रायपुर.ऑनलाइन सर्वे कंपनी का जाल बिछाने वाली सिंगापुर की कंपनी स्पीक एशिया के खिलाफ पहली बार राजधानी पुलिस एफआईआर करने की तैयारी कर रही है। कंपनी के खिलाफ कई शिकायतों के बाद भी जांच शुरू नहीं होने की वजह से आईजी मुकेश गुप्ता ने अफसरों को कड़ी फटकार लगाई। उनके कड़े निर्देश के बाद ही एसएसपी दीपांशु काबरा ने जांच का जिम्मा सीएसपी आजाद चौक नीतू कंवल को सौंपा है।
सीएसपी ने सोमवार से कंपनी के खिलाफ मिली शिकायतों का अध्ययन करना शुरू कर दिया है। अब तक विशेष अनुसंधान सेल और सिविल लाइन थाने में लोगों की ओर से दी गई शिकायतों की प्रति भी उनके कार्यालय पहुंचा दी गई है। पुलिस शिकायत करने वाले लोगों की सूची तैयार कर रही है।
उन्हें बयान के लिए थाने बुलाया जाएगा। गौरतलब है कि स्पीक एशिया के ऑनलाइन फर्जीवाड़े की खबर को सबसे पहले दैनिक भास्कर में ही प्रकाशित हुई थी। एसएसपी श्री काबरा का कहना है कि इस पूरे मामले में पुलिस तथ्यों को जुटा रही है। शिकायतकर्ताओं को बुलाया जा रहा है।
अब तक बच रही थी पुलिस
स्पीक एशिया के खिलाफ किसी भी तरह की जांच के लिए अब तक पुलिस आनाकानी कर रही थी। कई लोगों की शिकायत के बाद भी पुलिस बार-बार यह कहकर मामले को टाल देती थी कि शिकायतकर्ताओं के पास पुख्ता दस्तावेज नहीं है।
आईजी के कड़े रुख के बाद ही अब मामले की छानबीन शुरू की गई है। पुलिस की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले महीने के आखिरी रविवार को स्पीक एशिया के अधिकारियों ने बेखौफ होकर शहीद स्मारक भवन में निवेशकों के लिए सेमिनार का आयोजन किया।
निवेशकों के करोड़ों रुपए फंसने के बाद भी उन्हें फिर से निवेश करने के लिए रिझाया जा रहा था। पुलिस अधिकारियों ने एक मर्तबा भी कंपनी के अधिकारियों से पूछताछ की जरूरत नहीं समझी।
150 करोड़ डूब गए
स्पीक एशिया कंपनी में छत्तीसगढ़ के 50 हजार लोगों ने 150 करोड़ रुपए से भी ज्यादा का निवेश किया था। कंपनी ने 11 हजार रुपए दो और हर महीने चार हजार रुपए लो की स्कीम लांच की थी, जिससे उसने बाद में पल्ला झाड़ लिया। लोगों ने बिना किसी दस्तावेजों के अनधिकृत एजेंटों के माध्यम से करोड़ों रुपए निवेश कर दिए।
अब न इन एजेंटों का पता है और न ही लोगों के पैसे वापस करने कंपनी सामने आ रही है। कंपनी का साफ कहना है कि 11 हजार रुपए की राशि ऑनलाइन बिजनेस शुरू करने से पहले ट्रेनिंग देने के लिए ली गई थी, जिसे बाद में प्रशिक्षुओं को 4 हजार रुपए प्रतिमाह वेतन के रूप में वापस किए गए।
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