लखनऊ। लखनऊ में आईबीएन7 संवाददाता शलभमणि त्रिपाठी और मनोज राजन त्रिपाठी पर हमला करने और जबरन गाड़ी में बिठाकर हजरतगंज थाने ले जाने, मारपीट करने और गालीगलौच करने वाले दो अधिकारियों लखनऊ वेस्ट के एएसपी बी.पी. अशोक और सीओ अनूप कुमार को पत्रकारों के दबाव में सरकार ने सस्पेंड कर दिया है। दोनों पर केस दर्ज कर लिया गया है।
लखनऊ वेस्ट के एसीपी बी पी अशोक और हजरतगंज थाने के सीओ अनूप कुमार ने रविवार की रात संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला कर दिया। हजरतगंज थाने के कांस्टेबल ने बताया कि सीओ अनूप कुमार ने शलभ मणि त्रिपाठी को उनके दफ्तर के बाहर से उठा लिया।
वहीं, यूपी सरकार की माने तो रविवार की रात लखनऊ में पुलिसिया दमन का जो खेल चला, उसे सिर्फ इन्हीं दो अधिकारियों ने खेला। सीएम के सचिव नवनीत सहगल के मुताबिक इन दो अधिकारियों ने सच की आवाज दबाने की कोशिश की। ये आपसी रंजिश का मामला दिखता है। जिसके चलते रिपोर्टर शलभ मणि त्रिपाठी को दफ्तर से उठाया, उनके साथ मारपीट की, बदसलूकी और उनके खिलाफ झूठा केस बनाने की कोशिश की। इन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। सरकार की ये मंशा नहीं थी।
मुख्यमंत्री के सचिव नवनीत सहगल के मुताबिक इस मामले में यूपी सरकार की कोई भूमिका नहीं है।जबकि लखनऊ के डीएम अनिल सागर ने माना था कि इस मामले में गलती अधिकारियों की है। यानी अधिकारियों ने बिना किसी वजह के अचानक आईबीएन7 के पत्रकारों पर हमला बोल दिया।
वहीं कांग्रेस की नेता रीता बहुगुणा ने इस हमले पर कहा है कि ये राजनीतिक फैसला है। किसी पुलिस अधिकारी का फैसला नहीं हो सकता। इस घटना के बाद कांग्रेस पूरी तरह से चिंतित है। वहीं समाजवादी पार्टी ने इस हमले पर यूपी सरकार को तानाशाह बताया है। वहीं बीजेपी ने इस हमले को लोकतंत्र पर हमला बताया है।
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