नई दिल्ली. रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन की अनुमति से सबसे ज्यादा परेशान केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल हैं। उनकी हालत आसमान से गिरे खजूर पर अटके जैसी हो गई है। दरअसल रामलीला मैदान सिब्बल के निर्वाचन क्षेत्र में आता है। सिब्बल चाहते थे कि रामलीला मैदान को अनशन स्थल न बनाया जाए।
इसीलिए सरकार की ओर से शुरुआती स्तर पर जो विकल्प में भी रामलीला मैदान के विकल्प को ऊपर नहीं रखा गया। पर, सरकार के रणनीतिकारों को उसी स्थान का चुनाव करना पड़ा जहां उन्हें रामदेव को हटाने के लिए आधी रात को बलप्रयोग करना पड़ा था।
सिब्बल के नजदीकियों का मानना है कि अगर अनशन शांतिपूर्वक खत्म होता है तो ठीक। अगर किसी तरह की गड़बड़ होती है तो उसका सबसे ज्यादा असर उनके निर्वाचन क्षेत्र पर ही पड़ेगा। पिछले कुछ दिनों से सिब्बल के इलाके में जनलोकपाल की अवधारणा के खिलाफ लोगों को लामबंद करने की कोशिश भी हो रही है।
लोगों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए सेमिनार व अन्य कार्यक्रमों में खुद सिब्बल शिरकत कर रहे हैं। दरअसल अन्ना के जनलोकपाल पर आग्रह के खिलाफ सरकार में सबसे ज्यादा मुखर मंत्रियों में सिब्बल रहे हैं। इसके चलते अन्ना टीम के निशाने पर वे सबसे प्रमुख तौर पर रहे हैं।
अन्ना टीम ने जनलोकपाल पर सर्वे के लिए सबसे पहले चांदनी चौक को चुना। जिसमें दावा किया गया कि करीब 85 फीसदी लोग अन्ना के साथ हैं। हालांकि सिब्बल ने इस सर्वे को मजाक में टाल दिया था। सिब्बल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की। माना जा रहा है कि उन्होंने अपनी चिंताओं को प्रधानमंत्री के साथ साझा किया है।
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