नई दिल्ली.तीस हजारी की विशेष अदालत ने गाजियाबाद के एक एमबीए छात्र रणबीर को लुटेरा बताकर उसे कथित मुठभेड़ में मार गिराने के मामले में आरोपी उत्तराखंड पुलिस के सात अधिकारियों के खिलाफ गैरजमानती वारंट जारी कर दिए हैं। अदालत की ओर से इस मामले में 11 अन्य आरोपियों को भी नोटिस जारी किए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मृतक छात्र रणवीर के माता-पिता के अनुरोध के बाद यह मामला देहरादून से दिल्ली की विशेष अदालत में स्थानांतरित किया गया है।
विशेष न्यायाधीश वीके माहेश्वरी ने देहरादून के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एंटी करप्शन) सीबीआई, अदालत के वरिष्ठ लोक अभियोजक के अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले में मुख्य आरोपी एवं उत्तराखंड पुलिस के इंस्पेक्टर संतोष कुमार जायसवाल, सब इंस्पेक्टर नितिन चौहान, गोपाल भट्ट, राजेश बिष्ट, चंद्रमोहन सिंह रावत, नीरज यादव और कांस्टेबल अजीत सिंह के विरुद्ध नए गैरजमानती वारंट जारी किए हैं।
इससे पहले देहरादून की उक्त अदालत ने भी इन पुलिसवालों के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किए थे, जो कि इन तक पहुंचे नहीं थे। इसके साथ ही विशेष अदालत ने मामले में 11 अन्य आरोपी सतबीर सिंह, सुनील सैनी, चंद्रपाल, सौरभ नौटियाल, नागेंद्र राठी, विकास चंद्र बलूनी, संजय रावत, मोहन सिंह राणा, इंद्रभान सिंह, जयपाल सिंह गोसेन और मनेाज कुमार के खिलाफ भी नोटिस जारी किया है।
अदालत ने मामले के सभी 18 आरोपियों को अगली सुनवाई में हाजिर होने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बीते 17 मार्च को रणवीर के माता-पिता के अनुरोध पर इस मामले को सुनवाई के लिए देहरादून की विशेष अदालत से दिल्ली के विशेष न्यायालय में स्थानांतरित करने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही, उच्चतम न्यायालय ने सातों आरोपी पुलिसवालों की जमानत भी खारिज कर दी थी।
दरअसल, दो जुलाई 2009 को उत्तराखंड के डालनवाल थाने की पुलिस ने एक कथित मुठभेड़ के दौरान गाजियाबाद निवासी 22 वर्षीय रणबीर को लुटेरा करार देते हुए उसे मार दिया था। रणबीर नौकरी की तलाश में देहरादून गया था। उस पर पुलिस ने नजदीक से 29 गोलियां चलाईं थीं। आरोपियों के उत्तराखंड पुलिस से होने की वजह से मामले की जांच को सीबीआई को सौंपा गया था, जिसके बाद सातों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
कोर्ट को खस्ता हालत में मिले अहम दस्तावेज
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रणबीर फर्जी एनकाउंटर मामले को दिल्ली की विशेष अदालत में स्थानांतरित किए जाने के बाद रिकार्ड में मौजूद सभी दस्तावेजों को देहरादून से दिल्ली की विशेष अदालत को सौंप दिया गया है, लेकिन ये दस्तावेज अदालत में बेहद खस्ता हालत में पहुंचे हैं। इनमें 356 पेज तो पूरी तरह खाली पाए गए हैं।
विशेष न्यायाधीश वीके माहेश्वरी ने दस्तावेजों की इस दुर्गति को देखते हुए सीबीआई के पुलिस अधीक्षक (स्पेशल क्राइम ब्रांच) लखनऊ को उचित कार्रवाई और पैरवी के लिए पत्र भेजा है। देहरादून के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज-स्पेशल जज (तृतीय) एंटी करप्शन, सीबीआई की अदालत से इस मामले के सभी रिकार्डस को तीस हजारी के स्पेशल जज वीके माहेश्वरी की अदालत में सौंपा गया है।
देहरादून के स्पेशल जज के अहलमद वारिस अली की तरफ से इन्हें दिया गया है। रिकार्ड सौंपे जाने के बाद विशेष अदालत के अहलमद नरिंद्र कुमार द्वारा विशेष न्यायाधीश वीके माहेश्वरी को सूचित किया गया कि रिकार्ड में मौजूद एक कॉम्पेक्ट डिस्क (सीडी) टूटी हालत में सौंपी गई है, जिसका स्पष्टीकरण तो लिखित में अहलमद वारिस अली द्वारा दे दिया गया, लेकिन रिकार्ड में मौजूद अन्य कई दस्तावेज बहुत खराब अवस्था में है।
इनमें से करीब 356 पेज खाली हैं। इसके अलावा दस्तावेजों में से तीन पेज गायब भी हैं और 12 फटे हुए हैं। वहीं, दो दस्तावेजों की सिर्फ फोटोकॉपी अदालत को सौंपी गई है। मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष न्यायाधीश वीके माहेश्वरी द्वारा सीबीआई की लखनऊ ब्रांच की स्पेशल क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर प्रवीण दुबे को इस बाबत सूचना दे दी गई है।
इसके साथ ही देहरादून के जिला एवं सत्र न्यायाधीश के अलावा अभी तक मामले की सुनवाई कर रहे विशेष जज प्रदीप पंत को भी न्यायालय की तरफ से पत्र भेजा गया है, जिसमें संबंधित अहलमद को दस्तावेजों की कमी को पूरा करने के लिए कहा गया है।
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