नई दिल्ली।। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन चलाने के बाद टीम अन्ना पर सरकार का शिकंजा कसता जा रहा है। रामलीला मैदान में 19 से 28 अगस्त तक चले अन्ना हजारे के अनशन के दौरान भले ही दिल्ली पुलिस ने बहुत शांत रवैया अपनाए रखा हो , लेकिन अब बताया जा रहा है कि वह टीम अन्ना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर रही है। इसके लिए दिल्ली पुलिस अनशन की परमिशन की शर्तों को तोड़े जाने को आधार बनाएगी। पुलिस डिटेल रिपोर्ट तैयार कर रही है कि क्या-क्या शर्तें तोड़ी गईं। यह रिपोर्ट हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक कोर्ट के डायरेक्शन हैं कि जब भी इस तरह का कोई प्रोटेस्ट या धरना प्रदर्शन होता है , तो आयोजकों को पुलिस से परमिशन लेनी होती है। रामलीला मैदान में अन्ना के अनशन के लिए भी पुलिस ने इसी प्रक्रिया का पालन करते हुए परमिशन दी थी और आयोजकों ने अंडरटेकिंग देते हुए इस बात का भरोसा दिलाया था कि वे सभी हिदायतों का पालन करेंगे।
लेकिन सूत्रों के मुताबिक कई बार नियमों व शर्तों का उल्लंघन हुआ। रात 10 बजे बाद भी लाउडस्पीकर बजाया गया , आयोजन स्थल पर मशाल जुलूस निकाला गया , पुलिस से इजाजत लिए बिना ही इंडिया गेट पर लोगों को इकट्ठा किया गया , मंच से उकसाने वाले भाषण दिए गए , ट्रैफिक भी डिस्टर्ब हुआ। आयोजक अपने समर्थकों पर पूरी तरह काबू नहीं रख पाए।
हालांकि अनशन के दौरान भी पुलिस ने कई बार आयोजकों को नोटिस देकर यह याद दिलाया था कि वे नियमों व शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं। इसके बावजूद ना तो आयोजकों की तरफ से नोटिस का कोई जवाब दिया गया और न इस संबंध में उनकी तरफ से कोई उचित कदम उठाया गया।
बाद में जब अनशन के दौरान दिल्ली की सड़कों पर अन्ना टोपी पहने और तिरंगा झंडा उठाए लोग हुड़दंग मचाने लगे , शराब पीकर आए समर्थकों ने रामलीला मैदान के अंदर हंगामा किया और अराजक तत्वों ने रामलीला मैदान के बाहर तैनात पुलिस वालों पर हमला तक कर दिया , तो आयोजकों को मंच से यह कहना पड़ा कि ऐसे लोगों के साथ पुलिस सख्ती से पेश आए।
पुलिस के मुताबिक कोर्ट का साफ निर्देश हैं कि अगर अंडरटेकिंग देने के बाद भी नियमों व शर्तों का उल्लंघन होता है , तो पुलिस को इस संबंध में हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट को एक डिटेल रिपोर्ट देनी होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए पुलिस अन्ना के अनशन के दौरान हुए नियमों के उल्लंघन के बारे में रिपोर्ट तैयार कर रही है , जो जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को सौंपी जाएगी।
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