नई दिल्ली. जगह भी वही, मुद्दा भी वही, बस फर्क है तो सिर्फ जनाब (पुलिस) के रवैये का। जी हां, यह वही रामलीला मैदान है, जहां चार जून की रात को भ्रष्टाचार व कालेधन के खिलाफ आवाज उठा रहे बाबा रामदेव के अनशन को पुलिस ने कुचल दिया था। इसे अन्नागीरी कहें या फिर पुलिस पर नरमी बरतने को लेकर बढ़ा दबाव। रामलीला मैदान में कभी गर्म नजर आ रही पुलिस अब एकदम कूल खड़ी सारा नजारा देख रही है। पुलिसिया रवैये में आई नरमी का जीता जागता उदाहरण है बगैर लाठी डंडों के न सिर्फ भीड़ पर काबू करना, बल्कि सुरक्षा इंतजामों पर भी नजर बनाए रखना। अनशन में शामिल होने आ रहे लोगों के साथ पुलिस सभ्यता से पेश आ रही है। इसके चलते लोग भी पुलिस के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं।
पुलिस व अनशनकारियों के बीच आपसी तालमेल भी देखने को मिल रहा है। शुक्रवार सुबह ही नॉर्दन रेंज के संयुक्त आयुक्त सुधीर यादव सुरक्षा इंतजामों का जायजा लेने खुद रामलीला मैदान पहुंचे। उनके साथ मध्य जिला पुलिस उपायुक्त विवेक किशोर व अन्य पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। जैसे ही अन्ना तिहाड़ जेल से बाहर निकले और रामलीला मैदान की ओर काफिले के साथ बढ़े तो उनकी सुरक्षा के लिए पुलिस की 50 विशेष टीमें भी साथ चल पड़ीं। इधर, मैदान के अंदर व बाहर चार हजार से ज्यादा की संख्या में पुलिस व अर्धसैनिक बलों के सुरक्षा कर्मी तैनात थे। इसके अलावा, सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। रामलीला मैदान में सुबह से ही अन्ना समर्थकों का पहुंचना भी शुरू हो गया था। मैदान की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों को साफ शब्दों में समझा दिया गया था कि कोई भी किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं करेगा। यही कारण है कि भारी संख्या में महिला पुलिस कर्मियों को भी तैनात किया गया। दोपहर लगभग ढाई बजे जैसे ही अन्ना राम लीला मैदान पहुंचे, वैसे ही वहां मौजूद समर्थकों का जोश दोगुना हो गया। लोग नारे लगाने लगे-पुलिस जब वर्दी खोलेगी तो अन्ना की बोली बोलेगी, ये अंदर की बात है पुलिस हमारे साथ है।
पुलिस कर्मी भी इन नारों को सुनकर मंद-मंद मुस्कराते दिखे। एंट्री गेट पर तैनात पुलिस कर्मी शालीनता से लोगों की तलाशी ले रहे थे। लोग भी पुलिस के इस रवैये से बेहद सहज रहे और उन्होंने भी अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए मैदान के बाहर व अंदर सुरक्षा तथा यातायात सुचारु रखने में पुलिस का सहयोग किया। इन पुलिस कर्मियों में अधिकतर पुलिस कर्मी ऐसे थे, जो बाबा रामदेव के अनशन में भी तैनात रहे थे। दबी जुबान में उनका कहना था कि दोनों ही अनशन में आला अधिकारियों का रुख काफी अलग है। साथ ही आने वाले लोगों में भी काफी फर्क है। पुलिस के एक आला अधिकारी ने ऑफ रिकॉर्ड बताया कि रामदेव और अन्ना हजारे के अनशन में सरकार का रवैया काफी भिन्न रहा है। जहां सरकार ने बाबा रामदेव पर अपना दबाव कायम कर लिया था, वहीं अन्ना हजारे के मामले में सरकार की सारी चालें उलटी पड़ गईं। सरकार को इस तरह बैकफुट देख पुलिस भी बेहद संयम बरत रही है और अब अपने सिर कोई भी इल्जाम लेने के मूड में नहीं है। गौरतलब है कि चार जून की देर रात दिल्ली पुलिस ने बाबा रामदेव के अनशन पर धावा बोलकर जमकर कहर बरपाया था और उस अनशन को आसानी से कुचल डाला था।
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