जिन आपराधिक मामलों को निपटाने में जिला पुलिस को लंबा समय लग जाता था, अब सायबर पुलिस उन्हें चंद दिनों में ही सुलझा रही है। राजधानी स्थित पुलिस दूरसंचार मुख्यालय में गठित राज्य सायबर पुलिस ने चंद महीनों में ऐसे ही कुछ केस बड़ी आसानी से हल कर दिए। इससे न सिर्फ पीड़ित को राहत मिली है, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली में भी सुधार आया है।
ये है सायबर सेल टीम
डीएसपी- दीपक ठाकुर, सुनील राजोरे, देवंेद्र चौबे ठ्ठ इंस्पेक्टर- प्रवीण छारिया, प्रशांत द्विवेदी ठ्ठ सब इंस्पेक्टर- आर.के. शर्मा, शेफाली टाकेलकर ठ्ठ एएसआई- किरण सुमेर ठ्ठ हेड कांस्टेबल- सुशील बारई, भगवानसिंह, मुकेश मिश्रा, करण पांडे ठ्ठ कांस्टेबल- इंद्रपालसिंह, रितेशसिंह, जितेंद्रसिंह, कैलाश चौरसिया, मुनंेद्र मिश्रा, रानू डेकले, सौरभ भट्ट, अंकुर वर्मा, परसराम सोलंकी।
24 घंटे में सुलझाया मामला
2010 में भोपाल-इटारसी के बीच ट्रेन में अज्ञात बदमाशों ने एक परिवार से ६ लाख रु. के जेवरात लूट लिए थे। इटारसी में पीड़ित ने टीटीई को सारी बात बताई। रिपोर्ट मनमाड़ (महाराष्ट्र) जीआरपी ने दर्ज की। सायबर पुलिस को पुणो से फैक्स से पूरी जानकारी भेजी। सायबर पुलिस ने ट्रैकर के जरिए पीड़ितों के बैग में रखे मोबाइल की लोकेशन ढूंढ़ी।24 घंटे में अपराधियों को धर दबोचा।
7 दिन में पकड़ी प्रोग्राम चोरी
2010 में ही इंदौर की कंपनी ने जो प्रोग्राम बनाया, उसे मैनेजर नौकरी छोड़ते वक्त साथ ले गया। नई कंपनी खोलकर उसी प्रोग्राम को अपने नाम पर पेटेंट करा लिया। १क् करोड़ के डिजाइन को २ करोड़ में बेच दिया। सायबर पुलिस ने दोनों कंपनियों के कम्प्यूटर और साइट के डिजिटल फोटोग्राफ एवं समस्त पुराने मेल डिटेल का विश्लेषण किया। सायबर की जांच के आधार पर मामला सुलझा।
हमारी टीम पूरी मेहनत से काम कर रही है। जल्द ही यह पुलिस महकमे की सबसे सशक्त टीम के रूप में उभरेगी। जनता को जागरूक होना होगा। वे हमसे सीधे संपर्क कर सकते हैं।
राजेंद्र मिश्रा, आईजी, सायबर सेल
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