Friday, August 19, 2011

Delhi Police : Anna Hazare & Congress: BBC Hindi : वर्तमान तनावपूर्ण, भविष्य अनिश्चित

अन्ना हजारे और कांग्रेस -
वर्तमान तनावपूर्ण, भविष्य अनिश्चित

भारत में अगला आम चुनाव होने में अभी तीन साल बाक़ी हैं लेकिन राजनीतिक पंडित अभी से इसका आकलन करने लगे हैं कि मौजूदा यूपीए सरकार का 2014 के चुनावों में क्या होगा.

राष्ट्रमंडल खेलों में ठीका दिए जाने में हुए घोटालों से लेकर स्पेक्ट्रम आबंटन में हुए घोटाले तक अनेक घोटालों से घिरी मनमोहन सरकार के लिए 2009 में सत्ता में दोबारा आने के बाद से शायद कुछ भी सही नहीं हो रहा है.

और इन सबके बाद अब अन्ना हज़ारे का मसला.

चौहत्तर साल के गांधीवादी समाजसेवक शायद मौजूदा केंद्र सरकार के लिए ज़्यादा बड़ी समस्या बन गए हैं.

मंगलवार को अन्ना हज़ारे को अनशन की इजाज़त नहीं दिए जाने के सरकार की समझ से परे फ़ैसले का उलटा असर हुआ है.

शायद ही कोई ऐसा है जो सरकार की इस दलील पर यक़ीन कर रहा है कि अन्ना हज़ारे को गिरफ़्तार करने का फ़ैसला केवल दिल्ली पुलिस का था.

भारत के स्वतंत्रता दिवस के कुछ ही घंटों बाद भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण तरीक़े से आंदोलन करने वाले 74 साल के एक बुज़ुर्ग को पहले अपमानित करना फिर उन्हें तिहाड़ जेल में बंद करना जो भ्रष्ट नेताओं, बलात्कारियों और चरमपंथियों का अंतिम शरण स्थल है, वो फ़ैसला मूर्खतापूर्ण था.

समर हरलांकर, हिंदुस्तान टाइम्स के वरिष्ठ संपादक

गुरूवार को हिंदुस्तान टाइम्स अख़बार में वरिष्ठ संपादक समर हरलांकर ने लिखा, ''भारत के स्वतंत्रता दिवस के कुछ ही घंटों बाद भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण तरीक़े से आंदोलन करने वाले 74 साल के एक बुज़ुर्ग को पहले अपमानित करना फिर उन्हें तिहाड़ जेल में बंद करना जो भ्रष्ट नेताओं, बलात्कारियों और चरमपंथियों का अंतिम शरण स्थल है, वो फ़ैसला मूर्खतापूर्ण था.''
'बेख़बर'

ऐसा लगता है कि सरकार को ना तो इस बात का एहसास है कि लोगों की नारज़गी किस हद तक है और ना ही उसे अन्ना की बढ़ती लोकप्रियता का अंदाज़ा है.

बुधवार को संसद में दिए अपने भाषण में भी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अन्ना हज़ारे पर हमला बोला था. मनमोहन सिंह ने कहा था, "अन्ना हज़ारे ने अपने मसौदे को संसद पर थोपने के लिए जो रास्ता चुना है वो पूरी तरह ग़लत है और हमारे संसदीय लोकतंत्र के लिए इसके नतीजे गंभीर हो सकते हैं."
सुरेश कलमाड़ी

राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारी में हुए घोटाले के लिए सुरेश कलमाड़ी फ़िलहाल जेल में हैं

राजनीतिक विश्लेषक सुकुमार मुरलीधरन ने बीबीसी से बातचीत के दौरान कहा, ''मेरा ख़्याल है कि सरकार तेज़ी से अपनी शक्ति खोती जा रही है. प्रधानमंत्री चीज़ों को संभाल पाने में असफल दिख रहें हैं.''

अगले साल भारत के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में होने वाले विधान सभा चुनावों में सरकार की कड़ी परीक्षा होगी.

उत्तर प्रदेश चुनावों में कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी की साख दाव पर लगी हुई है.

अगर कांगेस साल 2012 में होने वाले विधान सभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहती है तो फिर उसे वर्ष 2014 के आम चुनाव से पहले काफ़ी बल मिलेगा.

मेरा ख़्याल है कि सरकार तेज़ी से अपनी शक्ति खोती जा रही है. प्रधानमंत्री चीज़ों को संभाल पाने में असफल दिख रहें हैं.

सुकुमार मुरलीधरन, राजनीतिक विश्लेषक

मुरलीधरन का मानना है कि भ्रष्टाचार का मुद्दा मनमोहन सिंह सरकार को तंग करता रहेगा. सरकार की मौजूदा समस्या पर टिप्पणी करते हुए मुरलीधरन ने कहा, ''मनमोहन सिंह की उम्र बढ़ती जा रही है , सोनिया गांधी बीमार हैं और देश से बाहर हैं, सरकार के लिए कई जटिल मुद्दे हैं.''
गठबंधन की दिक़्क़तें

मुरलीधरन के अनुसार कांग्रेस की चुनावी परेशानियां और भी बढ़ रही हैं क्योंकि उसके सहयोगी भी ख़राब स्थिति से गुज़र रहें हैं.

अप्रैल 2011 में हुए विधान सभा चुनाव में कांग्रेस की सहयोगी डीएमका का लगभग सफ़ाया हो गया था.

भारत में चुनाव गठबंधन के बल पर जीते या हारे जाते हैं.
ए राजा

स्पेक्ट्रम घोटाला के मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा भी जेल में हैं.

लेकिन फ़िलहाल मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी भी गठबंधन के मामले में कोई बहुत अच्छी स्थिति में नहीं है.

भाजपा भी भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी हुई है. भारत के दक्षिणी राज्य कर्नाटक में उसके मुख्यमंत्री को भ्रष्टाचार निरोधक संस्था लोकायुक्त की रिपोर्ट आने के बाद इस्तीफ़ा देना पड़ा था.

लेकिन इसमे कोई शक नहीं कि लोगों की धारणा बनती जा रही है कि मौजूदा केंद्र सरकार भ्रष्टाचार से नहीं लड़ना चाहती है और इसके नतीजे में सरकार की लोकप्रियता लगातार घटती जा रही है.

अन्ना हज़ारे को निशाना बनाने के बाद बहुत सारे भारतीयों को विश्वास होने लगा है कि जो भी देश में फैले भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहा है सरकार उसको परेशान कर रही है.

हज़ारे और उनका अभियान मनमोहन सिंह सरकार को तो नहीं गिरा सकता है लेकिन निश्चित तौर पर उन्होंने सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

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