच कर सबूतों के आधार पर ही इन विदेशी युवतियों को गिरफ्तार कर सकते हैं।
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Tuesday, September 6, 2011
Delhi Police: Court Dying Declaration: ‘पता उपरोक्त’, ‘मय परिवार’, ‘एक मुश्त’, ‘एक नीयत’ जैसे शब्दों से अदालत को हुआ मृत्यु पूर्व बयान की सत्यता पर संदेह, आरोपी हुए बरी..
नई दिल्ली.हत्या के मामले के पांच आरोपियों को अदालत ने छोड़ दिया है। वजह, मरने वाले व्यक्ति के अंतिम बयान में ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ था जिन्हें रोजमर्रा की बातचीत में इस्तेमाल नहीं किया जाता है। यह बयान पुलिस ने लिया था।
अतिरिक्त सेशन जज मनोज जैन ने कहा कि ऐसे शब्द मृत्यु पूर्व बयान की सत्यता पर संदेह पैदा करते हैं। उन्होंने सर्वेश के अंतिम बयान में आए ‘पता उपरोक्त’, ‘मय परिवार’, ‘एक मुश्त’, ‘एक नीयत’ जैसे शब्दों को इंगित किया।
अदालत ने इन्हें ‘विचित्र’ करार दिया। क्योंकि साधारणत: आम आदमी रोजमर्रा की बातचीत में इनका इस्तेमाल नहीं करते। फिर वैसे हालात में तो और भी मुश्किल है जब व्यक्ति गंभीर हाल में मृत्यु शैया पर पड़ा हो।
इसके साथ ही अदालत ने नवीन कुमार गुप्ता, गयासी कश्यप, उमेश प्रसाद, राजू और जितेंद्र कुमार को बरी कर दिया। अभियोजन का कहना था कि इन लोगों ने 26 जुलाई 2010 को सर्वेश तथा अंकुश की कथित रूप से लोहे की छड़ों और बेसबाल के बैट से पिटाई थी।
फिर उनपर चाकुओं से भी हमला किया था। इसके बाद उपचार के दौरान सर्वेश ने दम तोड़ दिया था लेकिन अंकुश बच गया। अदालत ने पुलिस के इस बयान पर भी संदेह जताया कि गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद सर्वेश बयान देने के लिए केवल 15 मिनट तक ठीक रहा।
अतिरिक्त सेशन जज मनोज जैन ने कहा कि ऐसे शब्द मृत्यु पूर्व बयान की सत्यता पर संदेह पैदा करते हैं। उन्होंने सर्वेश के अंतिम बयान में आए ‘पता उपरोक्त’, ‘मय परिवार’, ‘एक मुश्त’, ‘एक नीयत’ जैसे शब्दों को इंगित किया।
अदालत ने इन्हें ‘विचित्र’ करार दिया। क्योंकि साधारणत: आम आदमी रोजमर्रा की बातचीत में इनका इस्तेमाल नहीं करते। फिर वैसे हालात में तो और भी मुश्किल है जब व्यक्ति गंभीर हाल में मृत्यु शैया पर पड़ा हो।
इसके साथ ही अदालत ने नवीन कुमार गुप्ता, गयासी कश्यप, उमेश प्रसाद, राजू और जितेंद्र कुमार को बरी कर दिया। अभियोजन का कहना था कि इन लोगों ने 26 जुलाई 2010 को सर्वेश तथा अंकुश की कथित रूप से लोहे की छड़ों और बेसबाल के बैट से पिटाई थी।
फिर उनपर चाकुओं से भी हमला किया था। इसके बाद उपचार के दौरान सर्वेश ने दम तोड़ दिया था लेकिन अंकुश बच गया। अदालत ने पुलिस के इस बयान पर भी संदेह जताया कि गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद सर्वेश बयान देने के लिए केवल 15 मिनट तक ठीक रहा।
Jharkhand Police: Ranchi: डीएसपी मधुसूदन पर गिर सकती है गाज, नौकरी पाने की जांच निगरानी ब्यूरो ने की...
रांची डीएसपी मधुसूदन पर गाज गिर सकती है। एससी कोटे से नौकरी पाने की जांच निगरानी ब्यूरो ने पूरी कर ली है। कभी भी सरकार को जांच की रिपोर्ट भेजी जा सकती है। जांच में मधुसूदन के खिलाफ ठोस साक्ष्य मिलने की बात बताई जा रही है। इसी वजह से उनकी परेशानी बढ़ सकती है। इसके अलावा पूर्व में ही इसी सिलसिले में मधुसूदन पर लगे आरोप से संबंधित फाइल की खोज भी सचिवालय में की जा रही है। यह फाइल कहां है। इसकी जानकारी नहीं मिल पा रही है। निगरानी ब्यूरो के जांच अधिकारी ने गृह विभाग व कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर फाइल के मूवमेंट के बारे में जानकारी मांगी है।
क्या है मामला : डीएसपी मधुसूदन एससी कोटे से नौकरी में हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई भी इसी आरक्षित कोटे से की है। इनके विरुद्ध सरकार को लंबे समय शिकायत मिल रही थी। इससे संबंधित फाइल सचिवालय में खुली थी। लेकिन वह फाइल फिलहाल कहां है इसकी जानकारी नहीं है। इस बीच अन्य शिकायत के आधार पर गृह विभाग ने निगरानी ब्यूरो को डीएसपी मधुसूदन द्वारा एससी के नाम पर आरक्षण का लाभ लेते हुए नौकरी पाने के मामले की जांच का आदेश दिया। जांच में यह बात सामने आ रही है कि व बनिया जाति से आते हैं लेकिन उन्होंने एससी का लाभ लिया। जांच के क्रम में यह बात सामने आई है कि इन्हें रामेश्वर पासवान ने गोद लिया था।
मधुसूदन के मामले में जांच जारी है, रिपोर्ट मिलते ही सरकार को भेज दी जाएगी। ""
एमवी राव, आईजी निगरानी
क्या है मामला : डीएसपी मधुसूदन एससी कोटे से नौकरी में हैं। उन्होंने अपनी पढ़ाई भी इसी आरक्षित कोटे से की है। इनके विरुद्ध सरकार को लंबे समय शिकायत मिल रही थी। इससे संबंधित फाइल सचिवालय में खुली थी। लेकिन वह फाइल फिलहाल कहां है इसकी जानकारी नहीं है। इस बीच अन्य शिकायत के आधार पर गृह विभाग ने निगरानी ब्यूरो को डीएसपी मधुसूदन द्वारा एससी के नाम पर आरक्षण का लाभ लेते हुए नौकरी पाने के मामले की जांच का आदेश दिया। जांच में यह बात सामने आ रही है कि व बनिया जाति से आते हैं लेकिन उन्होंने एससी का लाभ लिया। जांच के क्रम में यह बात सामने आई है कि इन्हें रामेश्वर पासवान ने गोद लिया था।
मधुसूदन के मामले में जांच जारी है, रिपोर्ट मिलते ही सरकार को भेज दी जाएगी। ""
एमवी राव, आईजी निगरानी
UP Police: Kanpur: 34 की मुंहबोली चाची, 22 का मुंहबोला भतीजा, पांच साल के प्यार के बाद भतीजे की शादी से खफा हो गई चाची..
कानपुर। शारीरिक भूख को प्रेम का नाम देने वाले रिश्तों की आड़ में अपने घर परिवार व समाज को धोखा देते हैं और जब रिश्तों में खटास उत्पन्न हो जाती है तो एक-दूसरे पर आरोपों की बौछार करने लगते हैं। ऐसा ही एक मामला शूटर गंज इलाके में प्रकाश में आया। यहां निवास करने वाली एक महिला के अपने मुंह बोले भीतेजे से शारीरिक प्रेम संबंध हो गए। चाची-भतीजे के रुप में यह प्रेम-प्रसंग करीब पांच साल तक चला इस दौरान चाची ने भतीजे के ऊपर चार लाख से ज्यादा की रकम खर्च कर दी। दुनिया वालों की इस सच्चाई का पता तब चला जब भतीजे का विवाह तय होने पर खुन्नस खाई चाची ने पुलिस थाने में तहरीर दे कर उसे जेल भिजवा दिया। अब भतीजा अपने से उम्र में 12 साल बड़ी चाची से प्रेम करने के अपराध का प्राश्चित जेल की सलाखों के पीछे कर रहा है।
जानकारी के मुताबिक ग्वालटोली थाना क्षेत्र के शूटरगंज में एक रक्षा कर्मी अपनी 34 वर्षीय पत्नी और बच्चों के साथ निवास करते हैं। वहीं पास में एक और ओईएफ कर्मी अशोक का परिवार भी रहता है। जिनके बेटे नवल (22) का रक्षा कर्मी के यहां करीब पांच साल से आना-जाना था। नवल रक्षा कर्मी की पत्नी को चाची कहता था। बताया जाता हैं कि रक्षा कर्मी की गैरमौजूदगी में नवल चाची के पास अधिक समय तक रहता, लेकिन चाची-भतीजे का रिश्ता होने के कारण किसी को भी उनके अनैतिक संबंधों की भनक तक नहीं लगी। इस दौरान चाची ने एक बेटी को जन्म भी दिया। जिस पर नवल ने उसका बहुत ख्याल रखा। नवल के सेवा भाव के कारण रक्षा कर्मी उस पर जरूरत से ज्यादा विश्वास करता रहा। किसी प्रकार से मुहल्ले वालों को नवल पर शक हो गया और डेढ़ साल पहले दोनों के बीच कुछ गलत होने की चर्चा फैलने लगी।
इस बात पर नवल के पिता ने उसकी जम कर पिटाई की और उसके चाची के घर जाने पर पाबंदी लगा दी। इस बात से व्याकुल चाची ने अपनी तरफ से पहल कर अफवाहों पर विराम लगा दिया। कुछ दिनों बाद परिजनों ने नवल का विवाह तय कर दिया। जिस बात की भनक किसी प्रकार चाची को लग गयी। उसने नवल पर विवाह न करने का दबाव बनाया। लेकिन नवल ने उसकी एक नहीं मानी और विवाह को तैयार हो गया। बकौल अशोक मेरा बेटा बहक गया था लेकिन सुधरने के बाद जब उसका विवाह होने लगा तो उस महिला ने नाराज होकर ग्वालटोली थाने में अमानत में खयानत की तहरीर दे दी। जिस पर पुलिस ने उनके बेटे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। ग्वालटोली थाना प्रभारी ने बताया कि उक्त महिला ने एक लाख 48 हजार रुपए नगद और करीब तीन लाख की कीमत के जेवरों की अमानत में खयानत की तहरीर दी थी। जिसके तहत कार्रवाई करते हुए नवल की पल्सर मोटर साइकिल महिला को दिलाने के साथ ही उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। बाद में मामले की जांच करने पर पता चला की दोनों के बीच करीब पांच से संबंध चले आ रहे थे।
जानकारी के मुताबिक ग्वालटोली थाना क्षेत्र के शूटरगंज में एक रक्षा कर्मी अपनी 34 वर्षीय पत्नी और बच्चों के साथ निवास करते हैं। वहीं पास में एक और ओईएफ कर्मी अशोक का परिवार भी रहता है। जिनके बेटे नवल (22) का रक्षा कर्मी के यहां करीब पांच साल से आना-जाना था। नवल रक्षा कर्मी की पत्नी को चाची कहता था। बताया जाता हैं कि रक्षा कर्मी की गैरमौजूदगी में नवल चाची के पास अधिक समय तक रहता, लेकिन चाची-भतीजे का रिश्ता होने के कारण किसी को भी उनके अनैतिक संबंधों की भनक तक नहीं लगी। इस दौरान चाची ने एक बेटी को जन्म भी दिया। जिस पर नवल ने उसका बहुत ख्याल रखा। नवल के सेवा भाव के कारण रक्षा कर्मी उस पर जरूरत से ज्यादा विश्वास करता रहा। किसी प्रकार से मुहल्ले वालों को नवल पर शक हो गया और डेढ़ साल पहले दोनों के बीच कुछ गलत होने की चर्चा फैलने लगी।
इस बात पर नवल के पिता ने उसकी जम कर पिटाई की और उसके चाची के घर जाने पर पाबंदी लगा दी। इस बात से व्याकुल चाची ने अपनी तरफ से पहल कर अफवाहों पर विराम लगा दिया। कुछ दिनों बाद परिजनों ने नवल का विवाह तय कर दिया। जिस बात की भनक किसी प्रकार चाची को लग गयी। उसने नवल पर विवाह न करने का दबाव बनाया। लेकिन नवल ने उसकी एक नहीं मानी और विवाह को तैयार हो गया। बकौल अशोक मेरा बेटा बहक गया था लेकिन सुधरने के बाद जब उसका विवाह होने लगा तो उस महिला ने नाराज होकर ग्वालटोली थाने में अमानत में खयानत की तहरीर दे दी। जिस पर पुलिस ने उनके बेटे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। ग्वालटोली थाना प्रभारी ने बताया कि उक्त महिला ने एक लाख 48 हजार रुपए नगद और करीब तीन लाख की कीमत के जेवरों की अमानत में खयानत की तहरीर दी थी। जिसके तहत कार्रवाई करते हुए नवल की पल्सर मोटर साइकिल महिला को दिलाने के साथ ही उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। बाद में मामले की जांच करने पर पता चला की दोनों के बीच करीब पांच से संबंध चले आ रहे थे।
Punjab Police: Ludhiana: पुलिस के अधूरे पड़े प्रोजेक्टों की फेहरिस्त हुई लंबी, धूल खा रहे हैं मॉडल ट्रैफिक बूथ
लुधियाना . पुलिस के अधूरे पड़े प्रोजेक्टों की फेहरिस्त लंबी है। इन अधूरे पड़े प्रोजेक्टों में लगा धन, वक्त और अपेक्षाएं सब बेकार साबित हो रही हैं। इसका ताजा उदाहरण चौकों पर बनने वाले ट्रैफिक पुलिस के स्थायी बूथ हैं। चौकों पर जगह लेकर पुलिस ने करीब दो वर्ष पहले स्थायी बूथ बनाने शुरू किए थे। जिला पुलिस के शीर्ष में बदलाव के साथ नए आए अफसरों की प्राथमिकताएं भी बदल गईं। लिहाजा, पुराने अफसरों की ओर से आरंभ किए गए प्रोजेक्ट जाया चले गए।
ट्रैफिक बूथों का निर्माण पुलिस कर्मियों को तेज धूप, बारिश व आंधी आदि से बचाने के लिए किया गया था। अकसर ऐसी स्थिति में पुलिस कर्मियों को पास की किसी दुकान या मकान में शरण लेनी पड़ रही थी। यह प्रोजेक्ट तत्कालीन एसएसपी डा. सुखचैन सिंह गिल के कार्यकाल में आरंभ किया गया था।
यह बूथ पक्के बनाए जाने थे और सभी तरफ नजर रखने के लिए इसमें बड़ी खिड़कियां लगाई जानी थीं। माडल के तौर पर पुलिस ने फव्वारा चौक के पास एक ऐसा बूथ तैयार कर लिया था। इसमें सड़क हादसे के घायलों के लिए फस्र्ट एड दिए जाने का भी प्रावधान था। इससे पहले कि प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाता, लुधियाना में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो गया। नए कमिश्नर के तौर पर ईश्वर सिंह ने चार्ज संभाला। उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं और यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया।
आलम यह है कि पुलिस कर्मी चौकों के एक किनारे ही बैठ कर काम करते हैं और बारिश होने पर किसी नजदीकी दुकान या मकान में शरण लेने के लिए दौड़ते हैं। माडल के तौर पर बनाया गए बूथ पर अनदेखी की मार पड़ने लगी है।
ट्रैफिक बूथों का निर्माण पुलिस कर्मियों को तेज धूप, बारिश व आंधी आदि से बचाने के लिए किया गया था। अकसर ऐसी स्थिति में पुलिस कर्मियों को पास की किसी दुकान या मकान में शरण लेनी पड़ रही थी। यह प्रोजेक्ट तत्कालीन एसएसपी डा. सुखचैन सिंह गिल के कार्यकाल में आरंभ किया गया था।
यह बूथ पक्के बनाए जाने थे और सभी तरफ नजर रखने के लिए इसमें बड़ी खिड़कियां लगाई जानी थीं। माडल के तौर पर पुलिस ने फव्वारा चौक के पास एक ऐसा बूथ तैयार कर लिया था। इसमें सड़क हादसे के घायलों के लिए फस्र्ट एड दिए जाने का भी प्रावधान था। इससे पहले कि प्रोजेक्ट आगे बढ़ पाता, लुधियाना में कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो गया। नए कमिश्नर के तौर पर ईश्वर सिंह ने चार्ज संभाला। उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं और यह प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पाया।
आलम यह है कि पुलिस कर्मी चौकों के एक किनारे ही बैठ कर काम करते हैं और बारिश होने पर किसी नजदीकी दुकान या मकान में शरण लेने के लिए दौड़ते हैं। माडल के तौर पर बनाया गए बूथ पर अनदेखी की मार पड़ने लगी है।
Punjab Police: Jalandhar: नेताओं की बदतमीजी और अश्लील शब्दों के आगे ढेर हुई पंजाब पुलिस
जालंधर . मकसूदां थाने की पुलिस सोमवार को चंद नेताओं की बदतमीजी और अश्लील शब्दों के आगे ढेर होती दिखी। अमन-शांति भंग करने वाले युवक को हिरासत में लेने के बाद थाने के बाहर जुटी भीड़ में शामिल कुछ लोग इतने ‘हिम्मती’ थे, जिन्होंने पुलिस अधिकारियों को सरेआम गालियां निकाली। बजाय उन्हें रोकने के, पुलिस अफसरों ने कमरे में बंद रहना बेहतर समझा।
यहां तक कि एसएचओ परमजीत सिंह के सामने एएसआई बलबीर सिंह को गालियां निकाली गई, मगर वह भी उन्हें रोक न पाए। नौबत तो यहां तक आ गई कि कुछ नेताओं ने मुलाजिमों से हाथापाई करने की भी कोशिश की। एसएचओ परमजीत सिंह अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकले।
बड़ी बात ये भी कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस का कोई बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। ढाई घंटे बाद डीएसपी जगदीप सिंह थाने पहुंचे और वह भी एसएचओ के कमरे में घुस गए। उन्होंने भी धरना देने वाले लोगों को समझाने की कोशिश नहीं कि जिस कारण विवाद बढ़ता चला गया। गुस्साई भीड़ कभी सड़क पर जाम लगा रही थी तो कभी वाहनों को जबरन रोक रही थी। कुछ राहगीरों से मारपीट की भी खबर है।
शुरू में बरती ढिलाई: 12 बजे विवाद शुरू हुआ, जो 3 बजे तक चला। शुरुआत में ही पुलिस मुलाजिमों ने नेताओं व लोगों को प्यार से समझाया होता, तो विवाद इस हद तक न बढ़ता। सबसे पहले मौके पर थाना-एक के एसआई केवल किशोर, एएसआई विजय कुमार, एएसआई जगदीश कुमार और पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री पहुंचे। सभी ढीले रवैये से पेश आए और नेताओं को संतोषजनक कार्रवाई का आश्वासन नहीं दे पाए, जिस कारण माहौल खराब होता गया।
हैरत वाली बात ये रही कि पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री तो भीड़ के कुछ लोगों के साथ जफ्फी डालते दिखाई दिए। एसएचओ भी जब मौके पर आए तो धरना उठवाने की बजाए पीछे वाले रास्ते से अपने कमरे में घुस गए।
यहां तक कि एसएचओ परमजीत सिंह के सामने एएसआई बलबीर सिंह को गालियां निकाली गई, मगर वह भी उन्हें रोक न पाए। नौबत तो यहां तक आ गई कि कुछ नेताओं ने मुलाजिमों से हाथापाई करने की भी कोशिश की। एसएचओ परमजीत सिंह अपने कमरे से बाहर ही नहीं निकले।
बड़ी बात ये भी कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान पुलिस का कोई बड़ा अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। ढाई घंटे बाद डीएसपी जगदीप सिंह थाने पहुंचे और वह भी एसएचओ के कमरे में घुस गए। उन्होंने भी धरना देने वाले लोगों को समझाने की कोशिश नहीं कि जिस कारण विवाद बढ़ता चला गया। गुस्साई भीड़ कभी सड़क पर जाम लगा रही थी तो कभी वाहनों को जबरन रोक रही थी। कुछ राहगीरों से मारपीट की भी खबर है।
शुरू में बरती ढिलाई: 12 बजे विवाद शुरू हुआ, जो 3 बजे तक चला। शुरुआत में ही पुलिस मुलाजिमों ने नेताओं व लोगों को प्यार से समझाया होता, तो विवाद इस हद तक न बढ़ता। सबसे पहले मौके पर थाना-एक के एसआई केवल किशोर, एएसआई विजय कुमार, एएसआई जगदीश कुमार और पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री पहुंचे। सभी ढीले रवैये से पेश आए और नेताओं को संतोषजनक कार्रवाई का आश्वासन नहीं दे पाए, जिस कारण माहौल खराब होता गया।
हैरत वाली बात ये रही कि पीसीआर इंचार्ज अश्विनी अत्री तो भीड़ के कुछ लोगों के साथ जफ्फी डालते दिखाई दिए। एसएचओ भी जब मौके पर आए तो धरना उठवाने की बजाए पीछे वाले रास्ते से अपने कमरे में घुस गए।
MP Police:Bhopal: भोपाल में बेखौफ हुए बदमाश, पुलिस कंट्रोल रुम के सामने कर दी वारदात..
भोपाल। जहांगीराबाद इलाके में बाइक सवार बदमाश पुलिस कंट्रोल रूम के पास एक बुजुर्ग महिला के गले से चेन लूट कर फरार हो गए। वारदात के समय महिला अपने बेटे के साथ स्कूटर से छोटे बेटे के घर जा रही थी। महिला की शिकायत पर जहांगीराबाद पुलिस ने लूट का मामला दर्ज कर लिया है।
पुलिस के मुताबिक शिवाजी नगर निवासी लक्ष्मण नेमा (40) सरकारी प्रेस में नौकरी करते हैं। रविवार रात करीब पौने आठ बजे वह अपनी मां राजकुमारी नेमा (70) के साथ स्कूटर से चौक बाजार निवासी छोटे भाई के घर जा रहे थे। अभी दोनों जेल पहाड़ी रोड स्थित पशु चिकित्सालय के आगे ही बढ़े थे कि रांग साइड से बाइक सवार दो युवक उनकी ओर आने लगे।
लक्ष्मण ने स्कूटर की रफ्तार जैसे ही धीमी की, बाइक पर पीछे बैठे बदमाश ने राजकुमारी के गले से करीब सवा तोला सोने की चेन झपट ली। लक्ष्मण कुछ समझ पाते, इससे पहले ही बदमाश पुलिस कंट्रोल रूम की ओर फरार हो गए।
पुलिस के मुताबिक शिवाजी नगर निवासी लक्ष्मण नेमा (40) सरकारी प्रेस में नौकरी करते हैं। रविवार रात करीब पौने आठ बजे वह अपनी मां राजकुमारी नेमा (70) के साथ स्कूटर से चौक बाजार निवासी छोटे भाई के घर जा रहे थे। अभी दोनों जेल पहाड़ी रोड स्थित पशु चिकित्सालय के आगे ही बढ़े थे कि रांग साइड से बाइक सवार दो युवक उनकी ओर आने लगे।
लक्ष्मण ने स्कूटर की रफ्तार जैसे ही धीमी की, बाइक पर पीछे बैठे बदमाश ने राजकुमारी के गले से करीब सवा तोला सोने की चेन झपट ली। लक्ष्मण कुछ समझ पाते, इससे पहले ही बदमाश पुलिस कंट्रोल रूम की ओर फरार हो गए।
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