चार जून की आधीरात को दिल्ली के रामलीला मैदान में दिल्ली पुलिस ने जो रावणलीला की थी उस पर सुप्रीम कोर्ट सख्त हो गया है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि बिना एफआईआर दर्ज किये उसने रामलीला मैदान पर रामदेव के खिलाफ कार्रवाई क्यों की और दिल्ली पुलिस को आदेश दिया वह आधी रात की गयी कार्रवाई का फुटेज सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रस्तुत करे.
सोमवार को रामदेव की तरफ से वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए तो दिल्ली पुलिस का पक्ष रखने के लिए हरीश साल्वे ने कमान संभाली. सुप्रीम कोर्ट के दो जजो की बेंच के सामने राम जेठमलानी ने कहा कि आधी रात को बाबा रामदेव के भक्तों के खिलाफ दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के पीछे गृहमंत्री पी चिदम्बरम का हाथ है. राम जेठमलानी ने कोर्ट से आग्रह किया कि केन्द्रीय गृहमंत्री को सफाई देने के लिए खुद उन्हें नोटिस जारी करके उनसे जवाब पूछा जाना चाहिए.
राम जेठमलानी ही वह व्यक्ति हैं जिन्होंने काले धन के खिलाफ सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल करके विदेशों में जमा कालेधन को भारत वापस लाने की पहल शुरू की थी. राम जेठमलानी की याचिका पर सुनवाई के दौरान ही भाजपा ने कालेधन पर जांच पड़ताल के लिए एक समिति का गठन किया जिसने अपनी रिपोर्ट में सोनिया गांधी का विदेशों में धन जमा होने का संकेत दिया था. आगे चलकर जब बाबा रामदेव ने काले धन को मुद्दा बनाया तो राम जेठमलानी ने उन्हें अपना समर्थन दिया था. अब राम जेठमलानी बाबा रामदेव की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपीयर हो रहे हैं.
चार जून को बाबा रामदेव और उनके योगभक्तों पर की गयी कार्रवाई पर खुद संज्ञान लेते हुए छह जून को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करके पूछा था कि ऐसा क्या हो गया था कि दिल्ली पुलिस ने आधी रात को इस तरह कार्रवाई करनी पड़ी. सुप्रीम कोर्ट की नोटिस के बाद दिल्ली पुलिस ने अपना जवाब दाखिल करते हुए कहा था कि योगा गुरू ने 5000 लोगों को योग के लिेए रामलीला मैदान बुक करवाया था लेकिन वहां करीब 65 हजार लोग जमा थे जिससे दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को संकट पैदा हो सकता था. हालांकि दिल्ली पुलिस की इस दलील पर राम जेठमलानी ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने आंसू गैस के गोलों और पानी की बौछारों का प्रयोग आधी रात को क्यों किया. राम जेठमलानी ने कहा कि इससे वहां मौजूद हजारों लोगों को जान का खतरा हो सकता था.
सुपंीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ ने सोमवार को दिल्ली पुलिस से गत माह रामलीला मैदान में काले धन के खिलाफ अनशन पर बैठे बाबा रामदेव व उनके समर्थकों पर आधी रात की गई पुलिस कार्रवाई की आवश्यकता पर स्पष्टीकरण मांगा है। खंडपीठ ने सोमवार को कहा कि ऎसे दस्तावेज तथा डीवीडी हैं जिनसे जाहिर होता है कि वहां योग शिविर चलाए जा रहे थे। यदि ऎसा था तो पुलिस को लाठीचार्ज करने की क्यों जरूरत प़डी!
इससे पहले स्वामी रामदेव की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने अनुरोध किया कि गृह मंत्री को मामले पर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया जाए और उन्हें स्वयं पेश होने के लिए नोटिस जारी किया जाए। अदालत ने कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदम्बरम को नोटिस भेजने की बाबा रामदेव की याचिका पर भी विचार करेगी।
जेठमलानी ने अपने दावों के पक्ष में केंद्रीय गृह मंत्रालय से जारी प्रेस विज्ञçप्त तथा दूरदर्शन पर चिदम्बरम के साक्षात्कार का उल्लेख किया और कहा कि बल प्रयोग का निर्णय काफी पहले कर लिया गया था। पीठ ने कहा कि चार जून की इस घटना के बारे में दिल्ली पुलिस की प्रतिक्रिया मिल जाने के बाद ही वह इस अनुरोध पर विचार करेगी। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तारीख निर्धारित की। ज्ञात रहे, दिल्ली पुलिस के प्रमुख बीके गुप्ता ने अपने हलफनामे में कहा था कि रामलीला मैदान के इस्तेमाल की अनुमति योग शिविर के लिए दी गई थी, न कि किसी अन्य उद्देश्य के लिए।
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