इंदौर। सवा महीने पहले अपहृत हुई युवती को कोतवाली पुलिस ने ढूंढ निकाला और आरोपी को भी पकड़ लिया। उन्हें जब थाने लाया गया तो कहानी ही बदल गई। युवती ने खुद के बालिग होने और प्रकरण झूठा होने की बात कही। उधर, युवती को किशोरी बताकर रिपोर्ट कराने वाले माता-पिता भी अब आरोपी को दामाद के रूप में स्वीकारने को तैयार हो गए हैं।
30 जून को सेंट्रल कोतवाली पुलिस ने पूर्व फौजी वी जेसुकुमार की रिपोर्ट पर क्रिस्टोफर पिता आर अंथोनी निवासी विशाखापट्टनम के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज किया था। जेसुकुमार ने पुलिस को बताया था उनकी 17 वर्षीय बेटी जोस्पिन को रेलवे स्टेशन के बाहर से क्रिस्टोफर हाथ पकड़कर जबरन ले गया था।
इस मामले में सेंट्रल कोतवाली थाने के तत्कालीन टीआई अशोक उपाध्याय की शिकायत जेसुकुमार ने डीआईजी पवन श्रीवास्तव से की थी। उन्होंने टीआई पर सुनवाई नहीं करने का आरोप लगाया था। इस पर डीआईजी ने टीआई को निलंबित कर खुद एफआईआर दर्ज करवाई थी। कोतवाली पुलिस लगातार क्रिस्टोफर की कॉल डिटेल पर नजर रखती रही। वह पहले दिल्ली फिर विशाखापट्टनम गए और हाल में हैदराबाद के पास सिकंदराबाद में रुके थे। उन्हें पकड़कर शुक्रवार को इंदौर लाया गया।
टीआई अतीक अहमद खान ने बताया जोस्पिन ने कहा मैं बालिग हूं और मर्जी से क्रिस्टोफर के साथ गई थी। उनके इंदौर आने के बाद जोस्पिन के पिता के स्वर भी बदल गए, उन्होंने न सिर्फ क्रिस्टोफर को अपना लिया बल्कि यह भी मानने लगे कि वह बालिग है।
जबकि पूर्व में उन्होंने उसे नाबालिग बताया था। पूछताछ में खुलासा हुआ क्रिस्टोफर चायनीज व्यंजन बनाने का काम करता है जबकि जेसुकुमार ढोलक वादन व म्युजिक डायरेक्शन का काम करते हैं। दोनों के परिवार रेलवे स्टेशन पर ठहरे थे। 25 जून को क्रिस्टोफर ने अपने जन्मदिन का कहकर जेसुकुमार के परिवार को युवराज होटल में बुलाया था और वहीं से केक लेने के बहाने वे दोनों भागे थे।
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