सेना की मध्य कमान के कमांडर इन चीफ लेफ्टि. जनरल वीके अहलुवालिया का कहना है कि अगर पुलिस और केंद्रीय अर्ध सैनिक बल चाहें तो सेना उनको बारूदी सुरंगों से निपटने की और बेहतर ट्रेनिंग देने के लिए तैयार है।
पिछले चार सालों से सेना कई राज्यों की पुलिस और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के करीब 50 हजार जवानों को ट्रेनिंग दे चुकी है। इसमें विस्फोटक को संभालने का प्रशिक्षण भी शामिल है। जरूरत पड़ी तो सेना जबलपुर समेत अन्य स्थानों में संचालित अपने ट्रेनिंग सेंटरों में चार हफ्ते का विशेष प्रशिक्षण देने को भी तैयार है। लखनऊ लौटने के पहले सेना कमांडर ने मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह और राज्यपाल शेखर दत्त से भी मुलाकात की।
हाल में कोंडागांव (बस्तर) में शुरू हुए सेना के ट्रेनिंग सेंटर का निरीक्षण करने लेफ्टि. जनरल अहलुवालिया सोमवार दोपहर को यहां पहुंचे थे। सोमवार की रात भी उन्होंने सेंटर में जवानों और अधिकारियों के बीच गुजारी। मंगलवार सुबह राजधानी पहुंचे कमांडर ने छत्तीसगढ़-उड़ीसा सब एरिया हेडक्वार्टर में सेना के स्थानीय अधिकारियों से चर्चा की। संवाददाताओं से बातचीत में श्री अहलुवालिया ने साफ किया कि सेना बस्तर में केवल ट्रेनिंग के लिए आई है। नक्सली ऑपरेशन से उसका लेना-देना नहीं है। नक्सलियों द्वारा सेना पर हमले की तैयारी की आईबी की रिपोर्ट पर उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता। सेना पूरे इलाके की भलाई के लिए काम कर रही है। ऐसी सूरत में नक्सली क्यों हमला करेंगे। इसके बावजूद अगर कुछ दिग्भ्रमित लोगों ने ऐसा किया, तो सेना अपने लोगों, कैंप और संसाधनों की सुरक्षा के लिए सक्षम है। जवाबी कार्रवाई भी होगी।
लेफ्टि. जनरल ने इस बात पर हैरानी जताई है कि नक्सली सेना की बस्तर में मौजूदगी का किस वजह से विरोध कर रहे हैं। फिलहाल सेना का ट्रेनिंग कैंप कोंडागांव के आसपास चल रहा है। आसपास के गांवों में सेना जनकल्याण के काम कर रही है। मेडिकल कैंप चलाए जा रहे हैं। लोगों को पीने का साफ पानी मिले, इसकी व्यवस्था सेना कर रही है। गांवों की स्कूलों में पढ़ाई का इंतजाम सेना के जवान कर रहे हैं। ऐसी हालत में कोई विरोध क्यों करना चाहेगा।
उन्होंने स्वीकार किया कि नक्सलियों द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की जा रही बारूदी सुरंगें बड़ी समस्या हैं। पर सेना के पास उसका इंतजाम भी है। उन्होंने बताया कि सेना की कोशिश यही है कि छत्तीसगढ़ के ज्यादा से ज्यादा लोग सेना में भर्ती हों। गत अप्रैल में कांकेर में हुई भर्ती में नौ हजार से ज्यादा युवा शामिल हुए थे। इसमें छह सौ से ज्यादा ने रिटन टेस्ट के लिए क्वालीफाई कर लिया है। परीक्षा में वह बेहतर प्रदर्शन करें, इसके लिए सेना उनको ट्रेनिंग भी दे रही है।
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