सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के रामलीला मैदान में बाबा रामदेव और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ हुई दिल्ली पुलिस की कार्रवाई का वीडियो फुटेज देखना चाहता है.
जस्टिस बीएस चौहान और स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ ने कहा कि वे ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि ऐसी घटना दोबारा न हो.
हालाँकि अदालत ने फ़िलहाल गृह मंत्री पी चिदंबरम को इस मामले में पार्टी बनाने से इनकार कर दिया. लेकिन अदालत ने यह भी स्पष्ट किया है कि वो अपना विकल्प खुला रखे हुए है.
चार जून की देर रात को दिल्ली पुलिस ने रामदेव और उनके समर्थकों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करते हुए उन्हें रामलीला मैदान से हटा दिया था.नोटिस बाद में इस मामले में ख़ुद संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था.
सोमवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा कि पाँच अगस्त को वे रामलीला मैदान में हुई घटना का वीडियो फुटेज देखेंगे.
घटना पर चिंता जताते हुए खंडपीठ ने कहा, "निर्दोष नागरिक इस तरह नहीं पीटे जाने चाहिए. हमें ये सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों."
बाबा रामदेव की ओर से अदालत में जिरह कर रहे वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने अदालत से अनुरोध किया कि वो गृह मंत्री पी चिदंबरम को ये निर्देश दे कि वो इस घटना के बारे में जानकारी दें और उन्हें नोटिस जारी किया जाना चाहिए.
लेकिन अदालत ने फ़िलहाल ऐसा करने से इनकार कर दिया.
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