भ्रष्टाचार के विरोध में अन्ना हजारे के अनशन के पहले दिन उन्हें जेल में डालने वाली दिल्ली पुलिस उस दिन के बाद से गांधीगीरी करती नजर आ रही है। पुलिस का यह तरीका निश्चित ही लोगों को आश्चर्यचकित करने वाला है। पुलिस आंदोलनकारियों से पूरे सम्मान के साथ बात कर रही है। पुलिसकर्मियों का यह रूप केवल दिखाने तक सीमित नहीं है। उनके व्यवहार व बातचीत के लहजे में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। जरूरत पड़ने पर पुलिस आंदोलनकारियों की मदद भी कर रही है। यही नहीं, लोगों द्वारा कोई बात न माने जाने पर पुलिस हाथ जोड़ने से भी गुरेज नहीं कर रही है। रामलीला मैदान के प्रवेश द्वार पर हाथ जोड़कर लोगों से कतार में आने का आग्रह करते पुलिसकर्मियों के हाथ में महज गुलाब के फूलों की ही कमी रह गई है, अन्यथा उनकी गांधीगीरी में कोई कमी नहीं है।
दिल्लीवासी जो पुलिस के रौद्र रूप से भलीभांति वाकिफ हैं, उसे नए व सभ्य रूप में देखकर आश्चर्यचकित हैं। पुलिस के सामने गांधीगीरी की वजह भले ही कुछ भी हो, लेकिन उसका यह बदला हुआ रूप निश्चित ही लोगों को पसंद आ रहा है।
दिल्ली पुलिस से हमेशा ही यह अपेक्षा की जाती रही है कि वह अपराधियों के साथ भले ही कड़ाई से पेश आए लेकिन आम लोगों के साथ उसका बर्ताव सभ्य और शालीन हो। लेकिन यह निराशाजनक ही रहा कि पुलिस आम नागरिकों के साथ भी रूखा बर्ताव करती आई है। राष्ट्रमंडल खेल के दौरान तो पुलिसकर्मियों को यह प्रशिक्षण भी दिया गया था कि वह कैसे लोगों के साथ शालीनता से पेश आएं। इसके बावजूद स्थिति में जरा भी सुधार नजर नहीं आया।
बीते दिनों रामलीला मैदान में बाबा रामदेव के समर्थकों पर आधी रात में पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई भी लोग अब तक नहीं भूल सके हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के अनशन के दौरान पुलिस जिस रूप में दिख रही है, दिल्लीवासी उसे हमेशा उसी रूप में देखना चाहते हैं। इसके लिए आवश्यक है कि पुलिस के आला अधिकारी समय-समय पर कार्यशाला लगाकर पुलिस को सभ्य और शालीन बने रहने के प्रति प्रेरित करें। अपराधियों से निपटने के लिए पुलिसकर्मियों का सख्त होना जरूरी है, लेकिन आम लोगों के साथ उन्हें हमेशा पूरे सम्मान और सौहार्द के साथ पेश आना चाहिए। दिल्ली में पुलिस लोगों को परेशान करती नहीं, अपितु उनकी परेशानी दूर करती दिखनी चाहिए।
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