Tuesday, June 21, 2011

Police Yoga : पाँच लाख पुलिस जनों को योग प्रशिक्षित करेंगे -डॉ० प्रणव पण्ड्या

हरिद्वार, 03 अप्रैल । प्राचीन भारतीय विद्या ‘योग’ भाषा-प्रान्त, जाति-धर्म, देश-प्रदेश, अमीर-गरीब की ऊॅँच नीच की दीवारें लांघकर अब विश्वव्यापी बनता जा रहा है । देवभूमि उत्तराखण्ड तो योग का गढ़ बन गया है । देव संस्कृति विश्वविद्यालय का इसमें बड़ा महत्वपूर्ण योगदान है । विश्वविद्यालय ने इस दिशा में विभिन्न सफल प्रयास किए हैं । विवि ने जहाँ समाज के विविध वर्गों को योग के वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी पहलुओं से जोड़ा है वहीं सरकारी महकमों में काम कर रहे अधिकारियों व कर्मचारियों को भी इसकी जद में लिया है । पुलिस विभाग भी इससे अछूता नहीं है ।


देसंविवि ने उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान सहित देश के 16 से अधिक प्रान्तों के राज्य पुलिस बलों और केन्द्रीय अर्द्ध सैनिक बलों को योग के माध्यम से स्वस्थ शरीर व शुद्ध व शान्त मन के निर्माण के नुस्खे सिखाए हैं । देसंविवि की हाल की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक है- जम्मू एवं कश्मीर पुलिस के 1,200 से अधिक जवानों एवं अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण । कठुआ स्थित एस.पी.एस. पुलिस ट्रेनिंग स्कूल में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एवं प्रिंसिपल अशोक कुमार शर्मा के निर्देशन में जम्मू-कश्मीर के सभी 23 जिलों से आए बारह सौ से ज्यादा जवानों ने देसंविवि के योगाचार्यों गुलाम असकरी जैदी एवं राकेश वर्मा से पाँच दिनों तक योग सीखा और सुखी जीवन जीने के ढेर सारे गुर प्राप्त किए ।
कठुआ से हरिद्वार वापस आए श्री जैदी ने बताया कि जे.के. पुलिस में योग के बारे में जानने व सीखने की बड़ी जिज्ञासा देखने को मिली । योग से मिलने वाले शारीरिक एवं मानसिक लाभों को जानकर इस प्राचीन भारतीय विद्या को सीखने की ललक देखने लायक थी । जवानों ने गायत्री परिवार के संस्थापक आचार्य श्रीराम शर्मा द्वारा प्रणीत ‘प्रज्ञायोग’ को खासा पसन्द किया । पीटीएस कठुआ ने अब प्रज्ञायोग को अपने रूटीन प्रशिक्षण का अनिवार्य हिस्सा बना लिया है । योग प्रवक्ता राकेश वर्मा ने बताया कि योग कैम्प में जीवन प्रबन्धन, तनाव प्रबन्धन, व्यक्तित्व परिष्कार, समय प्रबन्धन, योग चिकित्सा, आहार चिकित्सा, प्राण चिकित्सा, एक्यूप्रेशर आदि के बारे में जवानों को ट्रेनिंग दी गई । अपनी अभिरुचि व जरूरत के अनुसार जवानों ने दैनिक जीवन में इनकी हिदायतों को व्यवहार में उतारने के संकल्प लिए ।
श्री जैदी कहते हैं कि 90 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम वर्ग के जे.के.पुलिस के जवानों के बीच की यह पुलिस ट्रेनिंग अपने आपमें अनूठी थी और देसंविवि के लिए यह एक खास तरह का अनुभव था । पुलिस कर्मियों की व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामाजिक परिस्थितियों के बीच मानसिक सुख-शान्ति के लिए योग उन्हें संजीवनी जैसा लगा । देसंविवि की मातृसंस्था शान्तिकुञ्ज की सामाजिक कार्यों के लिए जीवनदान व समयदान की परिपाटी और दक्षिणा के रूप में व्यसनों व नकारात्मक विचारों को मांगने की परम्परा को भी जे०के० पुलिस ने बहुत सराहा । कई जवानों ने धूम्रपान व कोल्ड-ड्रिंक आदि छोड़ने के संकल्प भी लिए । सभी जवानों को विवि ने योग प्रशिक्षण का प्रमाण-पत्र दिया । समापन-सत्र में प्रिंसिपल अशोक शर्मा ने जम्मू-कश्मीर की सेवा के लिए देवभूमि उत्तराखण्ड एवं देसंविवि के प्रति आभार व्यक्त किया । उन्होंने जे०के० पुलिस के लिए नियमित रूप से ऐसे कार्यक्रम चलाने की माँग की ।


देसंविवि के कुलाधिपति डॉ० प्रणव पण्ड्या ने कश्मीर से लौटे योगाचार्यों की सराहना करते हुए देश के पाँच लाख पुलिस कार्मिकों को योग विज्ञान एवं व्यक्तित्व परिष्कार प्रशिक्षण देने का विवि का संकल्प व्यक्त किया । अब तक पुलिस व सेना के 25,000 से ज्यादा जवानों को यह प्रषिक्षण दिया जा चुका है । उन्होंने कहा कि राज्य पुलिस बलों, अर्द्ध सैनिक बलों तथा भारतीय सेना के तीनों अंगों सहित राज्य सचिवालयों, निदेशालयों आदि में जिस प्रकार योग विज्ञान के प्रति रुचि दिखी है, उसे देखते हुए देसंविवि द्वारा इस तरह के कई कार्यक्रम शासकीय सेवकों के लिए चलाए जायेंगे । उन्होंने बताया कि विवि के जनसम्पर्क, प्रसार एवं सेवायोजन विभाग तथा स्कूल ऑफ योग एण्ड हेल्थ को इस कार्य की सम्मिलित जिम्मेदारी सौंपी गई है ।

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