नई दिल्ली।। एक अरसे से बिखरा हुआ विपक्ष बुधवार को एकजुट होता दिखा। विपक्ष ने सरकार से सवाल पूछा कि अगर अन्ना की मांग अलोकतांत्रिक है, तो सरकार ने लोकपाल बिल के लिए संयुक्त मसौदा समिति का गठन क्यों किया?
विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार भ्रष्टाचार से निपटने के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति दिखाने की बजाय सत्ता का अहंकार दिखाने में व्यस्त है। लोकसभा में तो पीएम के बयान के दौरान जमकर हंगामा हुआ। बीजेपी नेता हुकुम सिंह इतने गुस्से में थे कि उन्होंने पीएम के बयान की प्रति फाड़कर वेल में फेंक दी। बाद में उन्हें बीजेपी नेताओं ने रोका।
जेटली ने साधा निशाना
राज्यसभा में विपक्ष के नेता अरुण जेटली ने सवाल किया कि अगर ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर भी सब कुछ पुलिस ही कर रही है, तो सरकार क्या कर रही है? जेटली ने कहा कि पीएम अन्ना की मांग को अलोकतांत्रिक करार देते हैं। उनका तर्क सही है, तो सरकार ने लोकपाल बिल के लिए संयुक्त मसौदा समिति का गठन क्यों किया? समिति में विपक्ष के किसी भी प्रतिनिधि को शामिल क्यों नहीं किया?
लेफ्ट भी हमलावर
सीपीएम की वृंदा करात ने कहा कि सरकार को नागरिकों के सड़कों पर उतरने पर आपत्ति है, पर वह इसका जवाब नहीं देना चाहती कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है? उनका कहना था कि अन्ना और उनके साथियों को गिरफ्तार करके सरकार ने जनता के जले पर नमक छिड़का है। उन्होंने कहा कि लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करते समय सभी पार्टियों से संजीदगी से चर्चा की जानी चाहिए थी। इसके बजाय सरकार ने प्रश्नावली भेज दी, जिसका जवाब हां या ना में देना था। इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है?
सरकार की सफाई
कानून मंत्री सलमान खुर्शीद का कहना था कि अन्ना और उनकी टीम को यह सोचकर आमंत्रित किया गया था कि इससे लोकपाल बिल का एक सामूहिक मसौदा सामने आएगा, लेकिन वह संभव नहीं हुआ, क्योंकि दोनों पक्षों के विचारों में काफी अंतर था।
लोकसभा में भी हंगामा
प्रधानमंत्री अपना बयान देने के फौरन बाद ही लोकसभा से उठकर जाने लगे तो विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इसका विरोध किया। उनका कहना था कि जिनके बयान पर वह प्रतिक्रिया देने जा रही हैं, वही सदन में नहीं होंगे तो क्या फायदा। संसदीय कार्यमंत्री पवन बंसल ने कहा कि पीएम को राज्यसभा में भी बयान देना है।
इस पर बीजेपी नेता ने कहा कि सदन को 10 मिनट के लिए स्थगित कर दिया जाए, जिसका पवन बंसल ने विरोध किया। इस पर हंगामा शुरू हो गया। स्पीकर ने सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही शुरू होने पर सुषमा स्वराज ने कहा कि पीएम का बयान सचाई कम जाहिर करता है, उसे दबाता ज्यादा है। इस बीच, संजय निरूपम समेत कई कांग्रेस सदस्यों ने टोकाटाकी की। जब निरूपम ने बोलना शुरू किया तो बीजेपी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।
जेडी(यू) नेता शरद यादव ने कपिल सिब्बल पर निशाना साधा और उन्हें 'महाप्रवक्ता' करार दिया। एसपी के मुलायम सिंह यादव ने कहा कि हजारे की गिरफ्तारी असंवैधानिक है। उन्होंने सरकार को 1975 से सबक लेने को कहा। सीपीआई के गुरुदास दासगुप्ता का कहना था कि इस मामले में दिल्ली के पुलिस आयुक्त को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
No comments:
Post a Comment