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Wednesday, August 21, 2013
CBI: पढ़िए, CBI की जुबानी, इशरत जहां एनकाउंटर की पूरी कहानी. what is the ishratjaha encounter case as per CBI.
नई दिल्ली। अहमदाबाद के इशरत जहां एनकाउंटर केस के नौ साल बाद सीबीआई ने बुधवार को कहा कि ये एनकाउंटर फर्जी था। गुजरात पुलिस ने आईबी की मिलीभगत से इसे अंजाम दिया था। सीबीआई ने इस मामले में अपनी पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है। सीबीआई के मुताबिक इशरत और उसके तीन साथियों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में रखा गया था। हत्या से पहले उन्हें बेहोशी की दवा दी गई थी और उनके पास मिले हथियार दरअसल आईबी ने मुहैया कराए थे। 15 जून 2004 को अहमदाबाद और गांधीनगर के बीच सड़क पर इस एनकाउंटर को फिल्मी अंदाज में अंजाम दिया गया। मुंबई की 19 साल की इशरत जहां रजा को तीन लोगों के साथ मारकर उनके पास हथियार रख दिए गए और कह दिया गया कि ये मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रचने वाले आतंकवादियों का एनकाउंटर था। 9 साल बाद सीबीआई ने मोदी सरकार के पुलिस अफसरों को कठघरे में खड़ा करने वाले इस सनसनीखेज केस में पहली चार्जशीट दाखिल कर अहमदाबाद क्राइम ब्रांच की एनकाउंटर की कहानी की धज्जियां उड़ा दीं।
हिरासत में थे सभी आरोपी
सीबीआई की नजर में एनकाउंटर के दावे सरासर झूठे हैं क्योंकि मारे जाने से पहले खुद इशरत जहां, रजा, प्रणेश पिल्लई उर्फ जावेद गुलाम शेख, अमजद अली राणा और जीशान जौहर पुलिस की हिरासत में थे। सीबीआई का दावा है कि इस फर्जी एनकाउंटर को आईबी यानि खुफिया ब्यूरो और पुलिस की मिलीभगत से अंजाम दिया गया। इसके लिए बाकायदा चारों को मारने से पहले बेहोशी की दवा पिलाकर बेसुध कर दिया गया। सीबीआई के वकील शमशाद पठान ने कहा कि इशरत और जावेद को टोल बूथ से उठाया गया था। मामले की जांच अभी जारी है। अभी किसी को क्लीन चिट नहीं मिली है। अहमदाबाद के मेट्रो कोर्ट में दाखिल सीबीआई की चार्जशीट राज्य के आला पुलिस अफसरों पर संगीन इल्जाम लगाती है।
मुठभेड़ से दिन पहले पकड़ लिया था
चार्जशीट में साफ लिखा है कि इशरत जहां और जावेद को मुठभेड़ से तीन दिन पहले से ही पुलिस ने पकड़ रखा था। दोनों को आईबी और पुलिस क्राइम ब्रांच के एन के अमीन और तरुण बारोट ने वासद नाम की जगह से उठाया। दोनों को खोडीयार फॉर्म में रखा गया और दोनों से पुलिस के एडिश्नल डीजीपी और तत्कालीन क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर पी पी पांडे और आईबी के स्पेशल ज्वाइंट डायरेक्टर राजिंदर कुमार ने पूछताछ की। अमजद तो 20 दिन से पुलिस कस्टडी में था जबकि जीशान को 6 हफ्ते पहले ही उठा लिया गया था। जीशान और अमजद को किसी दूसरे फॉर्म हाउस में रखा गया और सबको एक साथ एक ही जगह पर लाकर मारा गया।
मारने के बाद तत्कालीन डीसीपी डी जी बंजारा के कहने पर सबके शव पर हथियार रखे गए।
एसीपी खुद लेकर पहुंचे थे हथियार
चार्जशीट के मुताबिक ये हथियार खुद आईबी के दफ्तर से लाए गए थे और तत्कालीन डीजीपी डीजी बंजारा के ही कहने पर तत्कालीन एसीपी जीएल सिंघल खुद 14 जून को हथियारों से भरा बैग लेकर खुफिया विभाग के दफ्तर से आए थे। सीबीआई ने 179 गवाहों से पूछताछ के आधार पर पहली चार्जशीट तैयार की है। इतना ही नहीं सीबीआई आईबी के दो अफसरों एम के सिन्हा और राजीव वानखेड़े की भूमिका की जांच कर रही है। चार्जशीट कहती है कि इशरत के साथ मारे गए तीनों लोग जरूर आतंकवादी थे लेकिन इशरत को लेकर हालात स्पष्ट नहीं हैं कि वो आतंकी थी या नहीं। इस फर्जी एनकाउंटर केस में कम से कम 7 पुलिस अफसरों की वर्दी पर दाग लगे हैं। चार्जशीट में एडीशनल डीजीपी पी पी पांडे के अलावा, तत्कालीन डीसीपी डी जी बंजारा, तत्कालीन एसीपी जी एल सिंघल, तत्कालीन एसीपी नरेंद्र अमीन, तत्कालीन पुलिस इंस्पेक्टर तरुण बारोट, जी जी परमार और कमांडो अनाजू चौधरी के खिलाफ हत्या, अपहरण और बंधक बनाकर रखने की संगीन धाराएं लगाई गई हैं।
सुकून में हैं इशरत का परिवार
जाहिर है 9 साल से अपनी बेटी की बेगुनाही के लिए लड़ रहे इशरत जहां के परिवार वाले इस चार्जशीट से सुकून में हैं, लेकिन अंगारे बुझे नहीं हैं। आरोप मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी तक उछल रहे हैं। इशरत की मां शमीमा कौसर कहती हैं कि 9 साल से मैं कहती आ रही हूं कि मेरी बेटी बेगुनाह है और आज कोर्ट ने ये साबित कर दिया। मेरी बेटी के चले जाने के बाद हमारे परिवार की सभी खुशियां चली गईं। जिसने भी उनको मारा है। उनका नाम चार्जशीट में आया है। लेकिन हम खुश नहीं हैं क्योंकि उन लोगों का भी नाम आना चाहिए जिन्होंने उसे मरवाया है। इशरत की बहन मुशर्रत कौसर कहती हैं कि हम मानते हैं कि मेरी बहन की हत्या की साजिश में नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। चार्जशीट में नरेंद्र मोदी का नाम नहीं है, न ही उनके सिपहसालार और यूपी के चुनाव प्रभारी बनाए गए अमित शाह का। ये बात दीगर है कि जांच में सफेद दाढ़ी और काली दाढ़ी का भी जिक्र कई बार किया गया लेकिन ये साबित नहीं हो सका कि सफेद औऱ काली दाढ़ी वाले इंसान हैं कौन। साबित ये भी नहीं हो सका कि आखिर सूबे के आला पुलिस अफसर किसके इशारे पर एनकाउंटर में जुटे थे। क्या इसके पीछे कोई राजनीतिक साजिश थी। हालांकि, अब भी चर्चा है कि सीबीआई अगली चार्जशीट में गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह और आईबी के तत्कालीन स्पेशल डायरेक्टर राजेंद्र कुमार को आरोपी बना सकती है। फिलहाल, तो बीजेपी कांग्रेस पर आतंक की सियासत के इल्जाम मढ़ रही है और संघ भी राहत की सांस ले रहा है। आरएसएस विचारक एम जी वैद्य ने कहा कि कानून को अपना काम करना चाहिए। इसमें किसी मंत्री का नाम नहीं है। नेताओं की तरफ जो उंगली उठ रही थी उसे इस चार्जशीट ने झूठा करार दिया गया है। कांग्रेस ने दुष्प्रचार किया है।
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