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Tuesday, February 21, 2012
WB Police: Kolkata: पार्क स्ट्रीट महिला दुष्कर्म कांड में पुलिस लगी बदनामी धोने में, JCP (Crime) दमयंती सेन ने कहा कि यह कांड में मेरा व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है...
कोलकाता : पार्क स्ट्रीट महिला दुष्कर्म कांड में पुलिस व सरकार की हो रही बदनामी को धोने के लिए सोमवार को राज्य सचिवालय राइटर्स में कोलकाता पुलिस के दो बड़े अधिकारियों ने सफाई देते हुए कहा कि कोलकाता पुलिस में गुटबाजी नहीं है, बल्कि टीम के तहत जांच कार्य किया जा रहा है। इसके पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इन दोनों अधिकारियों संयुक्त आयुक्त (मुख्यालय) जावेद शमीम और संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) दमयंती सेन के साथ करीब दो घंटे तक बैठक कीं। शाम को राइटर्स से निकलते समय मुख्यमंत्री ने इस बैठक को रूटीन बैठक की संज्ञा दिया। उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों के साथ उन्होंने अपने कार्यालय में रूटीन बैठक की हैं। जबकि इसके पहले दोपहर में ही बैठक से निकलने के बाद इन दोनों अधिकारियों ने कहा कि कोलकाता पुलिस में कोई गुटबंदी नहीं है और वे पुलिस आयुक्त आरके पचनंदा के अधीन अपने कर्तव्य का पालन कर रहे हैं। प्रेस कांफ्रेंस में श्री पचनंदा नहीं आये। हालांकि उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तलब किया था। समझा जाता है कि गलत जानकारी देने के लिए उन्हें फटकार भी सुननी पड़ी होगी। मुख्यमंत्री के साथ बैठक करने के बाद जब वे सीढि़यों से नीचे उतर ही रहे थे कि मुख्यमंत्री ने उन्हें दोबारा तलब किया और वे तेजी से उनके कार्यालय में गये। घंटे भर बातचीत के बाद जब लौटे तो उन्होंने पत्रकारों का सामना नहीं किया। प्रेस के घेरने पर भी वे तेज गति से राइटर्स से बाहर चले गये। हालांकि इस कांड के शुरुआती दौर में ही उन्होंने कहा था कि सरकार व पुलिस की बदनामी करने के लिए इस कांड को गढ़ा जा रहा है। इससे शुरुआती दौर में लगा था कि महिला ही झूठा आरोप लगा रही है लेकिन जब कोलकाता पुलिस ने तीन लोगों को दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार कर लिया, तो इसका श्रेय मीडिया ने पार्क स्ट्रीट महिला के साथ दुष्कर्म कांड में अभी तक बड़े अधिकारी को बलि का बकरा नहीं बनाया गया है लेकिन राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से पुलिस महकमा सकते में आ गया है। सकते में ही नहीं बल्कि दो गुटों में बंटता नजर आ रहा है। एक गुट वह है जो सच्चाई से परदा उठाना चाहता है और दूसरा गुट सच्चाई को दबा कर सरकारी चहेता बनाना चाहता है।
इन्हीं दो कारणों से राइटर्स में दमयंती सेन ने कहा कि यह कांड में मेरा व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है। मैने इस सिलसिले में अच्छा या भला कोई कार्य नहीं किया है। पुलिस आयुक्त के नेतृत्व में टीम काम करती है। जांच चल रही है। इस सिलसिले में लिखने से जांच में बाधा पहुंचती है। मैं जीवन में प्रोफेशनल हूं। मैं व्यक्तिगत काम नहीं कर रही हूं। पूरा फोर्स एक साथ काम कर रहा है। इसका श्रेय मुझे देने या मेरे बारे में लिखने से डिस्टर्ब हूं। मैने इस कांड में व्यक्तिगत कोई कार्य नहीं किया है।
श्री शमीम ने भी राइटर्स में उनके साथ मीडिया को बताया कि इस कांड में काफी कुछ लिखा जा रहा है लेकिन पुलिस आयुक्त कोई हस्तक्षेप नहीं करते हैं। जबकि उनकी अगुवाई में कार्य किया जाता है। पुलिस महकमा में कोई गुटबाजी नहीं है। कोई छोटा-बड़ा नहीं है। कोलकाता पुलिस एकजुट होकर कार्य करते हैं। बहरहाल किसी भी आपराधिक मामले में अमूमन संयुक्त आयुक्त (अपराध) और संयुक्त आयुक्त (मुख्यालय) ही प्रेस को किसी तरह की जानकारी देते हैं लेकिन जब कोई बड़ा मसला रहता है, तो पुलिस आयुक्त मीडिया से रूबरू होते हैं लेकिन इस कांड में पुलिस आयुक्त ने जल्दबाजी में पुलिस महकमा को साफ-पाक करने के लिए बयान देकर अपने ही जाल में फंस गये हैं लेकिन अब देखना यह है कि सुश्री बनर्जी उन्हें पद से स्थानांतरित करती हैं या फिर उन्हें पद पर रहने देती हैं। मालूम हो कि पार्क स्ट्रीट में एक महिला के साथ चार लोगों ने पांच-छह फरवरी की रात दुष्कर्म किया था जिसे पुलिस ने दबा दिया था और एक सप्ताह बाद जब मीडिया ने उछाला तो पुलिस ने दुष्कर्म की घटना से ही नकार दिया था।
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