उदयपुर। गिर्वा तहसील के बेमला गांव में मृत्युभोज होने की सूचना देने के बाद भी प्रशासन के कोई कार्रवाई नहीं होने से मृत्युभोज सम्पन्न हो गया। इस संबंध में बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने सरपंच पर आयोजनकर्ताओं को बचाने का आरोप लगाया है।
सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल गोराना ने बताया कि बंधुआ मुक्ति मोर्चा की ओर से १८ मार्च, २०११ को एडीएम गिर्वा प्रदीपसिंह सांगावत को गांव बेमला में मोहन लाल लौहार के निधन पर उनके पुत्र मांगीलाल लौहार एवं रामचन्द्र लौहार द्वारा मृत्युभोज करने की सूचना दी गई। गोराना ने बताया कि बेमला में मृतक के परिजनों ने अपने घर से कुछ दूरी पर रात-भर मालपुए और दाल बनवाई और लोगों को भोजन कराया। यह भोज दूसरे दिन सुबह साढ़े ग्यारह बजे तक चलता रहा। गोराना ने बताया कि १७ मार्च को थानाधिकारी कुराबड़ को मौके पर जाब्ता भेजने की मांग की गई लेकिन मृत्युभोज स्थल से लोगों को गाडि़यों में बैठा कर कुछ दूरी पर एक साथ उतार दिया गया और फटाफट भोजन परोसना शुरू कर दिया। इस घटनाक्रम की जानकारी डी०वाई०एस०पी०, थानाधिकारी-कुराबड़, नायक तहसीलदार-कुराबड़ तथा सरपंचपुष्कर वैष्णव को दी गई। गोराना ने आरोप लगाया कि थानाधिकारी-कुराबड़ व नायक तहसीलदार-कुराबड़ बेमला गांव में पंहुचे तो सरपंच ने दोनो को गुमराह किया। गोराना का आरोप है कि सरपंच गांव में मृत्युभोज के आयोजन को नकारते रहे वहीं थानाधिकारी को मृत्युभोज स्थल मिल नही मिला। समय निकलता रहा और अन्त में जब पुलिस वास्तविक स्थल पर पहुंची तो दाल बिखरने और मालपुओं के टुकड़े तथा जूठी ताजा पतन-दौने और पानी का ड्रम मिला। कुछ लोग पुलिस को देखकर भाग गए। मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने स्थल पर सारे सबूत बताए तो पुलिस द्वारा अग्रीम कारवाई हेतू कोई प्रत्युत्र नही दिया गया। गोराना ने चेतावनी दी कि शीघ्र ही मृत्युभोज का आयोजन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने पुलिस को गुमराह करने पर सरपंच के खिलाफ भी कार्यवाही करने की मांग की है।
साभार - प्रात:काल
सामाजिक कार्यकर्ता निर्मल गोराना ने बताया कि बंधुआ मुक्ति मोर्चा की ओर से १८ मार्च, २०११ को एडीएम गिर्वा प्रदीपसिंह सांगावत को गांव बेमला में मोहन लाल लौहार के निधन पर उनके पुत्र मांगीलाल लौहार एवं रामचन्द्र लौहार द्वारा मृत्युभोज करने की सूचना दी गई। गोराना ने बताया कि बेमला में मृतक के परिजनों ने अपने घर से कुछ दूरी पर रात-भर मालपुए और दाल बनवाई और लोगों को भोजन कराया। यह भोज दूसरे दिन सुबह साढ़े ग्यारह बजे तक चलता रहा। गोराना ने बताया कि १७ मार्च को थानाधिकारी कुराबड़ को मौके पर जाब्ता भेजने की मांग की गई लेकिन मृत्युभोज स्थल से लोगों को गाडि़यों में बैठा कर कुछ दूरी पर एक साथ उतार दिया गया और फटाफट भोजन परोसना शुरू कर दिया। इस घटनाक्रम की जानकारी डी०वाई०एस०पी०, थानाधिकारी-कुराबड़, नायक तहसीलदार-कुराबड़ तथा सरपंचपुष्कर वैष्णव को दी गई। गोराना ने आरोप लगाया कि थानाधिकारी-कुराबड़ व नायक तहसीलदार-कुराबड़ बेमला गांव में पंहुचे तो सरपंच ने दोनो को गुमराह किया। गोराना का आरोप है कि सरपंच गांव में मृत्युभोज के आयोजन को नकारते रहे वहीं थानाधिकारी को मृत्युभोज स्थल मिल नही मिला। समय निकलता रहा और अन्त में जब पुलिस वास्तविक स्थल पर पहुंची तो दाल बिखरने और मालपुओं के टुकड़े तथा जूठी ताजा पतन-दौने और पानी का ड्रम मिला। कुछ लोग पुलिस को देखकर भाग गए। मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने स्थल पर सारे सबूत बताए तो पुलिस द्वारा अग्रीम कारवाई हेतू कोई प्रत्युत्र नही दिया गया। गोराना ने चेतावनी दी कि शीघ्र ही मृत्युभोज का आयोजन करनेवालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो आंदोलन किया जाएगा। उन्होंने पुलिस को गुमराह करने पर सरपंच के खिलाफ भी कार्यवाही करने की मांग की है।
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